शकुन शास्त्र- कुछ शुभ अशुभ शकुन विचार
घर में हर छोटी वस्तु का अपना महत्व होता है। कभी-कभी बेकार समझी जाने वाली वस्तु भी घर में अपनी उपयोगिता सिद्ध कर देती है। गृहस्थी में रोजाना काम में आने वाली चीजों से भी शकुन-अपशकुन जुड़े होते हैं, जो जीवन में कई महत्वपूर्ण मोड़ लाते हैं। शकुन शुभ फल देते हैं, वहीं अपशकुन इंसान को आने वाले संकटों से सावधान करते हैं। हम आपको घर से जुड़ी वस्तुओं के शकुनों के बारे में बता रहे हैं।
दूध का शकुन
सुबह-सुबह दूध को देखना शुभ कहा जाता है। दूध का उबलकर गिरना शुभ माना जाता है। इससे घर में सुख-शांति, संपत्ति, मान व वैभव की उन्नति होती है। दूध का बिखर जाना अपशकुन मानते हैं, जो किसी दुर्घटना का संकेत है। दूध को जान-बूझकर छलकाना अपशकुन माना जाता है , जो घर में कलह का कारण है।
दर्पण का शकुन
हर घर में दर्पण का बहुत महत्व है। दर्पण से जुड़े कई शकुन-अपशकुन मनुष्य जीवन को कहीं न कहीं प्रभावित अवश्य करते हैं। दर्पण का हाथ से छूटकर टूट जाना अशुभ माना जाता है। एक वर्ष तक के बच्चे को दर्पण दिखाना अशुभ होता है। यदि कोई नव विवाहिता अपनी शादी का जोड़ा पहन कर श्रृंगार सहित खुद को टूटे दर्पण में देखती है तो भी अपशकुन होता है। तात्पर्य यह है कि दर्पण का टूटना हर दृष्टिकोण से अशुभ ही होता है। इसके लिए यदि दर्पण टूट जाए तो इसके टूटे हुए टुकड़ों को इकटठा करके बहते जल में डाल देने से संकट टल जाते हैं।
पैसे का शकुन
आज के इस युग में पैसे को भगवान माना जाता है। जेब को खाली रखना अपशकुन मानते हैं। कहा जाता है कि पैसे को अपने कपड़ों की हर जेब में रखना चाहिए। कभी भी पर्स खाली नहीं रखना चाहिए।
चाकू का शकुन
चाकू एक ऐसी वस्तु है, जिसके बिना किसी भी घर में काम नहीं चल सकता। इसकी जरूरत हर छोटे-छोटे कार्य में पड़ती है। इससे जुड़े भी अनेक शकुन-अपशकुन होते हैं। डाइनिंग टेबल पर छुरी-कांटे का क्रास करके रखना अशुभ मानते हैं, इसके कारण घर के सदस्यों में झगड़ा हो जाता है। मेज से चाकू का नीचे गिरना भी अशुभ होता है। नवजात शिशु के तकिए के नीचे चाकू रखना शुभ होता है तथा छोटे बच्चे के गले में छोटा सा चाकू डालना भी अच्छा होता है। इससे बच्चों की बुरी आत्माओं से रक्षा होती है व नींद में बच्चे रोते भी नहीं हैं। यदि कोई व्यक्ति आपको चाकू भेंट करे तो इसके बुरे प्रभाव से बचने के लिए एक सिक्का अवश्य दें।
झाडू का शकुन
घर के एक कोने में पड़े हुए झाडू को घर की लक्ष्मी मानते हैं, क्योंकि यह दरिद्रता को घर से बाहर निकालता है। इससे भी कई शकुन व अपशकुन जुड़े हैं। दीपावली के त्यौहार पर नया झाडू घर में लाना लक्ष्मी जी के आगमन का शुभ शकुन है। नए घर में गृह प्रवेश से पूर्व नए झाडू का घर में लाना शुभ होता है। झाडू के ऊपर पांव रखना गलत समझा जाता है। यह माना जाता है कि व्यक्ति घर आई लक्ष्मी को ठुकरा रहा है। कोई छोटा बच्चा अचानक घर में झाडू लगाने लगे तो समझ लीजिए कि घर में कोई अवांछित मेहमान के आने का संकेत है। सूर्यास्त के बाद घर में झाडू लगाना अपशकुन होता है, क्योंकि यह व्यक्ति के दुर्भाग्य को निमंत्रण देता है।
बाल्टी का शकुन
सुबह के समय यदि पानी या दूध से भरी बाल्टी दिखाई दे तो शुभ होता है। इससे मन में सोचे कार्य पूरे होते हैं। खाली बाल्टी देखना अपशकुन समझा जाता है, जो बने-बनाए कार्यों को बिगाड़ देता है। रात को खाली बाल्टी को प्रायः उल्टा करके रखना चाहिए एवं घर में एक बाल्टी को अवश्य भरकर रखें, ताकि सुबह उठकर घर के सदस्य उसे देख सकें।
लोहे का शकुन
घर में लोहे का होना शुभ कहा जाता है। लोहे में एक शक्ति होती है, जो बुरी आत्माओं को घर से भगा देती है। पुराने व जंग लगे लोहे को घर में रखना अशुभ है। घर में लोहे का सामान साफ करके रखें।
हेयरपिन का शकुन
हेयरपिन एक बहुत ही मामूली सी चीज है, परंतु इसका प्रभाव बड़ा आश्चर्यजनक होता है। यदि किसी व्यक्ति को राह में कोई हेयरपिन पड़ा मिल जाये तो समझो कि उसे कोई नया मित्र मिलने वाला है। वहीं यदि हेयर पिन खो जाये तो व्यक्ति के नए दुश्मन पैदा होने वाले हैं। हेयरपिन को घर में कहीं लटका दिया जाए तो यह अच्छे भाग्य का प्रतीक है।
काले वस्त्र का शकुन
काले वस्त्र बहुत अशुभ माने जाते हैं। किसी व्यक्ति के घर से बाहर जाते समय यदि कोई आदमी काले वस्त्र पहने हुए दिखाई दे तो अपशकुन माना जाता है, जिसके बुरे प्रभाव से जाने वाले व्यक्ति की दुर्घटना हो सकती है। अतः ऐसे व्यक्ति को अपना जाना कुछ मिनट के लिए स्थगित कर देना चाहिए।
रुई का शकुन
रूई का कोई टुकड़ा किसी व्यक्ति के कपड़ों पर चिपका मिले तो यह शुभ शकुन है। यह किसी शुभ समाचार आने का संकेत है या किसी प्रिय व्यक्ति के आने का संकेत है। कहा जाता है कि रूई का यह टुकड़ा व्यक्ति को किसी एक अक्षर के रूप में नजर आता है व यह अक्षर उस व्यक्ति के नाम का प्रथम अक्षर होता है, जहां से उस व्यक्ति के लिए शुभ संदेश या पत्र आ रहा है।
चाबियों का शकुन
चाबियों का गुच्छा गृहिणी की संपूर्णता का प्रतीक है। यदि गृहिणी के पास चाबियों का कोई ऐसा गुच्छा है, जिस पर बार-बार साफ करने के बाद भी जंग चढ़ जाए तो यह एक अच्छा शकुन है। इसके फलस्वरूप घर का कोई रिश्तेदार अपनी जायदा सपनो से मिले वाले द में से आपको कुछ देना चाहता है या आपके नाम से कुछ धन छोड़कर जाना चाहता है। चाबियों को बच्चे के तकिए के नीचे रखना भी अच्छा होता है, इससे बुरे स्वप्नों एवंबुंरी आत्माओं से बच्चे का बचाव होता है।
बटन का शकुन
कभी-कभी कमीज़, कोट या अन्य कोई कपड़े का बटन गलत लग जाए तो अपशकुन होता है, जिसके अनुसार सीधे काम भी उल्टे पड़ जाएंगे। इसके दुष्प्रभाव से बचने के लिए कपड़े को उतारकर सही बटन लगाने के बाद पहनें। यदि रास्ते चलते आपको कोई बटन पड़ा मिल जाए तो यह आपको किसी नए मित्र से मिलवाएगा।
Dreams Analysis
ख्वाबनामा यह नहीं है कि ख्वाब सिर्फ निद्रावस्था में ही दिखाई देते हों, अपितु जाग्रतावस्था में भी उतनी ही सरलता से ख्वाब देखे जा सकते हैं । फर्क सिर्फ इतना होता है कि जाग्रतावस्था में हम अपनी इच्छानुसार ख्वाब देख सकते हैं जबकि निद्रावस्था में देखे जाने वाले ख्वाबों पर हमारा या हमारे मन का कोई नियंत्रण नहीं होता है ।
ख्वाबों की ताबीर विचार के समय ‘स्वप्न दर्शन काल’ अर्थात् स्वप्न देखे जाने का समय स्वप्न-फल से महत्त्वपूर्ण संबंध रखता है । यथा रात्रि के प्रथम प्रहर के स्वप्न-फल एक वर्ष पश्चात्, द्वितीय प्रहर के स्वप्न फल छः मास के पश्चात्, तृतीय प्रहर के स्वप्न का फल तीन माह पश्चात् और चतुर्थ प्रहर के स्वप्न का फल एक माह पश्चात् मिल जाता है । सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण समय ब्रह्ममुहूर्त अर्थात् सूर्योदय से पूर्व देखे जाने वाला स्वप्न पूर्णत: सत्य पर आधारित होता है । और इसका फल भी तत्काल मिलता है । यहाँ कुछ स्वप्नों के परिणाम प्रस्तुत है –
ख्वाबों की ताबीर
अंगूठी – विवाहित मनुष्य द्वारा ख्वाब में सोने की अंगूठी देखना द्रष्टा के व्यापार में उन्नति और सफलता का सूचक है । विवाहित स्त्री यही ख्वाब देखे तो उसे पुत्र पैदा होगा । यदि कोई कुंवारा यह देखे तो उसका विवाह मनचाही स्त्री से होगा ।
