Saturday, March 15.

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अहोई माता जी की आरती 

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जय अहोई माता जय अहोई माता । 
तुमको निशदिन ध्यावत हरी विष्णु धाता ॥ 
जय अहोई माता 
ब्राह्मणी रुद्राणी कमल तू हे है जग दाता । 
सूर्य चन्द्रमा ध्यावत नारद ऋषि गता ॥ 
जय अहोई माता 
माता रूप निरंजन सुख संपत्ति दाता । 
जो कोई तुमको ध्यावत नित मंगल पाता ॥ 
जय अहोई माता 
तू ही है पाताल बसंती तू ही है सुख दाता । 
कर्मा प्रभाव प्रकाशक जगनिधि से त्राता ॥ 
जय अहोई माता 
जिस घर थारो वास  वही में गुणा आता । 
 कर न सके सोई कर ले मन नहीं घबराता ॥ 
जय अहोई माता 
तुम बिन सुख न होव पुत्र न कोई पाता । 
खान- पान का वैभव तुम बिन नहीं आता ॥ 
जय अहोई माता 
शुभ गन सुन्दर युक्त शीर निधि जाता । 
रतन चतुर्दश तुम भीं कोई नहीं पाता ॥ 
जय अहोई माता 
श्री अहोई माँ की आरती जो कोई नर गाता । 
उर उमंग आती उपजे पाप उतार जाता ॥ 
जय अहोई माता 

अहोई माता जी की आरती समाप्तम 



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