Thursday, August 28.

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श्री विष्णु जी की आरती 

vishnu+ekadashi


ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे, भक्त जनों के संकट, शन में दूर करे। 
ॐ जय जगदीश हरे
जो धयावे फल पावे, दुःख बिनसे मन का. सुख सम्पति घर एव, कष्ट मिटे का।
 ॐ जय जगदीश श्री हरे 
मात पिता तुम मेरे शरण गहुँ में किसकी, तुम बिन और न दूजा अस करूँ में जिसकी ।
 ॐ जय जगदीश श्री हरे 
तुम पुराण परमात्मा, तुम अंतर्यामी, परब्रह्म परमेश्वर तुम सब के स्वामी ।
 ॐ जय जगदीश श्री हरे
 तुम करुणा का सागर, तुम पालन करता, मैं मूर्ख खाल कामी, कृपा करो भर्ता। 
 ॐ जय जगदीश श्री हरे
 तुम हो एक अगोचर, सब के प्राणपति, किस विध मिलूं दयामय, तुम मैं कुमति ।
  ॐ जय जगदीश श्री हरे
दिन बंधू दुःख हारता, तुम रक्षक मेरे, अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा मैं तेरे।
  ॐ जय जगदीश श्री हरे
 विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा, श्रद्धा भक्ति बढाओ, संतान की सेवा। 
 ॐ जय जगदीश श्री हरे 

श्री विष्णु जी की आरती समाप्तम 

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