अण्डे – ख्वाब में अण्डे देखना या अण्डे खाना बहुत शुभ होता है । टूटे हुए अण्डे देखना झगड़े और मुकदमेबाजी की सूचना देता है । मुर्गी के अण्डों का ढेर देखना व्यापार में वृद्धि और लाभ का सूचक है ।
अर्थी – यदि ख्वाब में अर्थी देखे तो वह विवाह अथवा किसी समारोह में शामिल होगा । यदि वह अर्थी ले जाने वालों के साथ सम्मिलित हो तो उसे किसी बारात का निमंत्रण मिलेगा ।
अप्सरा – यदि कोई पुरुष ख्वाब में अप्सरा देखे तो उसे समस्त प्रकार का सुख और प्रसन्नताओं की प्राप्ति होगी । यदि कोई स्त्री यही ख्वाब देखे तो अच्छा शगुन है । कुंवारी कन्या यही ख्वाब देखे तो उसका शीघ्र ही विवाह होगा ।
आग के शोले देखना – जो व्यक्ति जलती हुई आग के शोले देखे उसे बहुत खुश होना चाहिए, अगर ख्वाब में आग का देखने वाला कुंवारा है तो जीवन साथी मन पसन्द मिलेगा, यदि सूखा पड़ा हो तो बरसात बहुत होने का संकेत है ।
आसमान देखना – ख्वाब में आसमान देखना बहुत अच्छा है । ऊँची पदवी प्राप्त हो, समाज में ऊँचा स्थान मिले, भाग्यशाली पुत्र उत्पन्न हो, अगर आसमान पर स्वयं को उड़ता हुआ देखे तो यात्रा को अवसर मिले और जिस उद्देश्य से यात्रा हो उसमें पूर्ण सफलता मिले ।
आग जलाकर भोजन बनाना – यदि कोई चूल्हे या भट्टी की जलती आग में खाने का कोई सामान बनाते हुए देखे तो उसे बहुत प्रसन्न होना चाहिए । यदि वह व्यापारी है तो बहुत लाभ हो । नौकर है तो वेतन बढ़ जाए, अकारण खर्च न बढ़ेंगे और हर प्रकार का सन्तोष प्राप्त होगा । यदि आग जलाते हुये खवाब में कपड़ा जल जाए तो कई प्रकार के दुःख मिले, आंखों को किसी प्रकार की पीडा या रोग हो ।
अखरोट देखना – खूब बढ़िया भरपूर भोजन पाए । धन में लाभ और संतोष मिले । इमारत देखना – धनाढ्य बन जाए, नगर सेठों में नाम आए. इज्जत और सम्मान मिले । इकरार करते देखना – किसी को झूठी दिलासा न दे । सत्य वचन कहे तो खुशी हो ।
इश्तेहार पढ़ना – कुछ खो जाये, झूठे व्यापारी से हानि हो, कष्ट मिले । इम्तेहान पास करना – काम पूरा होगा, प्रेमिका मिले, यश और धन का लाभ ।
इत्र (इतर) लगाना – अच्छे कर्मों का पुण्य हो, मनचाही स्त्री से निकटता मिले, संसार में इज्जत मिले, ख्याति पाये । उल्लू देखना – किसी की मृत्यु का समाचार मिले, तबाही आए, सूखा पड़े या बाढ़ या भूचाल आये, दुःख का संकेत है यही हाल उजड़ा गाँव या खेत देखने पर होगा ।
उस्तरा देखना – चिन्ता मुक्त हो, जेब कट जाए, बीमारी दूर हो ।
ऊबड़-खाबड़ रास्ता देखना – परेशानी उठाए लेकिन अन्त में सफलता पाये ।
ऊँचे वृक्ष देखना – उद्देश्य पूर्ति में देर लगेगी, इज्जत और मान प्राप्त हो ।
ऊन देखना – ऊन वाली भेड़ या ऊनी कपड़े या ऊन का ढेर देखे तो धन का लाभ हो, चिन्तायें मिटे, कई प्रकार का सुख भोगने को मिले ।
ऊँचे पहाड़ देखना – कठिनाई के बाद राहत पायेगा, कोई बड़ा कार्य करें । कब (लम्बा ढीला कुर्ता ) पहनना – विवाह हो जाए, खुशहाली हो । इज्जत और स्नेह प्राप्त हो । दुश्मन मित्र बन जायें, शुभ समाचार मिले।
कत्ल करना (स्वयं को) – अच्छा सपना है, लेकिन बुरे कामों से बचें और धर्म कर्म की ओर ध्यान दें, बुरों की संगति से बचना आवश्यक है ।
कब्र खोदना – नव निर्माण करे, मकान बनाए, धन पाए, खुशहाल बने ।
कदम देखना – शान शौकत बढ़े । धन और विश्वास का पात्र मिले । स्त्री देखे तो पुत्र प्राप्त हो, दुःखी देखे तो दुःख मुक्त हो । मालदार देखे तो कोई सुन्दर स्त्री हाथ थामे जिसके साथ आनन्द मिले । बीमार देखे तो स्वस्थ हो जाए ।
कैंची देखना – प्रेमीजी, पत्नी या मित्र से आदवत हो, दुःख पहुंचे ।
काफिला देखना – यदि खुशहाल लोगों को आते देखे तो तबाही आए, जाते देखे तो मनोकामना सिद्ध होगी । यात्रा करनी पड़े और कष्ट के बाद राहत पाए ।
किला देखना – खुशी प्राप्त होगी । दुश्मन से सुरक्षित रहे, शान्ति और सुख का संदेह है । कहीं से शुभ संदेश मिले जिससे खुशी बढ़ जाए ।
कफन देखना – चिरायु हो । हर प्रकार की बीमारी से स्वास्थ्य लाभ होगा । कोई सगा सम्बन्धी बीमार हो तो अच्छा हो जाए ।
काबा शरीफ का दीदार करना – बहुत बड़ा ओहदा मिले या धन का लाभ हो । अच्छे कार्य करके नामवर हो जाए । हर प्रकार का सुख मिले ।
कमंद देखना – बड़ा काम पड़े किन्तु सहयोगी मिले । सफलता और ऊँचा स्थान प्राप्त होगा । किसी प्रकार का सुख मिले । शुभ समाचार आए ।
कमल देखना – साधुसन्तों से ज्ञान की प्राप्ति हो । विद्या धन मिले । उत्तीर्ण हो, पत्नी सुन्दर मिले । प्रेमिका सुन्दर और बुद्धिमान मिले ।
कोयल देखना – प्रेम जाल में फंसकर दुःख पाय, लेकिन प्रेयसी से मिलन हो और सुख पाये । मुसीबत आए पर तुरन्त दूर हो जाए । धन मिले पर शीघ्र ही खर्च हो जाए ।
काला कुत्ता देखना – कार्य में सफलता होगी । बिगड़े काम बनेंगे । दुश्मन अपने आप दोस्त बन जायेंगे ।
कूड़े करकट का ढेर देखना – धन मिलेगा लेकिन बहुत कठिनाई के बाद, अभी तो बहुत दिन दुःख भोगने है ।
काले कपड़े पहिनना – नगर का कोई बड़ा आदमी संसार से विदा होगा, देखने वाले को राहत मिलेगी ।
खून पीना – हराम का माल खाए, बुराई करे किसी की हत्या करे और फिर पापों का प्रायश्चित करे बुरे काम को छोड़ दे ।
खाक (धूल-मिट्टी) की बारिश देखना – मुसीबतें टल जायें, धन मिले । दुश्मनी समाप्त हो जाए दुश्मन दोस्त बन जाये ।
खाना परोसना – सुख शांति का आगमन हो, शादी हो । पत्नी सुशील मिले ।
खिलौने देखना – सन्तान का जन्म हो, आँखों का सुख मिले । पत्नी राजी हो ।
खच्चर का दूध पीना – हर समय चिन्ता में उलझा रहे । कोई काम बनाये न बने । लज्जित और तुच्छ बना रहे ।
खजूर देखना – विद्या मिले, अच्छे कामों से मन को खुशी मिले । दीन का ज्ञान प्राप्त हो । खजूर की गुठली देखे तो रंज हो, यात्रा करनी पड़े । खजूर बटोरते देखे तो अच्छी बातें सुने, अच्छे काम करे । खजूर चीरकर गुठली निकालें तो मनोकामना पूर्ण हो, पुत्र प्राप्त हो ।
खूबानी देखना – बीमारी या दुःख सामने आए, किन्तु शीघ्र ही राहत हो ।
खसखस देखना – खसखस पोस्त के बीज को कहते हैं, देखे तो हलाल रोजी पाए, नेकी के काम करे और लोगों में सम्मान पाए, खुदा के सामने अच्छे बने ।
खेमा देखना – बादशाह अर्थात् सरकारी अधिकारियों, मंत्रियों की निकटता प्राप्त हो, प्रेमिका कुंवारी से काम सुख मिले, जायदाद खरीदे या पाये, काफी ख्याति अर्जित करे । खाल देखना – खाल हलाल जानवर की है जो रोजी खूब मिले, मुरदार हो तो दुःख और गुनाहों में फंसे, हिरण की खाल हो तो काम करे और बहुत नाम पाए, खाल शेर की हो तो शत्रु से विजय पाये ।
खाट देखना – मनहूस हैं, देखने वाले को खुदा को याद करना चाहिए यदि खाट पर बिछौना देखे तो शादी हो, आराम मिले, काम खराब मिले, इतना कि हरदम उसी में खोया रहे और सब कुछ बन जाए । बीमार पड़े ।
खेत देखना – विद्या और धन का लाभ हो, खुशहाली हो, घर भूरा पूरा रहे ।
खलिहान देखना – जो इरादा है वह पूरा हो जाये, कोई काम अटकेगा सम्मान मिले जमीन जायदाद से लाभ होगा मालिक या अधिकारी से दोस्ती जो खुशी का संकेत है ।
खुले किवाड़ देखना – हर काम जो करेगा उसमें सफलता, हर यात्रा सफल हर दुश्मन परास्त कोई चिन्ता न रहे बिगड़ी बन जायेगी खुशहाली आयेगी । आशा के विपरीत धन मिले, विपत्तियां दूर हो शोहरत और इज्जत मिले, व्यापार में लाभ हो, सरकारी दरबार में जाने का अवसर मिले ।
