गणेश चतुर्थी 2024 की सम्पूर्ण पूजा विधि
गणेश चतुर्थी 2024
- गणेश चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके भगवान गणेश जी का ध्यान करना चाहिए और व्रत का संकल्प कीजिए|
- इसके पश्चात गणेश जी की मूर्ति को किसी लाल रंग के कपड़े पर रखिये|
- फिर गंगाजल का छिडकाव करते समय गणेश जी से प्रार्थना करें
- एक पान के पत्ते पर सिंदूर में थोडा – सा घी मिलाकर स्वास्तिक का चिन्ह बनाए तथा इनके बीच में कलावा से पूर्ण रूप से लिपटी सुपारी चढ़ाए|
- भगवान गणेशजी महाराज को फुल, सिंदूर और जनेऊ चढ़ाए|
- इसके पश्चात गणेश जी को प्रसाद चढ़ाए| गणेश जी को उनके प्रिय मोदक का भोग लगाए|
- मंत्रों का उच्चारण करके गणेश जी की पूजा करें|
- गणेश जी व्रत कथा सुने और गणेश चालीसा का पाठ करें|
- रात को चंद्रमा को देखने से पूर्व ही गणेशजी की पूजा करले|
- पूजा सम्पूर्ण होने के बाद सभी को प्रसाद बांटे|
- उसके पश्चात चंद्रमा को देखकर ही अपना व्रत खोलें और भोजन ग्रहण करें|
- गणपति जी स्थापना के समय ध्यान देने योग्य बातें
- गणेश चतुर्थी के दिन गणेश जी का पूजन करने हेतु गणेश जी की मूर्ति का होना आवश्यक है तो इस दिन गणेश जी की नयी मूर्ति खरीद कर लाये| इस बात का मुख्य रूप ध्यान रखें कि आप जो भी मूर्ति ला रहे है उनकी सूंड दाईं ओर हो|
इस दिन गणेश पूजन गणेश जी की मूर्ति से ही होता है किन्तु यदि आप किसी परिस्थिति के कारण मूर्ति लाने में सक्षम नहीं है तो सुपारी को गणेश जी के स्थान पर विराजमान कर सकते है| ऐसा इसलिए है क्यूंकि सुपारी को गणेश जी का ही रूप माना गया है इसलिए गणेश जी की पूजा में सुपारी निश्चित रूप से चढाई जाती है|
गणेश चतुर्थी 2024
जब आप गणेश जी को घर लेकर आये तो शंख बजाकर उनका घर में आगमन करे व पुरे घर में गंगाजल का छिडकाव करेंगे जिससे घर की शुद्धि हो जाएं| इसके पश्चात गणेश जी को विराजमान करने के लिए एक चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएँ| फिर दूर्वा और पान के पत्ते को गंगाजल में डालकर गणेशजी को स्नान करवाएं|
गणेश जी को स्नान करवाने के पश्चात उन्हें पीले रंग के कपड़े पहनाए और कुमकुम व अक्षत से तिलक लगाए| यह सब कार्य पूर्ण कर लेने पश्चात गणेश जी का ध्यान करके ॐ गं गणपतये नमः मंत्र का 21 बार तक उच्चारण करें|
पूजा करते समय गणेश जी की मूर्ति के पास एक तांबे के कलश में जल भरके रखे| कलश के नीचे थोड़े चावल भी रखिये| तांबे के कलश पर लाल रंग की मौली बांधे| इससे घर में सुख – समृद्धि का हमेशा विकास होगा|
इस तरह से गणेश जी की पूजा को विधिवत रूप से पूर्ण करने पर उनका आशीर्वाद मिलता है और गणेश जी जिन्हें विघ्नहर्ता भी कहा जाता है, आपके सभी कष्टों को हर लेते है|
गणपति विसर्जन 2024
गणेश चतुर्थी 2024 का त्यौहार पुरे देश भर में मनाया जाता है और सभी जगहों पर अलग – अलग तरीके से मनाया जाता है लेकिन सबका सार एक ही होता है जो है लोगों को अपने त्योहारों के बारे उत्साहित और जागरूक करना|
