हनुमान जयंती की पूजा घर पर कर सरल विधि से करे
पूजा में हनुमानजी को अर्पित करें वस्त्र, आभूषण और दीपक जलाकर करें मंत्र जाप
बुधवार, 8 अप्रैल को हनुमान जयंती है। इस दिन घर में रहकर ही पूजा करें। हनुमानजी के पूजन की सरल विधि।पूजा के लिए जरूरी सामग्री
पूजा में हनुमानजी की मूर्ति को स्नान कराने के लिए तांबे का बर्तन, तांबे का लोटा, दूध, वस्त्र, आभूषण, सिंदूर, दीपक, तेल, रुई, धूपबत्ती, फूल, चावल, प्रसाद के लिए फल, घर में बनी मिठाई, नारियल, पंचामृत, सूखे मेवे, मिश्री, पान, दक्षिणा आदि चीजें रख सकते हैं।
ये है हनुमानजी की सरल पूजा विधिघर के मंदिर में पूजा की व्यवस्था करें। सबसे पहले श्रीगणेश का पूजन करें। गणेशजी को स्नान कराएं। वस्त्र अर्पित करें। फूल, धूप, दीप, चावल से पूजन करें।
गणेश पूजन के बाद हनुमानजी का पूजन करें। हनुमानजी की मूर्ति को स्नान कराएं। वस्त्र अर्पित करें। वस्त्रों के बाद आभूषण पहनाएं। हार-फूल चढ़ाएं। ऊँ ऐं हनुमते रामदूताय नमः मंत्र का जाप करते हुए हनुमानजी को सिंदूर का तिलक लगाएं। धूप-दीप जलाएं। प्रसाद चढ़ाएं। फल, मिठाई, पान अर्पित करें। एक-एक करके पूजन की सभी चीजें भगवान को चढ़ाएं। श्रद्धानुसार घी या तेल का दीपक जलाएं। आरती करें। आरती के बाद परिक्रमा करें। पूजा के बाद भगवान से अनजानी भूल के लिए क्षमा मांगे। भक्तों को प्रसाद बाटें।
ध्यान रखें अभी कोरोनावायरस की वजह से देशभर में लॉकडाउन है। ऐसी स्थिति में घर में पूजा की जो सामग्रियां उपलब्ध हैं, उनसे ही पूजा करें। अगर यहां बताई गई चीजें ना हो तो सिर्फ दीपक जलाकर हनुमान चालीसा का पाठ
हनुमान जी की व्रत कथा का पाठ
सुंदरकांड का पाठ
बजरंग बाण का पाठ
कर सकते हैं, लेकिन घर से बाहर न निकलें।
अगर किसी काम में असफलता मिलती है तो एक बार फिर से कोशिश करनी चाहिए
रामायण में हनुमानजी सीता की खोज में लंका पहुंच गए, बहुत मेहनत के बाद भी उन्हें माता सीता से संबंधित कोई जानकारी नहीं मिली
रामायण में जीवन की बाधाओं को दूर करने और सुख-शांति बनाए रखने के लिए कई प्रसंग बताए गए हैं। इन प्रसंगों की सीख हमें आगे बढ़ने में मदद करती हैं। आज अधिकतर लोग किसी काम में असफल होने से निराश हो जाते हैं। ऐसी स्थिति में हमें एक बार फिर से कोशिश करनी चाहिए। इस संबंध में हनुमानजी का एक प्रसंग बताया गया है।
वाल्मीकि रामायण के सुंदर कांड में एक बहुत प्रेरक प्रसंग है। हनुमानजी लंका में सीता को खोज रहे हैं। रावण के महल के साथ ही अन्य लंकावासियों के घरों में, महलों में, गलियों में, रास्तों पर हर जगह हनुमानजी सीता को खोज रहे थे। बहुत मेहनत के बाद भी उन्हें सफलता नहीं मिली। कहीं भी कोई जानकारी न मिलने से वे थोड़े निराश हो गए थे।
हनुमानजी ने सीता को कभी देखा नहीं था, वे सिर्फ सीता के गुणों को जानते थे। वैसे गुण वाली कोई स्त्री उन्हें लंका में कहीं नहीं दिखाई दी। अपनी इस असफलता की वजह से वे कई तरह की बातें सोचने लगे। उनके मन में विचार आया कि अगर खाली हाथ जाऊंगा तो वानरों के प्राण तो संकट में पड़ेंगे। प्रभु श्रीराम भी सीता के वियोग में प्राण त्याग देंगे, उनके साथ लक्ष्मण और भरत भी। बिना अपने स्वामियों के अयोध्यावासी भी जी नहीं पाएंगे। बहुत से प्राणों पर संकट छा जाएगा।
ये बातें सोचते हुए उनके मन में विचार आया कि मुझे एक बार फिर से खोज शुरू करनी चाहिए। ये विचार आते ही हनुमानजी फिर से एक नई ऊर्जा से भर गए। उन्होंने अब तक की अपनी लंका यात्रा की समीक्षा की और फिर नई योजना के साथ खोज शुरू की।
हनुमानजी ने सोचा अभी तक ऐसे स्थानों पर सीता को ढूंढ़ा है जहां राक्षस निवास करते हैं। अब ऐसी जगह खोजना चाहिए, जहां आम राक्षसों का प्रवेश वर्जित हो। इसके बाद उन्होंने रावण के उद्यानों और राजमहल के आसपास की जगहों पर सीता की खोज शुरू कर दी।
इसी खोज में वे अशोक वाटिका पहुंच गए। वहां सफलता मिली और सीता से भेंट हुई। हनुमानजी के एक विचार ने उनकी असफलता को सफलता में बदल दिया।
प्रसंग की सीख
इस प्रसंग की सीख यह है जब हमारे ऐसा होता है तो हमें भी एक बार फिर से कोशिश करनी चाहिए। निराशा से बचना चाहिए। उत्साह बनाए रखें और पूरी ईमानदारी से सफल होने तक कोशिश करते रहना चाहिए।
कोई टिप्पणी नहीं