गधा देखना – प्रेम और स्नेह का चिन्ह है यदि लदा हुआ पाये तो बहुत लाभ हो हर तरह का सुख मिले । व्यापार में लाभ हो ।
गधे की सवारी करना – सरकारी दरबार में स्थान मिले, व्यापार में लाभ हो संकट टल जाये, कोई शुभ समाचार मिले ।
गुलाब देखना – ऊंचा स्थान मिले जनता में लोकप्रियता, व्यापार करे तो बहुत लाभ हो । शुभ समाचार मिले । दोस्तों से स्नेह और दुश्मनों से सन्धि पड़े, प्रेमिका से मिलन हो ।
गोश्त (कच्चा ) खाना – भाई से दुःख मिले, हराम का माल हाथ आए और वही दुःखों का कारण बने ।
गालियां देते देखना – देते हुये या सुनते हुये देखे तो बुरी बातों से बचे, बुरा काम करे और बदनामी पाये ।
गली देखना – यदि सुनसान है तो लाभ होगा । लोगों से भरी है तो मुहल्ले में किसी की मृत्यु हो, खुशहाली कठिनाई से जाएगी ।
गोबर देखना – कुबेर का धन मिले । खेती में अन्न उपजे, दूध घी की कमी न हो । शुभ समाचार आये ।
घोडा (काले रंग का) देखना – बड़ा स्थान पाएगा, नामबर होगा. सब जगह सम्मान होगा ।
घोड़ी देखना – कुंवारा हो तो शादी की तैयारी करे पत्नी सुन्दर मिलेगी ।
घी देखना – धन दौलत मिलेगी, तंगी नहीं रहेगी ।
घास देखना – लाभ ही लाभ होगा । खुशहाली आयेगी, कोई शुभ समाचार मिलें ।
घर (लोहे का ) देखना – बहुत शक्ति, धन, यश, सन्तान, पत्नी, प्रेमिका मित्र, सम्बन्धी हर प्रकार का सुख प्राप्त होगा ।
चाँद देखना – बादशाह (प्रधान या प्रधानमंत्री) बन जाये, पत्नी सुन्दर और सुघड़ मिले, कुबेर का धन प्राप्त हो ।
चाँदी गलाते हुए देखना – अपने ही लोगों से बैर हो, चिन्ताओं के संकट में घिर जाए और कई प्रकार का दुःख पाये ।
चादर देखना – पत्नी वफादार और सुशील मिले । कोई बुरा करने की भूल हो जाय जिसके परिणामस्वरूप लज्जित होना पड़े ।
चक्की देखना – जनता में सम्मान पाए, लोगों को अच्छी सलाह दे, यात्रा सामने आए, सकुशल वापसी हो । चींटियां देखना – वह घर उजड़ जाए । रहने वाले कम हो जायें, दुःख हो संकट आए ।
जाम देखना – हर काम में सफलता होगी, बुद्धि बढ़ेगी और कई प्रकार की ऐसी विशेषताएं प्राप्त होगी जिनसे मनुष्य लोकप्रिय होता है ।
जेल देखना – जग हँसाई हो, बदनामी के काम करे, जेल से बाहर आता देखे तो उद्देश्य सफल होगा ।
जहाज देखना – क्रोध और अदावत से मुक्ति मिले, माल का व्यय बहुत हो किन्तु मन का संतोष रहे किसी प्रकार की चिन्ता हो वह दूर हो जाये ।
जल्लाद देखना – कोई बुरा काम करे, दुःख पाये, दुश्मन का भय रहे किन्तु आयु बढ़ेगी ।
जंग देखना – किसी पर लांछन न लगाये । पीठ पीछे बुराई न करे अन्यथा बड़ी मुसीबत खड़ी हो जायेगी और सपना देखने वाला ही नहीं सारा परिवार परेशान हो सकता है ।
जंगल देखना – कोई कष्ट चल रहा है वो शीघ्र दूर होगा, आराम और खुशी का सन्देश है । यदि जंगल में सूखे पेड़ है तो दुःख बीमारी का संकेत भी है ।
जालिम को देखना – बुरे काम में फंस जाए, दुःखों का सामना करना । बहुत दुःख पाये, दान करे, शुभ कार्य में मन लगाए ।
झाडू देखना – ख्वाब मनहूस है, परेशानी हो तंगी जाए, दान देना चाहिए ।
जलसा देखना – अगर जलसे में लोगों को प्रसन्न देखे तो सुख पाये यदि दुःखी देखे तो अपने किसी निकटवर्ती के विषय में अशुभ समाचार सुने ।
जंजीर हाथ में लेना – गुनाहों में फंस जाए, पकड़ा जाए या मुकदमा चले. सवारी होगी, दुःख झेलना होगा । किसी से प्रेम में कष्ट उठाए ।
जिन्दा व्यक्ति को मृत देखना – जिसे देखे उसकी आयु बढ़े, परेशानी दूर हो । खोये हुये के मिलने का समाचार मिले । किसी प्रकार का भी शुभ समाचार मिल सकता है ।
जहर खाना – लोगों में अकारण बुरा बनना होगा । बदनाम होना पड़ेगा. गलत कामों से बचें । अच्छे लोगों की संगति में बैठे । ठण्ड से ठिठुरना – अगर देखने वाला बहुत दिनों से दुःखी है तो उसे हर तरह का सुख शीघ्र ही मिलने वाला है ।
ठोकर मारना – बड़ा स्थान मिले । शत्रु पर विजय पाए । सुन्दर स्त्री मिले या फिर सन्तान की प्राप्ति हो । धन दौलत का सुख भी मिल सकता है ।
डोली सजाते देखना – मनोकामना पूरी हो । कोई ऊँचा स्थान मिले । विवाह हो या नेता चुना जाए ।
डिबिया देखना – मन की बात खुल जाने के कारण शर्मिन्दा होना पड़े कोई ऐसी बात हो जाए जिससे अकारण की उलझन हो ।
डाकिया देखना – शुभ सूचना आए, चिरायू हो, किसी बिछुड़े यार का पत्र कुशलता का आए ।
डलिया देखना – मनोकामना पूरी होगी, किसी ऐसे साधन से लाभ होगा जिसके विषय में कभी सोचा तक नहीं होगा ।
डाकू देखना – दुश्मन से डर है, कोशिश करो कि मामला बातचीत से तय हो जाए, कोई ऐसा मित्र भी दुश्मन हो सकता है, जिस पर बहुत भरोसा हो । बेटी बहिन जवान है तो शीघ्र विवाह का प्रयास करना चाहिए, अपनी पत्नी पर नजर रखना आवश्यक है ।
ढाक का वृक्ष देखना – किसी साधु, सन्त, पीर, फकीर की संगत मिले, भोजन भरपूर मिले, मनोकामना सिद्ध होने का संकेत है ।
ढलता हुआ सूरज देखना – परेशानी और धन के विघटन की निशानी है, सूर्य अस्त होता देखे तो किसी की मौत का समाचार मिले ।
ताबूत देखना – अपना ताबूत, अर्थी या जनाजा देखने का फल यह है कि जिस काम को कर रहे है, उसमें पूर्ण सफलता, जिस दुश्मन से दुश्मनी चल रही है उस पर विजय होगी ।
तोशक (गद्दा ) देखना – विवाह हो । पत्नी कुंवारी से प्रेम और कामसुख । तुर्श (खट्टा मेदा) खाना – रंज और दुःख का सामना हो । चिन्ताएं घेरे रहे । परेशानी सामने आए । दान के शुभ कार्य करे तो कठिनाई दूर हो ।
तिलिस्म देखना – चिरायु हो, बड़े लोगों की संगति हो, दुश्मन नीचा देखें । कोई शुभ समाचार आए ।
थूकना किसी पर – जिस पर थूकेगा उस पर दुःख पहुंचे । यदि दुश्मन पर थूके तो दुश्मन परास्त हो, थूक जिस पर गिरे वह मर जाए या फिर अपमानित हो । दाँत (अपना) उखाड़ना – माल जमा हो, लोगों के साथ निर्दयता का व्यवहार करे । सावधान रहना चाहिए ।
कांटेदार दरख्त देखना – बीमारी और दुःख पाए परेशानियां भोगे, व्यापार शुरू करने का इरादा हो तो न करे घाटा होगा ।
दाँत कुरेदना – अपनों से दुश्मनी हो या कोई ऐसा काम करे जिसमें उसे अपनों बेगानों के सामने लज्जित होना पड़े ।
दाढ़ी देखना – हर तरफ इज्जत हो । समाज में ऊँचा स्थान प्राप्त हो । लोग बात को मानें और पसन्द करे । दाढ़ी जितनी घनी देखेंगे उतनी ही इज्जत बढेगी ।
दुशाला देखना – किसी बड़े आदमी की बातों से खुशी हो, विद्या की प्राप्ति हो । विद्यार्थी देखे तो परीक्षा में उत्तीर्ण हो ।
दवाई पीना – बुरे काम त्याग दे और सीधा रास्ता अपनाए । पापों का प्रायश्चित करे अच्छा आदमी बन जाए । दरिया (नदी) देखना – नेता या बड़े अधिकारी से दोस्ती का लाभ हो । धन बहुत हाथ आए, जिस व्यापार में हाथ लगाए घाटा न हो तो इरादा करे पूरा हो जाए, खुशी का समाचार मिले डूबता देखे तो हानि हो तैरना देखे तो सफलता पाए ।
दौलत देखना – पत्नी गर्भवती हो, किसी स्त्री से लाभ हो, सन्तान की प्राप्ति हो, व्यापार में लाभ हो, खुशी ही खुशी है ।
दलदल देखना – परेशानी हर प्रकार के होने का संकेत है । चिन्तायें घेरे रहेगी ।
देगची देखना – पवित्र स्त्री से निकटता पाए, धन मिले, शुभ समाचार मिले चूल्हा भी साथ में देखे तो बढ़िया घर बनवाए खाने की कभी तंगी न हो ।
धुआँ देखना – दुःख कष्ट, यातनायें मिले, शहर में दंगा फसाद हो, देश में युद्ध हो, मित्रों से बुराई हो, दान करे और शुभ कार्यों तथा अच्छी संगत में समय लगाएं ।
