मेरी झोली छोटी पड़ गयी रे -Meri Jholi Chhoti Pad Gayi Re- Narender Chanchal
इतना दिया मेरी माता
मेरी झोली छोटी पड़ गयी रे,
इतना दिया मेरी माता
मेरी बिगड़ी माँ ने बनायीं,
सोयी तकदीर जगाई
ये बात ना सुनी सुनाई,
मैं खुद बीती बतलाता,
मुझे इतना दिया मेरी माता
मेरी झोली छोटी पड़ गयी रे,
इतना दिया मेरी माता
मेरी झोली छोटी पड़ गयी रे, इतना दिया मेरी माता
मान मिला सम्मान मिला
गुणवान मुझे संतान मिली
धन धान मिला, नित ध्यान मिला
माँ से ही मुझे पहचान मिली
घरबार दिया मुझे माँ ने,
बेशुमार दिया मुझे माँ ने
हर बार दिया मुझे माँ ने,
जब जब मैं मागने जाता
मुझे इतना दिया मेरी माता
मेरी झोली छोटी पढ़ गयी रे,
इतना दिया मेरी माता
मान मिला सम्मान मिला – हर संकट माँ ने दूर किया
मेरा रोग कटा, मेरा कष्ट मिटा,
हर संकट माँ ने दूर किया
भूले से जो कभी गुरुर किया
मेरे अभिमान को चूर किया
मेरे अंग संग हुई सहाई
भटके को राह दिखाई
क्या लीला माँ ने रचाई,
मैं कुछ भी समझ ना पाता
मुझे इतना दिया मेरी माता
मेरी झोली छोटी पड़ गयी रे,
इतना दिया मेरी माता
मेरा रोग कटा, मेरा कष्ट मिटा – धन धान मिला, नित ध्यान मिला
उपकार करे, भव पार करे
सपने सब के साकार करे
ना देर करे, माँ मेहर करे
भक्तो के सदा भंडार भरे
महिमा है निराली माँ की
दुनिया है सवाली माँ की
जो लगन लगा ले माँ की
मुश्किल में नहीं घबराता
मुझे इतना दिया मेरी माता
मेरी झोली छोटी पड़ गयी रे,
इतना दिया मेरी माता
जो लगन लगा ले माँ की, मुश्किल में नहीं घबराता
कर कोई जतन ऐ चंचल मन
तूँ होके मगन चल माँ के भवन
पा जाये नयन पावन दर्शन
हो जाये सफल फिर ये जीवन
तू थाम ले माँ का दामन
ना चिंता रहे ना उलझन
दिन रात मनन कर सुमिरन,
जा कर माँ का कहलाता,
मुझे इतना दिया मेरी माता
मेरी झोली छोटी पढ़ गयी रे,
इतना दिया मेरी माता
मेरी बिगड़ी माँ ने बनायीं,
सोयी तकदीर जगाई
ये बात ना सुनी सुनाई,
मैं खुद बीती बतलाता
मुझे इतना दिया मेरी माता
मेरी झोली छोटी पड़ गयी रे,
इतना दिया मेरी माता
मेरी झोली छोटी पड़ गयी रे,
बहोत दिया मेरी माता
Meri Jholi Chhoti Pad Gayi Re
Meri Jholi Chhoti Pad Gayi Re
मेरी झोली छोटी पड़ गयी रे,
इतना दिया मेरी माता
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