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    झंडेवाला मंदिर इतिहास| History of Jhandewala Mandir


    Jhandewala Mandir History | Timing | Location


    राजधानी दिल्ली के मध्य में स्थित झंडेवाला मंदिर झंडेवाली देवी को समर्पित एक सिद्धपीठ है । अपने धाार्मिक एवं ऐतिहासिक महत्व के कारण राज्य सरकार ने भी दिल्ली के प्रासिद्ध दर्शनीय स्थलों में इसे शामिल किया है । वर्ष भर बिना किसी भेदभाव के लाखों की संख्या में भक़्त लोग देश विदेश से दर्शन करने यहां आते हैं । नवरात्रों में यहां उमडती भक़्तजनों की भीड तो स्वयं में ही दर्शनीय बन जाती है । मंदिर में आने वाला प्रत्येक भक़्त यहां से मानसिक शांति और आनंद की अनुभूति लेकर ही जाता है । प्रत्येक भक़्त को आशीर्वाद के रूप में देवी का प्रसाद मिलता है । झंडेवाला मंदिर का धाार्मिक ही नही एतिहासिक महत्व भी है ।
    झंडेवाला मंदिर का इतिहास 18वाीं सदी के उत्तरार्ध से प्रारंभ होता है । आज जिस स्थान पर मंदिर स्थित है उस समय यहां पर अरावली पर्वत श्रॄंखला की हरी भरी पहाडियाँ, घने वन और कलकल करते चश्में बहते थे । अनेक पशु पक्षियों का यह बसेरा था । इस शांत और रमणीय स्थान पर आसपास के निवासी सैर करने आया करते थे । ऐसे ही लोगों में चांदनी चौक के एक प्रसिद्ध कपडा व्यपारी श्री बद्री दास भी थे । श्री बद्री दास धाार्मिक वॄत्ति के व्यक्ति थे और वैष्णो देवी के भक़्त थे । वे नियमित रूप से इस पहाडी स्थान पर सैर करने आते थे और ध्यान में लीन हो जाते थे । एक बार ध्यान में लीन श्री बद्री दास को ऐसी अनुभूति हुई कि वही निकट ही एक चश्में के पास स्थित एक गुफा में कोई प्राचीन मंदिर दबा हुआ है । पुनः एक दिन सपने में इसी क्षेत्र में उन्हें एक मंदिर दिखाई पडा और उन्हें लगा की कोई अदृश्य शक्ति उन्हें इस मंदिर को खोज निकालने के लिए प्रेरित कर रही है । इस अनोखी अनुभूति के बाद श्री बद्री दास ने उस स्थान को खोजने में ध्यान लगा दिया और एक दिन स्वप्न में दिखाई दिए झरने के पास खुदाई करते समय गहरी गुफा में एक मूर्ति दिखाई दी । यह एक देवी की मूर्ति थी परंतु खुदाई में मूर्ति के हाथ खंडित हो गए इसलिए उन्होंने खुदाई में प्राप्त मूर्ति को उस के ऐतिहासिक महत्व को ध्यान में रखते हुए उसी स्थान पर रहने दिया और ठीक उसके ऊपर देवी की एक नयी मूार्ति स्थापित कर उसकी विधिवत प्राण प्रतिष्ठा करवायी । इस अवसर पर मंदिर के ऊपर एक बहुत बडा ध्वज लगाया गया जो पहाडी पर स्थित होने के कारण दूर - दूर तक दिखाई देता था जिसके कारण कालान्तर में यह मंदिर झंडेवाला मंदिर के नाम से विख्यात हो गया। खुदाई में प्राप्त मूार्ति जिस स्थान पर स्थापित है वह स्थान गुफा वाली माता के नाम से विख्यात हो गया । गुफा वाली देवी जी के खंडित हाथों के स्थान पर चांदी के हाथ लगाये गये और इस मूर्ति की पूजा भी पूर्ण विधि विधान से की जाने लगी । वही पर खुदाई में प्राप्त एक चटटान के ऊपर बने शिवलिंग को भी स्थापित किया गया है जिस पर नाग - नागिन का जोडा उकेरा हुआ है । यह प्राचीन गुफा वाली माता और शिवलिंग भी भक़्तों की श्रद्धा का केंद्र है । इसी गुफा में जगाई गई ज्योतियाँ भी लगभग आठ दशकों से अखंड रूप में जल रही है ।
    Jhandewala Mandir History | Timing | Location