धोबी देखना – काम सफल होगा, बुरी आदतों का मैल जीवन से धुल जाएगा, चिंता की बात नहीं ।
धार्मिक ग्रन्थ देखना – विद्वान बने, इज्जत पाए, दीन दुखियों में भलाई हो, किसी प्रकार का दुःख न रहे । खुशहाल रहे ।
नाव देखना – कुंवारी से काम सुख प्राप्त हो । यदि स्त्री देखे तो पुरुष मनपसंद मिले और लाभ उठाए । हर प्रकार का सुख मिले ।
नान देखना – मित्रों से मिलन हो । धन और आराम का संकेत है चिरायु हो, बिगड़े काम बन जायेंगे ।
नशे में (स्वयं को) देखना – अमीरी और ऐश का संकेत है, इतना धन मिले कि अपने कर्त्तव्य को भूल जाए जैसे नशे में मनुष्य को कुछ याद नहीं रहता है ।
नमाज पढ़ते देखना – हर प्रकार के सांसारिक कष्टों से बचाव होगा. व्यापार में वृद्धि और दोस्तों की संख्या बढ़ेगी । दुश्मन घटेंगे, कोई कष्ट नहीं होगा । जीवन में खुशहाली आने का संकेत है ।
नदी / नाले में गिरते देखना – कई प्रकार के संकट घेर लें लेकिन अन्त में दुःख दूर हो और खुशहाली आए । दान देकर संकट दूर करें ।
नथनी देखना – पत्नी कुंवारी मिले । काम सुख मिले । वेश्यागमन न करे अन्यथा बदनाम होकर अपमानित होगा ।
नीम का पेड़ देखना – रोग कटेगा, प्रतिदिन सेवन करें, पुत्र शक्तिशाली पत्नी निरोग मिले ।
नीलम ( रत्न ) देखना – मनोकामना पूर्ण होगी । दुश्मन परास्त होंगे, प्रेमिका से मिलन होगा ।
पाँव देखना – जिसे देखे उसकी आयु बढ़े, परेशानी दूर हो । खोये हुए के मिलने का समाचार मिले । पालदार नौका देखना – शत्रु पर विजय प्राप्त हो । तीर कमान और अन्य हथियारों के विषय में भी यही फल विचारने वालों ने बताया है ।
पासा फेंकते देखना – मुकद्दर से संघर्ष हो रहा है, अभी थोड़ा समय है सफलता में ।
पंजा कटा देखना – कष्ट और दुःखों का संकेत है, किसी प्रकार की हानि का सामना करना पड़ सकता है । सावधान रहना चाहिए ।
पिस्तान (औरत की छाती) देखना – पत्नी मिले, सन्तान की प्राप्ति हो, हर प्रकार का सुख मिलने का संकेत है ।
पलंग देखना – दुनिया में झूठा बनकर अपमानित होगा, लोग विश्वास नहीं करेंगे, अत्यन्त नीच समझा जाएगा, सावधान रहे ।
फूल देखना – सपने में सफेद तथा रंगीन फूल दिखाई दे तो पुत्र की प्राप्ति हो, धन का लाभ हो, चैन राहत मिले । फूल काले हो तो दुःख मिले । फूल के पास कंटीली झाड़ियां देखे तो मुसीबतों के बाद राहत मिले ।
फावड़ा देखना – कठिन परिश्रम के पश्चात् ही सुख मिलेगा । मेहनत की कमाई खायेगा और हर प्रकार की शान्ति रहेगी किन्तु धन की कमी रहेगी ।
फटे हुए कपड़े देखना – चिन्ताओं में घिर जाना पड़े । दुःख मिले, धन की हानि । यही हाल फटे पुराने जूते देखने का है । दान करें ईश्वर की उपासना करें ।
फकीर देखना – दुनिया और दीन में भलाई होगी । मनोकामना पूरी होगी । साधु सन्तों की संगति मिलेगी, जीवन सफल हो जाएगा ।
फर्श (बिछा हुआ) देखना – किसी की शादी या मृत्यु का समाचार मिले । सरकार दरबार में सम्मान पाए ।
बालू रेत देखना – अधिक देखे तो कम धन का लाभ, कम देखे तो अधिक धन का लाभ होता है । बालू को छानते देखे तो परेशानी हो लेकिन दुश्मन से मुक्ति माल का व्यय, अकारण राज्य पर संकट ।
बिच्छू देखना – दुश्मनों से कष्ट मिले, हानि पहुंचे, सावधान रहना आवश्यक है ।
बर्फ खाते देखना – दिल की खुशी हो, किसी तरह की चिन्ता हो तो दूर हो जाए, खुशी और समृद्धि मिले ।
बादाम देखना – धन, व्यापार और काम में उन्नति नौकरी में ऊँची पदवी मिले, हर तरह का सुख मिले, स्त्री चैन पाये ।
बरसात देखना – यदि तमाम बस्ती पर पानी बरसता देखे तो खुशहाली और सुख है । केवल अपने घर में देखे तो तबाही और दुःख होगा । बरसाती या छतरी लगाकर के चलता देखे तो दुःख दूर होंगे, सुख मिलेगा ।
बांसुरी देखना – मृत्यु निकट है या फिर बहुत दुःखदायी बीमारी का सामना करना होगा । दान दे शुभ कार्य करे ।
बाजू देखना – यदि कोई खुवाब देखे कि उसकी अपनी बांह कट गई है अपने भाई या किसी निकटवर्ती सम्बन्धी की मृत्यु का समाचार है ।
भोजन की थाली देखना – ऐश और आराम का संकेत है, लेकिन कठिन मेहनत के पश्चात् ।
भिखारी देखना – कोई अच्छा कार्य करे, राहत होगी ।
भैंस देखना – धन भोजन की प्राप्ति ।
मिठाई खाना – सुख पाए, दोस्ती बढ़े, प्रेम और स्नेह पाए, प्रेमिका से मिलन हो पत्नी मन पसन्द पाए, बिगड़े काम बन जायेंगे ।
मछली देखना – एक या दो देखे तो सुन्दर हसीना से विवाह हो, बड़ी हो तो खूब धन पाए और छोटी हो तो गरीबी और तंगी का सामना करना पड़े ।
मुर्दा शरीर से आवाज सुनना – उस उद्देश्य की प्राप्ति होगी । जिसको पाने के बाद भी निराशा ही हाथ लगेगी, लाभ नहीं होगा, होगा तो काम न आएगा ।
मुर्दा उठाकर ले जाते हुए देखना – हराम का माल हाथ आए जिसका लाभ दूसरे उठायें । राहत नहीं मिलेगी । ऐसे माल के न मिलने की दुआ मांगे जो मुसीबतों में उलझा दे ।
मुर्दे को जिन्दा देखना – यदि वह वृद्ध हो तो ज्ञान प्राप्त करे, अच्छा काम करे । यदि वह सुन्दर और जवान है तो खुशहाली पाए । चिन्तायें समाप्त हों । मस्जिद देखना – यदि बनाते देखे तो मनोकामना पूरी हो, केवल देखे तो भी राहत हो । कहीं से शुभ समाचार होगा ।
मीट देखना – ज्ञान की वृद्धि, मनोकामना पूरी होगी जो इरादा है वह शीघ्र पूरा होगा ।
मिर्च खाना – लड़ाई हो लेकिन सुलह हो जाए, परीक्षा में उत्तीर्ण हो किसी की बात सहन न हो ।
मलाई खाना – धन का लाभ हो, बिना मेहनत दौलत मिले प्रेमिका से मिलन की आशा के विपरीत हो । खोया हुआ माल मिल जाये, जीवन में शान्ति और आराम मिले ।
मुरझाए फूल देखना – दुःख होगा, अशांति बढ़ेगी सन्तान की हानि ।
मोमबत्ती देखना – विद्वान बने खुशी पाये, पुत्र पाये, पत्नी सुन्दर से विवाह होगा ।
मुर्ग-मुसल्लम खाना – बहुत जल्दी उन्नति कारोबार की हो । धन का लाभ हो ख्याति पाये ।
मल-मूत्र देखना – लज्जा के काम करे । माहवारी के कपड़े, वीर्य के धब्बे देखे, तो भी ऐसा ही हो । जग हँसाई हो, पाप कमाये, दान दे, सज्जन पुरुषों की संगति करे तो काफी लाभ होगा ।
रेलगाड़ी देखना – यात्रा हो, कष्ट हो लेकिन अन्त में राहत मिले, कोई शुभ सन्देश मिलेगा, सावधानी की आवश्यकता है । रेलवे स्टेशन देखना – यात्रा होगी, लाभ होगा, सकुशल लौटना होगा, खुशी मिलेगी ।
रेडियो देखना – कोई लाभ न कोई हानि केवल समय का ध्यान आपको नहीं है इस मारे प्रगति नहीं कर रहे ।
रद्दी का ढेर देखना – धन काठ कबाड़ से प्राप्त हो, रोकड़ हाथ आये, व्यापार पुराने माल का शुभ है ।
लिबास मैला देखना – रंज परेशानी और बदहाली का संकेत है । ऐसे काम हो जिनसे लज्जित होना पड़े । लिबास साफ सफेद हो तो सुख हो । पीला छोड़कर किसी रंग का लिबास दरबार में पहुंचे हो । केवल पीले वस्त्र देखने पर तबाही, बरबादी और दुःख की सम्भावना है ।
लिंग (बड़ा) देखना – सन्तान खूब हो । स्त्री सुख प्राप्त हो । काम वासना बढ़ी रहे । शक्ति प्राप्त हो और वासना के नशे में चूर रहे । लिंग और योनी एक साथ देखने का फल यह है कि चिन्तायें घेर लें । यदि किसी से सम्बन्ध हो तो उससे राहत पाये ।
लगाम देखना – ईमानदारी और अच्छे काम करके लोकप्रिय हो जाएगा ।
लुहार देखना – कड़ी मेहनत करनी होगी तब अपार सुख मिलेगा शक्ति बढ़ेगी, शत्रु नीचा देखेंगे, तेज और ख्याति बढ़ेगी ।
लोमड़ी देखना – मक्कार निकटवर्ती लोगों से हानि हो, पत्नी मनपसन्द न मिले ।
