Gupt Navratri 2022: आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि
गुप्त नवरात्रि- Gupt Navratri 2022
हिंदू धर्म के अनुसार कुल 4 (चार) नवरात्रि होती है. माघ और आषाढ़ में पड़ने वाली नवरात्रि गुप्त नवरात्रि कहलाती है| गुप्त नवरात्रि की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त व महत्व
Gupt Navratri 2021:
हिंदू धर्म में गुप्त नवरात्रि का विशेष महत्व माना जाता है इस नवरात्रि में कुछ तांत्रिक और सात्विक दोनों प्रकार की पूजा भी होती है| पंचांग के अनुसार हर साल आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से आषाढ़ की गुप्त नवरात्रि शुरू होती है| इस साल 2021 में आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि 11 जुलाई दिन रविवार से शुरू होगी, जो कि 18 जुलाई 2021 दिन रविवार को समाप्त होगी| गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा के साथ तांत्रिक 10 महाविद्याओं को प्रसन्न करने के लिए पूजा की जाती है|
तांत्रिक पूजा के लिए गुप्त नवरात्रियों का महत्व चैत्र और शारदीय नवरात्रियों से अधिक होता है| इन गुप्त नवरात्रियों में भी आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का, तंत्र-मंत्र और सिद्धि-साधना आदि के लिए विशेष महत्व होता है| गुप्त नवरात्रि में व्यक्ति 10 महाविद्याओं का ध्यान-साधना करके दुर्लभ शक्तियों की प्राप्ति करता है| ऐसी मान्यता है कि तंत्र मंत्र की सिद्धि के लिए इस समय की गई साधना शीघ्र फलदायी होती है. इस नवरात्रि में साधक मां आदिशक्ति की दस महाविद्याओं की पूजा गुप्त रूप से करते हैं| मान्यता है कि इस समय विधि-विधान से की गई पूजा से मां दुर्गा की ये दस महाविद्याएं साधक को कार्य सिद्धि प्रदान करती हैं|
गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा विधि
गुप्त नवरात्रि के दौरान साधक तांत्रिक और अघोरी मां दुर्गा की आधी रात में पूजा करते हैं. इसमें स्नानादि करके घर में गुप्त स्थान पर मां दुर्गा की प्रतिमा या मूर्ति स्थापित कर लाल रंग का सिंदूर और सुनहरे गोटे वाली चुनरी चढ़ाते हैं| इसके बाद मां के चरणों में पूजा सामग्री के साथ-साथ लाल पुष्प चढ़ाना बेहद शुभ माना जाता है. मां के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाकर 'ॐ दुं दुर्गायै नमः' मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें| उसके बाद आरती आदि करके पूजा समाप्त करें|
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि घटस्थापना मुहूर्त
- इस साल आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि 30 जून, बृहस्पतिवार से शुरू हो रही है और इसका समापन 8 जुलाई शुक्रवार को होगा।
- प्रतिपदा तिथि 29 जून 2022, सुबह 08 बजकर 21 मिनट से 30 जून प्रातः 10 बजकर 49 मिनट तक।
- अभिजीत मुहूर्त- 30 जून प्रातः 11 बजकर 57 मिनट से दोपहर 12 बजकर 53 मिनट तक।
- कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 30 जून प्रातः 05 बजकर 26 मिनट से लेकर 06 बजकर 43 मिनट तक।
- यदि आप इस मुहूर्त में कलश स्थापना करते हैं तो ये आपकी मनोकामनाओं की पूर्ति करेगा।
कनकधारा स्तोत्रम की रचना आदि गुरु शंकराचार्य जी ने की थी। आदि गुरु शंकराचार्य जी भारत के एक महान दार्शनिक और धर्मप्रवर्तक थे।
जवाब देंहटाएंउन्होंने कनकधारा स्तोत्रम से माता लक्ष्मी जी को प्रसन्न किया। आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा रचित कनकधारा स्तोत्र से प्रसन्न होकर माता लक्ष्मी ने जल के स्थान पर वर्षा को स्वर्ण बना दिया।