जगन्नाथ मंदिर का रहस्य क्या है?
जगन्नाथ मंदिर, जो कि ओडिशा के पुरी में स्थित है, न केवल एक प्रमुख धार्मिक स्थल है बल्कि इसके साथ कई रहस्य और विचित्रताएं भी जुड़ी हुई हैं। यहां कुछ प्रमुख रहस्यों और अद्भुत तथ्यों की चर्चा की जा रही है:
1. ध्वज का उल्टा लहराना
पुरी मंदिर के शिखर पर लहराता ध्वज हवा के विपरीत दिशा में लहराता है। सामान्यतः ध्वज हवा की दिशा में उड़ता है, लेकिन इस मंदिर का ध्वज हमेशा इसके उलट दिशा में लहराता है, जो कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से असामान्य है।
2. सुदर्शन चक्र की रहस्यमयी स्थिति
मंदिर के ऊपर लगा सुदर्शन चक्र किसी भी कोण से देखने पर ऐसा प्रतीत होता है जैसे वह सीधे आपकी ओर देख रहा हो। यह एक ऐसी स्थापत्य कला का चमत्कार है जिसे आज भी समझना कठिन है।
3. समुद्र की हवा और ध्वनि
मंदिर के सिंह द्वार (मुख्य द्वार) से अंदर जाते ही समुद्र की लहरों की आवाज बंद हो जाती है, और जैसे ही आप बाहर आते हैं, वो आवाज फिर से सुनाई देने लगती है। इसे “ध्वनि अवरोध” (sound cancellation) का रहस्य माना जाता है।
4. खाना कभी बर्बाद नहीं होता
मंदिर में प्रतिदिन हजारों श्रद्धालुओं के लिए प्रसाद (महाप्रसाद) पकाया जाता है। आश्चर्य की बात यह है कि न तो कभी प्रसाद कम पड़ता है, न कभी ज़्यादा बचता है — यह एक दिव्य संयोग या चमत्कार जैसा लगता है।
5. पक्षियों और विमानों का निषेध
मंदिर के ऊपर से कोई पक्षी या हवाई जहाज नहीं उड़ता, जबकि भारत में ऐसा कोई कानून नहीं है जो इसे प्रतिबंधित करता हो। फिर भी मंदिर के ऊपर आकाश शुद्ध और साफ दिखाई देता है।
6. देवताओं की रहस्यमयी मूर्तियाँ
हर 12 से 19 वर्षों में मंदिर के मुख्य देवताओं (जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा) की लकड़ी की मूर्तियाँ बदल दी जाती हैं — इस प्रक्रिया को नबकलबेर कहा जाता है। रात के अंधेरे में, बिना किसी रोशनी के, एक विशेष अनुष्ठान के तहत यह कार्य होता है और इसमें शामिल पुजारियों को आंखों पर पट्टी बांधकर मूर्तियाँ बदलनी होती हैं।
7. जगन्नाथ मंदिर की मूर्तियों का आकार न बदलने की बात।
आकार में कोई अंतर नहीं दिखता
हर बार जब नई मूर्तियाँ बनाई जाती हैं, तो यह देखा गया है कि उनका आकार, रूप, ऊँचाई, और बनावट बिल्कुल वैसी ही होती है जैसी पुरानी मूर्तियों की होती थी।
यह अद्भुत समानता सामान्य मूर्तिकारों के लिए मुश्किल काम है, खासकर तब जब मूर्तियाँ नीम की विशेष ‘दारु’ लकड़ी से बनाई जाती हैं और हर बार नया कच्चा लकड़ी का टुकड़ा होता है।
यह भी माना जाता है कि मूर्तियों को किसी खाका (template) के आधार पर नहीं, बल्कि पारंपरिक स्मृति और गुरु-शिष्य परंपरा से गढ़ा जाता है।
8. तीसरी सीढ़ी का रहस्य (The Mystery of the Third Step)
1. तीसरी सीढ़ी को भगवान का प्रतीक माना जाता है
मंदिर के प्रवेश द्वार की सीढ़ियाँ चढ़ते समय, तीसरी सीढ़ी को विशेष महत्व दिया जाता है। लोक मान्यता के अनुसार, यह तीसरी सीढ़ी स्वयं भगवान जगन्नाथ का रूप मानी जाती है, और इसे पार करते समय सिर झुकाना या नमन करना आवश्यक माना जाता है।
2. यहां होती है 'ब्रह्म तत्व' की उपस्थिति
कुछ किंवदंतियों के अनुसार, जब पुरानी मूर्तियों से ब्रह्म तत्व (divine soul) निकाला जाता है और नई मूर्तियों में स्थानांतरित किया जाता है, तब उस प्रक्रिया के दौरान यह तीसरी सीढ़ी पर कुछ समय के लिए 'ठहरता' है। इसलिए इस सीढ़ी को अति पवित्र माना गया है।
3. चमत्कारी अनुभवों की कहानियाँ
स्थानीय श्रद्धालुओं के अनुसार:
- जो भक्त तीसरी सीढ़ी पर सिर झुकाकर श्रद्धा से प्रणाम करता है, उसकी मनोकामना पूरी होती है।
- कई लोगों ने वहां अचानक ऊर्जा का अनुभव होने, या शांति और कंपन महसूस करने की बात कही है।
4. तीसरी सीढ़ी पर बैठना या पैर रखना वर्जित
धार्मिक परंपरा के अनुसार, किसी को भी तीसरी सीढ़ी पर बैठने या सीधे पैर रखने की अनुमति नहीं होती। यह अपवित्र माना जाता है और मंदिर के सेवक इसका विशेष ध्यान रखते हैं।
इन सब रहस्यों की वैज्ञानिक व्याख्या अभी तक निश्चित रूप से नहीं की जा सकी है, जिससे यह मंदिर और भी रहस्यमयी और आकर्षक बन जाता है।
कोई टिप्पणी नहीं