लंगूर देखना – मुसीबतों का अन्त होने का समय आ गया है यदि लंगूर पेड़ पर है तो देर लगेगी, धरती पर है तो शीघ्र सारी उलझनों का अन्त होगा । कहीं से आशा के विपरीत शुभ समाचार मिलेगा ।
लंगोटी देखना – आर्थिक कठिनाइयों का सामना रहे, परदेश जाना पडे तो भलाई की आशा है ।
वसीयत करना – समय कम है जितने नेक काम कर सकता हो कर ले । दान और खुदा से दुआ मांगे कि अन्त अच्छा हो ।
वकील देखना – कोई सहायक और मित्र बने जो उसे कठिनाइयों से निकाले मुकदमा चल जाए लेकिन विजय उसी की है ।
शराब देखना – हराम की कमाई से माल मिले, इज्जत खराब हो या दुश्मनी लडाई से कष्ट उठाने का संकट है ।
शरबत देखना – चिरायु हो, बीमार हो तो अच्छा हो जाए, परेशानी दूर हो, मित्रों से प्यार बढें रंज दूर हो ।
शतरंज देखना – वाहियात और व्यर्थ के कामों में समय बरबाद न करे यदि किसी से लड़ाई हो तो विजय पाये ।
सिलबट्टा देखना – सास ननद में कलह हो दुःख पाये अशांत रहे ।
सांप देखना – यदि सांप को मार दिया है या पकड़ लिया देखा है तो दुश्मन पर विजय मिले । आशा के विपरीत धन मिले । यदि साप से डर गया है तो दुश्मन से खतरा है, कोई मित्र ही शत्रु का रूप धारण कर सकता है । सांप को घर में देखे तो पत्नी से बेवफाई का डर है ।
सर्कस देखना – बहुत कठिनाई से दुनिया को खुश कर सकते हैं ।
सारंगी देखना – वेश्यागमन में समय, धन नष्ट करे ।
सीमा पार करना – विदेशी व्यापार से लाभ ।
सूअर देखना – बदमाशों और कमीनों का मुखिया बने, बेशर्म और कुकर्मी बनकर बदनाम हो । सुअर देखने वाला सावधान होकर ईश्वर की उपासना करे ।
सूर्य देखना – तेज बढ़े, ख्याति और धन की समृद्धि बढ़े, यशस्वी पुत्र प्राप्त हो । पत्नी का सुख मिले ।
सुलगती हुई आग देखना – दुःख बीमारी, दुश्मन से चिन्ता, शोक समाचार मिले ।
स्त्री की छाती से दूध टपकना – काम सुख मिले, पुत्र का जन्म हो, ससुराल से माल मिले ।
सीपी देखना – पानी में देखें तो हानि रेत पर पाये तो लाभ होगा ।
स्याही देखना – अपने कुल का मुखिया बने । टोले मुहल्ले के लोगों का अगुवा बने । सरकार में सम्मान प्राप्त हो ।
सायरन सुनना – भय से चिन्ता हो, शत्रु शक्तिशाली हो, लेकिन शीघ्र ही चिन्ता मुक्त हो ।
संदूक देखना – पत्नी या बांदी ऐसी मिले जिससे खूब सेवा मिले, दिल को चैन हो. खुशी का समाचार मिले आशा के विपरीत धन मिले ।
यात्रा से जुड़े शकुन - Travel Related Shakun
यात्रा से जुड़े शकुन ‘यथा सुराणां प्रवरो मुरारिर्गंगा नदीनां द्विपदां च विप्रः । तथा प्रधानः शकुनः प्रदिष्टो वाक्यम्भवो गर्ग पराशराद्यैः ।।’ जिस प्रकार सभी देवताओं में विष्णु श्रेष्ठ है, नदियों में गंगा श्रेष्ठ है, सभी द्विपदों में ब्राह्मण श्रेष्ठ है, उसी प्रकार ‘शकुन’ भी सब सूचक पदार्थों में प्रधान है । यह गर्ग, पाराशर आदि आचार्यों का कथन है । अन्य जन्मान्तरकृतं कर्म पुसांशुभाशुभम् । यत्तस्य शकुनः पाकं निवेदयति गच्छताम् ।। (वाराही संहिता) मनुष्यों के पूर्वजन्म में जो शुभ-अशुभ कर्म किए है, गमन के समय पक्षी आदि उस कर्म के पाक को प्रकाशित करते हैं, यही शकुन है ।
शकुन-शास्त्र में विभिन्न शकुनों का उल्लेख मिलता है । यहाँ कुछ मंगलकारी एवं अमंगलकारी शकुनों को वर्णित किया जा रहा है –
* यदि प्रस्थान के समय कोई लड़की, प्रस्थान की जाने वाली दिशा की ओर से सुन्दर एवं सौम्य रुप से भरा हुआ कलश लिए तथा बच्चे को लिए हुए आ रही हो, तो जिस उद्देश्य से यात्रा की जा रही है, वह निश्चित ही पूर्ण होती है ।
* यदि यात्रा प्रारम्भ करते समय नग्न व्यक्ति या साधु सामने से आता हुआ दिखे और वह अपने शरीर को देखता हुआ चल रहा हो, तो उस यात्रा में भय, शोक एवं कष्ट मिलता है ।
* यदि यात्रा प्रारम्भ करते समय काला एवं बड़ा ग्राम शूकर (सुअर- Pig) सामने आ जाए, तो उस यात्रा में भय, शोक एवं कष्ट मिलता है ।
* यदि प्रस्थान के समय सामने से वही पक्षी आ जाए, जिसके विषय में मन में सोच हो अथवा ताजा मांस दिखे या कीचड़ में खड़ा हुआ सुअर दिख जाएँ अथवा बनी हुई मछली, पका फल या तैयार शराब दिख जाए तो कार्य में सफलता मिलती है ।
* चलते समय वाहन की खराबी धन-हानि की सूचक है । वाहन का नष्ट हो जाना या खो जाना स्व-शरीर की हानि का सूचक है ।
* चलते समय आँसू दिखने से अनेक दुःखों एवं शोकों का अनुभव होता है और चलते समय कलह होने से मार्ग में प्रयोज्य सामग्री की हानि होती है ।
* यदि प्रस्थान के समय सामने से हाथी आता हुआ दिखे, तो व्यक्ति को अपने कार्य में सफलता मिलती है ।
* यदि चलते समय बायाँ अंग फड़कने लगे, तो उसे अत्यन्त अशुभकारी माना जाता है और यदि दायाँ अंग फड़कने लगे तो बहुत शुभकर रहता है ।
* यदि प्रस्थान के समय बैल अचानक ही सामने आ जाए अथवा चकोर, खंजन, काकोलक, हारीत या चाप (नीलकंठ) पक्षी दिख जाए, तो शुभ फल प्राप्त होते हैं ।
* यदि हम किसी कार्य से घर से निकलें और सामने गाय अपने बछड़े को दूध पिलाती हुई दिखे, तो यह शकुन जिस उद्देश्य से आप जा रहे हैं, उसके पूरा होने की सूचना देते हैं ।
* घर से प्रस्थान करते समय यदि सामने से कोई खाली घड़ा लेकर आ जाए, तो कार्य असफल रहता है । लेकिन यदि कुएं की ओर पानी भरने जा रहा है, तो उसे अशुभ नहीं माना जाता है ।
* प्रस्थान के समय छींक यदि सामने की तरफ से हो तो अनिष्टकारी होती है । स्वयं की छींक अत्यन्त अशुभ होती है । यदि सामने से गाय छींक दे, तो यात्रा में मृत्यु-तुल्य कष्ट होता है ।
* सन्मुख साँप का आना यात्रा के लिए जाने वाले को कष्टकारी रहता है । बाँयीं ओर से आना भी यात्रा को कष्टमय होने की सूचना देता है ।
* यदि यात्रा के समय कुत्ता यात्री का पाँव चाटें, कान फटफड़ाये, ऊपर दौड़ें तो यात्रा में विघ्न आता है । यदि कुत्ता अपने अंगों को खुजलावे, तो भी ठीक नहीं होता है ।
* एक या अधिक कु्त्ते इकठ्ठे होकर गावव के बीच में बीच में सूर्योदय के समय सूर्य की ओर मुख करके रोवें, तो उस गाँव के मुखिया का अरिष्ट होता है । मध्याह्न के समय रोना अग्नि-भय और मृत्यु-भय प्रकट करता है । सूर्यास्त के समय सूर्य की ओर मुख करके रोना किसानों के अशुभ की सूचना देता है ।
* गायों के साथ कुत्ते का खेलना अच्छी फसल, आनन्द एवं निरोगता की सूचना वहाँ के लोगों को देती है ।
* यदि किसी ग्राम या नगर के कुत्ते समूह में बार-बार शब्द करें, तो अनिष्ट की सूचना देते हैं ।
* रात्रि में गौ का बिना कारण के शब्द करना भय का कारण होता है, परन्तु बैल का शब्द मंगलकारी माना गया है ।
* यदि कौए किसी व्यक्ति के चारों ओर घुमें, तो उस व्यक्ति को भयकारी होता है । सामान्यतः कौवे रात्रि में नहीं बोलते हैं, यदि वे रात्रि में बोलने लगें, तो वहाँ के निवासियों को अशुभता की सूचना देते हैं ।
* यदि कौए अकारण ही किसी भवन के ऊपर इकठ्ठे होकर आवाज करें, तो यह उस भवन में रहने वालों को किसी अनिष्ट की सूचना देते हैं ।
* सियारी (गीदड़ी) का रोना अत्यन्त अशुभ माना गया है, यदि यह शाम के समय किसी गाँव या शहर की सीमा पर तीन दिन तक रोज बोलती रहे, तो वहाँ के रहवासियों को कष्टों के आगमन की सूचना देती है ।
दाम्पत्य जीवन से जुड़े शुभाशुभ स्वप्न