गणेश चतुर्थी के दिन गणेश जी की मूर्ति को घरों में या अलग से पंडाल बनाकर विराजमान किया जाता है| यह पूरा त्यौहार 10 दिनों तक होता है| इन दस दिनों में गणेश जी की पूजा की जाती है व भजन, कीर्तन किये जाते है| इन सब से पश्चात 11 वे दिन उस मूर्ति को जल में विसर्जित किया जाता है इस प्रक्रिया को गणेश विसर्जन भी कहते है|
गणेश चतुर्थी 2024 का महत्व
गणेश जी को बुद्धि का देवता माना जाता है| जो भी इनकी कृपा दृष्टि में होता है उसकी बुद्धि हमेशा उच्च रहती है तथा हर क्षेत्र में वह उन्नति करता है| गणेश जी महाराज मनुष्य की बुद्धि को स्थिर रखने का कार्य करते है| इसलिए जो भी गणेश चतुर्थी के समय गणेश जी की पूजा करते है तो गणेश जी हमें सद्बुद्धि प्रदान करते है|
भगवान गणेश जी ही वे शख्स है जिन्होंने महाभारत लिखी| महर्षि वेद व्यास ने लगातार बोलकर गणेश जी के द्वारा यह कथा लिखवाई थी| गणेश जी ने यह कथा लिखने के लिए एक शर्त रखी थी वो यह थी कि जब तक वे लगातार बोलते रहेंगे तब ही गणेश जी लिखेंगे|
यदि किसी कारणवश महर्षि बीच में रुक जातें है तो गणेश जी भी उसी क्षण लिखना बंद कर देंगे| यह एक तरह से महर्षि वेद व्यास जी की भी परीक्षा थी कि वे जो लिखवा रहे है वो उनके अस्तित्व से जुड़ा हुआ या वे अपनी बुद्धि से ही कोई रचना कर रहे है|
लेकिन वेद व्यास जी बीच में बिलकुल भी नहीं रुके और ना ही गणेश जी बीच में रुके| इस तरह से कई महीनों तक वेद व्यास जो बोलते रहे और गणेश जी भी लिखते रहे| गणेश जी मनुष्य बुद्धि के ही प्रतीक है|
आपकी बुद्धिमानी का यही स्वभाव है कि आप अपनी बुद्धिमानी का उपयोग जागरूकता पूर्वक कल्पनाए करने में सही तरीके से करते है| उनको विसर्जन करना इसी बात का प्रतीक है कि अगर आप अपनी बुद्धि का सही तरीके से इस्तेमाल करे तो हम अपने ज्ञान से इस संसार को विसर्जित कर सकते है
और जब आप अपनी कल्पना के माध्यम से संसार को जीत लोगे तो अपनी कल्पना शक्ति को काबू कर लेना कोई बड़ी समस्या नहीं होगी|
गणेश चतुर्थी का इतिहास
गणेश चतुर्थी का त्योहार गणेश जी के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है| गणेश जी के जन्म के बारे में काफी अलग – अलग कहानियां और तथ्य है लेकिन हम आज सबसे ज्यादा प्रचलित तथ्य के बारे में बात करेंगे| गणेश जी भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र है लेकिन गणेश जी की निर्माता माँ पार्वती है| माना यह जाता है कि माता पार्वती ने अपने मेल से गणेश जी का निर्माण किया था|
एक दिन जब वे स्नान करने गयी तो गणेश जी से बोलकर गई कि किसी को भी अंदर नहीं आने दे| उसी समय वहां महादेव आ गये| गणेश जी ने उन्हें अंदर जाने से रोका| सभी लोगों के समझाने पर भी गणेश जी नहीं माने तो महादेव ने क्रोध में आकर अपने त्रिशूल से उनका शीश काट दिया|
जैसे ही यह समाचार माँ पार्वती को ज्ञात हुआ तो माता पार्वती भी काफी ज्यादा क्रोधित हो गयी और माँ काली का रूप धारण कर लिया उनके इस क्रोध को देख कर सभी भयभीत हो गये| तब महादेव ने गणेश जी को पुन: जीवित करने का वचन दिया और एक हाथी के सिर के साथ उनका धड जोड़ दिया| तभी से गणेश जी का नाम गजानन भी रखा गया| इसी वजह से इस दिन गणेश चतुर्थी का पावन त्यौहार मनाया जाता है|
कोई टिप्पणी नहीं