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    बलराम ने धेनुकासुर को हराया - साहस की एक कहानी

    यह कहानी हमें सिखाती है कि सच्ची शक्ति वही है जो दूसरों की रक्षा के लिए उपयोग की जाए।

    कहानी -Story

    बलराम ने धेनुकासुर को हराया - साहस की एक कहानी

    बहुत समय पहले, वृंदावन के सुंदर वन में भगवान श्रीकृष्ण और उनके बड़े भाई बलराम अपने मित्रों के साथ खेला करते थे। वे जंगल में घूमते, बाँसुरी बजाते, हँसते-खेलते और प्रकृति का आनंद लेते थे।


    एक दिन उन्होंने एक खास जगह के बारे में सुना — तालवन नामक जंगल, जहाँ ऊँचे-ऊँचे खजूर के पेड़ थे जिन पर मीठे, रसदार फल लगे थे। लेकिन एक समस्या थी — वहाँ कोई जाने की हिम्मत नहीं करता था।


    क्योंकि उस जंगल में एक भयानक राक्षस रहता था — धेनुकासुर, जिसका रूप एक गधे का था। वह अपने साथियों के साथ वहाँ रहता था और फलों की रक्षा करता था। जब भी कोई उस जंगल में जाने की कोशिश करता, तो  धेनुकासुर और उसके साथी उसपर हमला कर देते थे।

    कृष्ण के दोस्तों ने कहा, “हमें भी ढेर सारे मीठे-मीठे खजूर खाने हैं, लेकिन हमें वहाँ जाने में बहुत डर लगता है ।”


    बलराम और कृष्ण मुस्कुराए और बोले, “चिंता मत करो, हम तुम्हारी मदद करेंगे।”


    वे सब तालवन पहुँचे। वहाँ खजूर के पेड़ों से मीठे फलों की खुशबू आ रही थी। बलराम ने सोचा कि सबको ये स्वादिष्ट फल खाने चाहिए। उन्होंने अपने ताकतवर हाथों से पेड़ों को हिलाना शुरू किया। देखते ही देखते पेड़ों से ढेर सारे फल नीचे गिरने लगे। कृष्ण और उनके मित्र खुशी से उन्हें उठाने लगे।

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    इसी बीच पेड़ों से गिरते फलों की आवाज़ सुनकर धेनुकासुर बहुत गुस्से में आ गया। वह ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाते हुए दौड़कर आया और बलराम को डराने लगा। लेकिन बलराम ज़रा भी नहीं डरे।

    जब धेनुकासुर ने बलराम पर हमला किया, तो बलराम ने उसका पैर पकड़ लिया और पूरी ताकत से उसे घुमाकर दूर फेंक दिया। धेनुकासुर ज़मीन पर गिरा और हार गया। कृष्ण भी बलराम की सहयता करने आ गए। 


    उन्होंने बाकी राक्षसों को भगाया और जंगल को सुरक्षित बना दिया। उन्होंने मिलकर धेनुकासुर हराया और उसे ऐसा सबक सिखाया कि वह कभी किसी को नुकसान न पहुँचा सके।


    बाकी राक्षस भी दुम-दबाकर भाग गए। उस दिन के बाद से तालवन का जंगल सुरक्षित हो गया। अब सब बच्चे बिना डर के वहाँ जा सकते थे और मीठे खजूरों का आनंद ले सकते थे।


    कृष्ण और उनके दोस्तों ने बलराम की जय-जयकार की और सबने मिलकर खूब मज़े से खजूर खाए।

    जब हम डर का सामना साहस के साथ करते हैं, तो हम अपने साथ-साथ पूरे संसार को भी सुरक्षित और खुशहाल बना देते हैं।

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