दाम्पत्य जीवन से जुड़े शुभाशुभ स्वप्न स्वप्न में जीवन हे हर क्षेत्र के विषय में शुभाशुभ संकेत मिलते हैं । स्वप्नों में दाम्पत्य जीवन के विषय में भी जाना जा सकता हैं । किसी व्यक्ति का किसी व्यक्ति का दाम्पत्य जीवन सुखपूर्वक व्यतीत होगा अथवा क्लेशमय रहेगा ? क्या आपका विवाह शीघ्र होने वाला है ? क्या मनोनुकूल जीवन साथी प्राप्त होगा ? इस प्रकार के संकेत स्वप्नों से मिल जाते हैं । ऐसे ही प्रमुख स्वप्नों का विवरण
* स्वप्न में स्वयं को हीरा अथवा हीरे से जड़ा आभूषण उपहार में मिलना शुभ नहीं होता हैं । भविष्य में उसका दाम्पत्य जीवन सुखमय नहीं रहेगा ।
* स्वप्न में स्वयं खुश होकर नाचना देखे, तो उसका शीघ्र ही विवाह हो जाता है और उसका दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है ।
* स्वप्न में कढ़े हुए वस्त्र देखने पर सुन्दर एवं सुशील पत्नी प्राप्ति होती है ।
* स्वप्न में सोने के आभूषण उपहार स्वरुप प्राप्त हों, तो उसका विवाह किसी धनी व्यक्ति से होता है ।
* स्वप्न में मेले में घूमना शुभ होता है । योग्य जीवनसाथी मिलता है ।
* स्वप्न में कोई स्त्री अथवा पुरुष किसी की शव-यात्रा देखे, तो उनका दाम्पत्य जीवन कलह-पूर्ण व्यतीत होता है ।
* स्वप्न में किसी सुरंग में से गुजरने पर दाम्पत्य सुख में बाधाएँ उत्पन्न होती है ।
* पुरुष स्वप्न में अपनी दाढ़ी बनाता है अथवा किसी दूसरे से बनवाता है, तो उसके दाम्पत्य जीवन की समस्त कठिनाइयाँ समाप्त हो जाती है ।
* स्वप्न में इन्द्रधनुष देखना शुभ होता है । जीवन में अभिलाषाएँ पूर्ण होती है ।
* स्वप्न में किसी पुजारी, पादरी अथवा मौलवी को देखने पर स्वयं जनित कारणों से दाम्पत्य जीवन में विघटन की स्थितियाँ उत्पन्न होने लगती है ।
* स्वप्न में आभूषण खोने पर दाम्पत्य सुख में बाधा उत्पन्न होती है ।
* स्वप्न में तेल खरीदना शुभ नहीं होता है । पारिवारिक जीवन में परेशानियाँ आती है ।
* स्त्री स्वप्न में छोटे बच्चे के स्वेटर अथवा जुराब इत्यादि बुनती है, तो उसे जीवन में सम्पूर्ण रुप से दाम्पत्य सुख और संतान सुख मिलता है ।
* स्वप्न में बहुत बड़ा चाकू अथवा छुरा देखने पर दाम्पत्य जीवन में क्लेश उत्पन्न होता है ।
* स्वप्न में शहद का सेवन करना शीघ्र ही विवाह सम्पन्न होने का सूचक है ।
* विवाहित पुरुष अथवा स्त्री स्वप्न में किसी दूसरे से सम्बन्ध स्थापित किए हुए अपने आपको देखते हैं, तो उनका दाम्पत्य जीवन नरक-तुल्य बन जाता है ।
* स्वप्न में नाव पर बैठे हुए देखने पर दाम्पत्य जीवन सुखमय व्यतीत होता है ।
* स्वप्न में किसी नववधू को आलिंगन करके चुम्बन करता है, तो भविष्य में शत्रु भी मित्र बन जाते हैं ।
* विवाहित व्यक्ति स्वप्न में देखे कि उसका विवाह हो रहा है, तो पारिवारिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है ।
* स्वप्न में किसी सजी-धजी दुल्हन को देखने पर जीवन में अनुकूलता प्राप्त होती है ।
* स्वप्न में प्रेमीजन का वियोग देखने पर विरासत में अतुल धन-सम्पदा की प्राप्ति होती है ।
* स्वप्न में अंगूठी भेंट-स्वरुप प्राप्त हो, तो उसका जीवनसाथी उससे बहुत प्रेम करेगा ।
श्रीरामचरितमानस में स्वप्न अभिधारणा
प्रायः हर व्यक्ति स्वप्न देखता है । स्वप्न व्यक्ति को निद्रित अवस्था में ही आते हैं । निद्रा अवस्था में मन सुषुम्ना में प्रवेश कर जाता है, लेकिन देह की सभी क्रियाएँ निरन्तर जारी रहती है । हर संस्थान अपना कार्य करता है । तभी तो निद्रित अवस्था में मच्छर आदि के काटने पर, प्यास लगने पर, लघुशंका एवं शौच आदि की इच्छा होमे पर नींद तुरन्त खुल जाती है । हमारा शरीर पाँच तत्त्वों पृथ्वी, जल, वायु, आकाश तथा अग्नि से बना हुआ है । वे बातें जिन्हें हम जागृत अवस्था में देखते हैं, वे सब बातें कई बार स्वप्नों में आती रहती हैं । अथवा ऐसी इच्छाएँ जिनकी पूर्ति व्यवहारिक जीवन में सम्भव नहीं हो पाती, वे हमें स्वप्न अवस्था में पूरी होती दिखती हैं । कुछ स्वप्न शरीर के रुग्ण होने के कारण आते हैं । कुछ स्वप्न वे होते हैं, जो हमें क्रोध एवं मानसिक तनाव में नींद लेने पर आते हैं । ऐसे स्वप्नों का कोई अर्थ नहीं निकलता है ।
कुछ स्वप्न व्यक्ति को निरन्तर आते रहते हैं । कुछ स्वप्न जन्मांगगत पाप ग्रह के दोष के कारण आते हैं । यदि कुण्डली में चन्द्रमा, पंचम भाव राहु, केतु, शनि, मंगल एवं सूर्य के प्रभाव में हों, तो इस प्रकार के स्वप्न निरर्थक जाते हैं । इनसे हमें कोई संकेत नहीं मिलता है । ऐसे स्वप्न, जिनके बारे में न कभी सोचा न कभी सुना हो, आएँ तो ये निश्चित ही अपना अर्थ रखते हैं । वह व्यक्ति को शारीरिक एवं मानसिक रुप से पूर्ण स्वस्थ हो और उसे इस प्रकार के सपने आएँ तो निश्चित ही भविष्य का संकेत देते हैं । दिन की नींद में देखे गए सपने भी निष्फल जाते हैं । प्रायः वे सपने जो रात्ति के अन्तिम प्रहर में अर्थात् सूर्योदय से तीन घंटे पूर्व के समय में देखे जाते हैं, शीघ्र ही अपना परिणाम दे देते हैं । अर्द्धरात्रि या उसके पूर्व के समय में देखे गए सपनों के परिणाम बहुत दिन बाद मिलते हैं । यह भी मान्यता है कि अच्छा सवप्न देखने के बाद पुनः नहीं सोना चाहिए और अशुभ स्वप्न देखने के बाद पुनः सो जाना चाहिए, जिसके फलस्वरुप उनके दुष्प्रभाव में कमी आ जाती है ।
हमारे ऋषि-मुनियों ने स्वप्न और शकुन के बारे में बहुत कुछ चिंतन-मनन करने के बाद स्वप्न और शकुन-शास्त्र लोक कल्याण के लिए प्रकट किया है । भले ही इसे विज्ञान मान्यता न देता हो लेकिन हर देश, समाज किसी-न-किसी रुप में स्वप्न औठर शकुन को मानता आया है और उसे व्यवहार में लेता आया है । हमारे धार्मिक, ज्योतिषीय, आयुर्वेदिक एवं तंत्र-मंत्र-यंत्र से सम्बन्धित ग्रंथों में स्वप्नों के बारे में बहुत कुछ लिखा गया है । आयुर्वेद ग्रंथों में तो स्वप्न के माध्यम से होने वाले रागों के संकेत मिलने के बारे में भी लिखा गया है । यंत्र-मंत्र-तंत्र साधना में भी स्वप्न साधना के माध्यम से सब कुछ जानने की व्यवस्था है । काव्य साहित्य एवं वर्त्तमान में फिल्म जगत् में भी स्वप्नों का महत्त्व है । संत कवि तुलसीदास द्वारा रचित “रामचरितमानस” के विभिन्न पात्रों को स्वप्न के माध्यम से भँविष्य के संकेत प्राप्त होते हैं । यहाँ उनका उल्लेख किया जा रहा है । बालकाण्ड के प्रारम्भ में ही देखें कि सपने में भी देव कृपा मिलने का कितना असर होता है । ऐसा उल्लेख मिलता है कि संत तुलसीदास रामचरितमानस को संस्कृत में लिखना चाहते थे, लेकिन सपने में उन्हें शिवजी ने रामचरितमानस को लोकहित भाषा में लिखने का निर्देश दिया –
शिव भाषेउ भाषा में काव्य रचो । सुर वाणी के पीछे न तात पचो ।। सबको हित होइ सोई करिये । अरु पूर्व प्रथा मत आचरिये ।।
इसके उपरांत रामचरितमानस का भाषा लेखन प्रारम्भ हुआ । बालकाण्ड के प्रारम्भ में ही इसी बात का अनुरोध तुलसीदासजी शिवजी से करते हैं, यदि मुख पर शिवजी और पार्वतीजी की स्वप्न में भि सचमुच प्रसन्नता हो, तो मैंने इस भाषा कविता का जो प्रभाव कहा है वह सब सच होः
सपनेहुँ सांचेहुँ मोहि पर जौं हर गौरि पसाउ । तो फुर होउ जो कहेऊँ सब भाषा भनिति प्रभाउ ।।