    मंदिर की स्थापना के साथ ही इस स्थान पर भक़्तों का आना जाना प्रारंभ हो गया और धीरे - धीरे समय के साथ मंदिर का स्वरूप भी बदलता गया । बद्री दास जी ने जोकि अब तक भगत बद्री दास के नाम से विख्यात हो चुके थे, आसपास की जमीनों को मंदिर के विस्तार के लिए खरीद लिया । भगत बद्री दास ने अपना शेष जीवन माँ झंडेवाली की सेवा में ही समर्पित कर दिया ।
    समय बीतने के साथ ही मंदिर का स्वरूप बदलने लगा और धीरे - धीरे हरी भरी अरावली की पहाडियों पर स्थान - स्थान पर भवन इमारतें बनने लगी । भारत विभाजन के समय शरणार्थियों के रूप में राजधानी दिल्ली में आने वाले लोग जहां तहां बस गए जिससे इस स्थान का स्वरूप भी बदल गया । वर्तमान में यह स्थान राजधानी के केंद्र में स्थित अनेक प्रसिद्ध एवं अति व्यस्त व्यापारिक केंद्रो से घिरा हुआ है जिसमें पहाडगंज, करोल बाग, सदर बाजार, झंडेवालान आदि उल्लेखनीय हैं ।
    भगत बद्री दास जी के स्वर्गवास के पश्चात उनके सुपुत्र श्रीरामजी दास और फिर पौत्र श्री श्याम सुंदर जी ने मंदिर के दायित्व को संभाला और अनेक विकास कार्य इस स्थान पर करवाये । श्री श्याम सुंदर ने वर्ष 1944 में मंदिर की व्यवस्थाओ और इससे जुडे कार्यक्रमों को सुंदर ढंग से चलाए रखने के लिए एक सोसायटी का गठन कर उसे विधिवत कानूनी स्वरूप प्रदान किया और सोसायटी का नाम बद्री भगत झंडेवाला टेम्पल सोसायटी रखा गया| 

    Jhandewala Mandir Timing

    मंदिर के खुलने व बंद होने का समय
    शीतकाल (Winter Timing)
    (शारदीय नवरात्र के अंतिम दिन के बाद से) 

    खुलने का समय - प्रातः 5.30 

    बंद होने का समय - रात्रि 9.30
    ग्रीष्मकाल (Summer Timing) 
    (वासांतिक नवरात्र के अंतिम दिन के बाद से) 

    खुलने का समय - प्रातः 05.00 बजे 

    बंद होने का समय - रात्रि 10.00 बजे 
    गर्मियों अनुसूची वासंतिक नवरात्र के अंतिम दिन के बाद शुरू होता है.

    नवरात्र आरती का समय

    नवरात्रों में मंदिर प्रातः 4.00 बजे खुलकर रात्रि 12.00 बजे बंद होता है। सायं 6.15 से सायं 7.00 बजे तक मंदिर सफाई हेतु बंद रहता है ।
    रविवार, मंगलवार, प्रत्येक मास की शुकक़्ल फक्ष की अष्टमी ऋवं प्रमुखों त्यौहारों फर मंदिर सारा दिन खुला रहता है । अन्य दिनों में मंदिर दोपहर 1.00 बजे से सायं 4.00 बजे तक बंद रहता है ।

    Aarti Timing in Temple मंदिर में आरती का समय

    ग्रीष्मकालीन समय शीतकालीन समय
    मंगल आरती प्रातः 5.30 बजे प्रातः 6.00 बजे
    श्रॄंगार आरती प्रातः 9.00 बजे प्रातः 9.00 बजे
    भोग आरती दोपहर 12.00 बजे दोपहर 12.00 बजे
    संध्या आरती रात्रि 8.00 बजे रात्रि 7.30 बजे
    शयन आरती रात्रि 10.00 बजे रात्रि 9.30 बजे
    नवरात्रों में आरती केवल प्रातः 4.00 बजे और सायं 7.00 बजे की जाती है ।

    Jhandewala Mandir Location 

    Address: DB Gupta Road, Block E, Jhandewalan Extension, Paharganj, New Delhi, Delhi 110055
    Phone: 011 2354 5810


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