(बालकाण्ड, दोहा १५) जब श्रीराम, सीता, लक्ष्मण को सुमंतजी अयोध्या से वनवास के लिए लेकर चले और श्रृंगवेरपुर में निषादराज गुह का आतिथ्य स्वीकार कर रात्रि विश्राम किया तब राम, सीता एवं मंत्री सुमंत के सो जाने पर निषादराज गुह और लक्ष्मणजी का वार्तालाप होता है । निषादराज गुह श्रीराम के वनवास पर दुःखी हो रहा होता है तब लक्ष्मणजी उसे समझाते हुए कहते हैं कि यह तो स्वप्न-भ्रम के समान है । यहाँ स्वप्न को केवल भ्रम माना गया है –
सपने होई भिखारि नृपु रंकु नाकपति होइ । जागे लाभु न हानि कछु तिमि प्रपंच जियँ जोइ ।।
(अयोध्याकाण्ड, दोहा ९२) जैसे स्वप्न में राजा भिखारी हो जाए या कंगाल स्वर्ग का स्वामी इन्द्र हो जाए, तो जागने पर लाभ या हानि कुछ भी नहीं है, वैसे ही इस दृश्य प्रपंच को हृदय से देखना चाहिए । जब राम, सीता, लक्ष्मण वनवास को चले गए एवं राजा दशरथ परम धाम को चले गए तो भरत एवं शत्रुघ्न को अपने नाना के यहाँ सूचना अशुभ स्वप्नों के माध्यम से मिलने लगी ।
अनखु अवध अरंभेउ जब तें । कुसगुन होहिं भरत कहुँ तब तें ।। देखहिं अति भयानक सपना । जागि करहिं कटु कोटि कल्पना ।।
जबसे अयोध्या में अनर्थ हुआ तभी से भरतजी को अपशकुन होने लगे । वे रात को भयंकर सवप्न देखते थे और जागने पर (उन स्वप्नों के कारण) करोड़ों तरह की बुरी-बुरी कल्पनाएँ किया करते थे । भरत को ग्लानि होती है कि उन्होंने अपनी माँ को क्या-क्या कह दिया । जब भरतजी अयोध्यावासियों के साथ भगवान् राम से मिलने वन में जाते हैं और वहाँ जब सभी की सभा हो रही होती है तब भरतजी रामजी से निवेदन कर रहे हैं । इस प्रसंग में सपने की बात देखिएः
सपनेहुँ दोसक लेसु न काहू । मोर अभाग उदधि अवगाहू ।। बिनु समझें निज अघ परिपाकू । जारिऊँ जाय जननि कहि काकू ।।
स्वप्न में भी किसी को दोष का लेश भी नहीं है । मेरा अभाग्य ही अथाह समुद्र है । मैंने अपने पापों का परिणाम समझे बिना ही माता को कटु वचन कहकर व्यर्थ ही जलाया ।
सपने जेहि मन होइ लराई । जागे समझत मन सकुचाई ।। (किष्किन्धा काण्ड)
सुग्रीव ने कहा ‘श्रीरामजी ! बालि तो मेरा परम हितकारी है, जिसकी कृपा से शोक का नाश करने वाले आप मिले और जिसके साथ अब स्वप्न में भी लड़ाई हो, जगाने पर उसे समझकर मन में संकोच होगा कि मैं स्वप्न में भी उससे क्यों लड़ा । सुन्दरकांड में प्रसंग आता है कि सीता की रखवाली करने वाली राक्षसी त्रिजटा को सपना आता है कि भगवान् राम की जीत अवश्य होगी । वह अपना स्वप्न सब राक्षसियों को सुनाती हैं –
त्रिजटा नाम राक्षसी एका । रामचरन रति निपुन विवेका ।। सबहि बुलाय सुनाइउ सपना । सीतहि सेई करहु हित अपना ।।
त्रिजटा कहती हैः ‘मैंने जो स्वप्न देखा है चह इस प्रकार है । वानर ने लंका जला दी है । रावण की सब सेना मारी गई है । रावण गदहे पर सवार है । उसके दशों सिर मुंडे हुए हैं और बीसों भुजाएँ खण्डित हो गयी हैं । इस प्रकार वह दक्षिण दिशा को जा रहा है । लंका का राज विभीषण को मिल गया है । पूरे नगर में श्रीराम की जय-जयकार हो रही है । तब प्रभु ने सीताजी को अपने पास बुला भेजा है । मैं पुकारकर कहती हूँ । यह सपना चार दिन बीते सत्य होगा ।
सपने वानर लंका जारी । जातुधान सेना सब मारी ।। खर आरुढ़ नगन दश सीसा । मुंडित सिर खंडित भुज बीसा ।। एहि बिधि सो दक्षिण दिसि जाई । लंका मनहुँ विभीषण पाई ।। नगर फिरी रघुवीर दोहाई । तब प्रभु सीता बोलि पठाई ।। यह सपना मैं कहऊँ पुकारी । होई हि सत्य गये दिन चारी ।।
रावण अंतिम लड़ाई के लिए युद्ध के मैदान में जा रहा है । तुलसीदासजी कहते हैं –
ताहि कि संपति सगुन शुभ सपनेहु मन विश्राम । भूत-द्रोह रत मोह वश राम विमुख रति काम ।।
जो जीवों के द्रोह में रत हैं, मोह के वश में हो रहा है, राम विमुख है और कामासक्त है । उसको क्या कभी स्वप्न में भी सुख-संपति, शुभ-शकुन और चित्त की शांति हो सकती है । यह प्रसंग आता है कि स्वप्न ने भगवान् राम को भी दुःखी कर दिया था । जब भगवान् राम अयोध्या में राज करने लगे तो उन्होंने यह व्यवस्था की थी कि दिनभर उनके दूत अयोध्या नगरी में घुमते थे और शाम को आकर दरबार में प्रभु को होने वाली घटनाएँ आकर बताते थे –
कछु कही नहिं सो पूछि सादर वचन बेगि न आवहीं । एक रजक पत्निहिं कह डाटत व्यंग वचन सुनावहीं ।। सुनि सकल कृपानिधान चर के मधऽय उर राखे हरी । निशि स्वप्न देखत जगतपति पुनि जागि दारुण दुःखकरी ।।
उस दूत ने कुछ नहीं कहा तो रामजी ने उससे आदर के साथ पूछा । उससे शीघ्र कहते न बना । फिर बोला एक धोबी अपनी स्त्री को डाँटकर व्यंग्य वचन कह रहा था । दूत के वचन सुनकर कृपानिधान हरि ने मन में रख लिया । रात में स्वप्न में भी ऐसा देखा तो जागकर बड़े ही दुःखी हुए ।
कुत्ते का महत्त्व 21वीं सदी में शकुन
कुत्ते का महत्त्व 21वीं सदी में शकुन की बात करना पिछड़ापन-सा अवश्य लगता है, किन्तु जो परम्परा और रिवाज हमारे समाज में शताब्दियों से चली आ रही है, वे वैज्ञानिक मान्यता के बिना भी अपना वजूद कायम रखे हैं । हमारे देश में ज्योतिष को बहुत महत्त्व दिया जाता है, किन्तु महिलाओं में ‘सूण-सायण’ एक अलग ही महत्त्व का शास्त्र है । त्यौहार की पूर्व-सन्ध्या को मेहंदी लगाना, जिस दिन कन्या ससुराल जाए, उस दिन विदा करने के बाद कोई स्त्री सिर नहीं धोयेगी, ऐसे अनेक रिवाज हैं, जिनके पीछे कोई वैज्ञानिक तर्क नहीं है, किन्तु फिर भी वे प्रचलित हैं । इन रिवाजों-परम्पराओं की भाँति ही शगुन भी एक ऐसा ही शास्त्र है, जो ज्योतिष के सामुद्रिक शास्त्र का समवर्ती माना गया है । हम शगुन का शास्त्रीय स्वरुप ही जान पाते हैं । अशास्त्रीय अथवा ग्राम्य सिद्धान्त हमारे लिए सुलभ नहीं है, जबकि ये असंस्कृत सिद्धान्त भी व्यवहार-सिद्ध हैं और निरन्तर के परीक्षण से प्रमाणित हैं । शकुन-शास्त्र के ज्ञाता ऋषियों ने लोक-ज्ञान को भी सम्मान देते हुए कहा है कि –
यं बुध्यते योऽस्ति च यत्र देशे यत्रानुरागो नुमवो थवा स्यात् ।
अर्थात् जिसे लोग जानते-समझते हैं, जो जिस देश में हैं, जिसमें व्यक्ति या समाज का अनुराग है अथवा उसके निरन्तर परीक्षण अनुभव से किसी निश्चित परिणाम पर पहुँच सकते हैं, वे भी शकुन सार्थक रहते हैं । शकुन शास्त्री कहते हैं कि इस शास्त्र का उपदेश स्वयं त्रिनेत्र शंकर ने किया है । अतः शिव शकुन शास्त्र के उपदेष्टा रहे हैं और यह ज्ञान ऋषि परम्परा द्वारा पोषित परिवर्धित-परिमार्जित होता रहा है । इसके प्रवर्तकों में अत्रि, गर्ग, बृहस्पति, व्यास, शुक्राचार्य, वशिष्ठ, कौत्स, भृगु, गौतम आदि ऋषि प्रमुख रहे हैं । भविष्य का संसूचक होने के कारण यह शास्त्र ज्योतिष का ही उपांग बन गया है । शकुन शास्त्र हमारे समाज एवं क्रियाकलापों पर आधारित होता है । सामाजिक स्थिति, पशु-पक्षी आदि सभी इसके माध्यम हैं । कुत्ता सभी पालतू पशुओं में महत्त्वपूर्ण माना जाता है । वफादारी में इसका कोई सानी संसार में दूसरा नहीं है । कुत्ते का शकुन-शास्त्र में भी महत्त्वपूर्ण स्थान है ।
यहाँ प्रस्तुत है कुत्ते से जुड़े कुछ शकुन –
> बलि ग्रहण करने के बाद यदि कुत्ता दाहिने पैर से दाहिने अंग खुजाता है, तो उसका फल उत्तम रहता है । किन्तु यदि बाँये पैर से दाजिना अथवा बाँया अंग खिजलाता है, तो वह विपरित फलदायक होता है ।
> यदि कुत्ता दाहिना पैर उठाकर किसी घड़े अथवा गागर पर पेशाब करता है, तो शकुनार्थी का अथवा उसके घर-परिवार में शीघ्र ही कोई विवाह होता है और दोनों का जीवन सुखी रहता है साथ ही उत्तम संतान का योग भी बनता है ।
> कन्या के विवाह अथवा विवाह की बात करते समय यदि कुत्ता बाँये अंग को फड़फड़ाता हुआ अंदर आता है, तो उस कन्या से विवाह नहीं करना चाहिए, क्योंकि वह दुराचारी होने के कारण परिवार को नष्ट करने वाली होती है । > यदि कुत्ता अपनी दाहिनी आँख खोलकर नाभि चाटता है और छत पर जाकर सोता है तो वर्षा आने की सम्भावना होती है ।
> वर्षा ऋतु में कुत्ता यदि वर्षा के जल में चक्कर लगाता है, तो तीव्र वृष्टि का सूचक है , किन्तु यदि अपने शरीर को कंपाकर सारा पानी झाड़ देता है, तो वर्षा अन्यत्र कहीं होती है ।
> ऊँची जगह पर चढ़कर सूरज को देखते हुए कुत्ता भौंकता है, तो अत्यन्त तीव्र वर्षा होती है ।
> कुत्ता यदि दाहिने अंग चाटता है तो, शुभ-सिद्धि की सूचना देता है ।
> यदि व्यक्ति परेशानी में कुत्ते का शकुन लेता है और कुत्ता उसके सामने विष्ठा कर देता है अथवा जम्हाई लेता है, तो उसका संकट टल जाता है, किन्तु शुभ परिस्थिति में ऐसा होता है, तो उसके लिए अशुभ होता है ।
> गर्भवती के दाहिने जाकर यदि कुत्ता अच्छे स्थान पर पेशाब करता है, तो पुत्र तथा बाँये पेशाब करता है, तो पुत्री होने के योग होते हैं ।
> व्यवसायी के दाहिने जाकर दाहिने पैर से दाहिने अंग खुजाता है, तो धन लाभ होता है ।
> नौकरी के लिए जाते व्यक्ति के दाहिने ओर यदि कुत्ता प्रसन्नता से खेलता मिले या पलंग, आसन, छाता आदि पर कुत्ता पेशाब करता है, तो नौकरी अवश्य मिलती है ।
> अपने ही स्थान पर बैठा रहकर यदि जाने वाले व्यक्ति को कुत्ता गर्दन उठाकर देखता है, तो शुभ होता है । किन्तु कान फड़फड़ाता है या गर्दन हिलाता है तो अशुभ होता है ।
> यात्रा पर जाने वाले व्यक्ति के सामने मुँह में हड्डी दबाकर आता कुत्ता और भौंकता कुत्ता घोर अशुभ की सूचना देता है ।
> कान या पूँछ कटा कुत्ता यदि बहुत कमजोर है और जाते हुए व्यक्ति को बार-बार देखता है, तो बहुत अशुभ होता है ।
> कुत्ता पानी में नहाकर यदि अपने शरीर को फड़फड़ाता है, तो चोट की सूचना देता है ।
> यदि अनेक कुत्ते एक स्थान पर एकत्र होकर सूर्य की ओर देखकर भौंकते हैं, सिर हिलाते हैं, रोते हैं या वमन करते हैं, तो उस स्थान पर घोर विपदा आने वाली है ।
> कुत्ता पंजों से दरवाजा खुजाए अथवा दरवाजे पर बैठ जाए, तो कोई प्रियजन आता है ।
> कुत्ता दौड़कर आकर यदि खम्बे से लिपटता हो या चूल्हे पर चढ़ जाता है, तो कोई प्रियजन अवश्य आता है ।
> रहस्य ज्ञाताओं का मत है कि यदि कुत्ता धरती पर अपना सिर रगड़ता है, तो वहाँ धन गड़ा हो सकता है ।
> गोबर से लिपे-पुते चौक पर यदि कुत्ता जोड़ा केली करता है या रति-क्रिया करता है, तो विपुल धन की प्राप्ति होती है । इसके विपरित यदि वह पैरों से गढ्ढा खोदता है, तो अनर्थ की सूचना देता है ।
> बीमार व्यक्ति के हाथ के पृष्ठ भाग को यदि कुत्ता चाटता है, तो उस व्यक्ति की मृत्यु निश्चित है ।
> रोगी के स्वस्थ होने के सम्बन्ध में प्रश्न करने पर यदि कुत्ता कानों को फड़फड़ाकर शरीर को फेर कर सोने जैसी मुद्रा बनाता है, तो रोगी की मृत्यु निश्चित है ।
> यात्रा पर जा रहे व्यक्ति के सामने कुत्ता हरी दूब, फल लेकर आता हो, तो मनोरथ पूर्ण हुआ मानना चाहिए ।
> यात्रा के समय ताजी खून से सनी हड्डी मुँह में लेकर कुत्ता समाने आता है, तो शुभ होता है, पुरानी हड्डी लेकर आता है, तो अशुभ होता है ।
> कुत्ता जुता मुँह में लेकर सामने आकर खड़ा हो जाता है, तो धन प्राप्ति होती है ।
छिपकली से जुड़े शकुन
Shakun Shastra – Shakun Apshakun for Lizard in Hindi :
Shakun Shastra – Shakun Apshakun for Lizard in Hindi : आने वाले समय में क्या होगा ये तो किसी को पता नहीं होता। लेकिन पशु-पक्षी और जीव-जंतु भी विभिन्न तरह से हमें भविष्य में होने वाली घटनाओं से अवगत कराते हैं। घरों में आमतौर पर पाई जाने वाली छिपकली भी भविष्य में होने वाली कई घटनाओं के बारे में संकेत करती है। इसका वर्णन शकुन शास्त्र में मिलता है। तो जानिए छिपकली से जुड़े शकुन और अपशकुनों के बारे में।
Shakun Shastra - Shakun Apshakun for Lizard in Hindi
1 – नए घर में प्रवेश करते समय यदि गृहस्वामी को छिपकली मरी हुई व मिट्टी लगी हुई दिखाई दे तो उसमें निवास करने वाले लोग रोगी हो सकते हैं, ऐसा शकुन शास्त्र में लिखा है। इस अपशकुन से बचने के लिए पूरे विधि-विधान से पूजन करने के बाद ही नए घर में प्रवेश करना चाहिए।
2 – अगर छिपकली समागम करती मिले तो किसी पुराने मित्र से मिलना हो सकता है। लड़ती दिखे तो किसी दूसरे से झगड़ा संभव है और अलग होती दिखे तो किसी प्रियजन से बिछुडऩे का दु:ख सहन करना पड़ सकता है।
3 – शकुन शास्त्र के अनुसार दिन में भोजन करते समय यदि छिपकली का बोलना सुनाई दे शीघ्र ही कोई शुभ समाचार मिल सकता है या फिर कोई शुभ फल प्राप्त हो सकता है। हालांकि ये घटना बहुत कम होती है क्योंकि छिपकली अधिकांश रात के समय बोलती है।
4 – छिपकली अगर माथे पर गिरती है तो संपत्ति मिलने की संभावना बढ़ जाती है।
5 – यदि छिपकली आपके बालों पर गिरती है, इसका मतलब मृत्यु सामने खड़ी है।
6 – दाहिने कान पर छिपकली का गिरना यानी आभूषण की प्राप्ति होगी। बाएं कान पर छिपकली का गिरना यानी आयु वृद्धि।
7 – नाक पर छिपकली गिरना यानी जल्द ही भाग्योादय होगा।
8 – मुख पर छिपकली गिरना यानी मधुर भोजन की प्राप्ति होगी।
9 – बाएं गाल पर छिपकली गिरना यानी पुराने मित्र से मुलाकात होगी। दाहिने गाल पर छिपकली गिरना यानी आपकी उम्र बढ़ेगी।
10 – गर्दन पर छिपकली गिरने का मतलब यश की प्राप्ति होगी।
11 – दाढ़ी पर छिपकली गिरने का मतलब आपके सामने जल्दा ही कोई भयावह घटना हो सकती है।
12 – मूंछ पर छिपकली गिरना यानी सम्मापन की प्राप्ति।
13 – भौंह पर छिपकली गिरना यानी धन हानि।
14 – दाहिनी आंख पर छिपकली गिरने का मतलब किसी दोस्तत से मुलाकात होगी। बाईं आंख पर छिपकली गिरने का मतलब जल्दख ही कोई बड़ी हानि होगी।
Shakun Shastra - Shakun Apshakun for Lizard in Hindi
15- कंठ पर छिपकली गिरने का मतलब शत्रुओं का नाश होगा।
16 – दाहिने कंधे पर छिपकली गिरने पर विजय की प्राप्ति होती है। बाएं कंधे पर अगर छिपकली गिरे तो नए शत्रु बनते हैं।
17 – दाहिनी भुजा पर छिपकली गिरे तो धन लाभ मिलता है। बायीं भुजा पर छिपकली गिरने से संपत्ति छिनने की आशंका बढ़ती है। दाहिनी हथेली पर छिपकली गिरने से कपड़े मिलते हैं। बाईं हथेली पर छिपकली गिरने पर धन की हानि होती है।
18 – छाती के दाहिनी ओर छिपकली गिरने से जल्द ही ढेर सारी खुशियां मिलती हैं जबकि बाईं ओर गिरने से घर में ज्यादा क्लेश होता है।
19 – पेट पर छिपकली गिरने से आभूषण की प्राप्ति होती है।
20 – कमर के बीच में अगर छिपकली गिरे तो आर्थिक लाभ मिलता है। पीठ पर दाहिनी ओर छिपकली गिरने से सुख मिलता है जबकि बाईं तरफ छिपकली गिरने का मतलब रोग का दस्तक देना है। पीठ पर बीच में अगर छिपकली गिरती है तो घर में कलह होती है।
21 – नाभि पर छिपकली गिरने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
दाहिनी जांघ पर छिपकली गिरने से सुख मिलता है। वहीं बाईं जांघ पर छिपकली गिरने से दु:ख ही दु:ख यानी शारीरिक पीड़ा।
22 – दाहिने घुटने पर छिपकली गिरने से यात्रा का संयोग बनेगा। बाएं घुटने पर छिपकली गिरने का मतलब बुद्धि की हानि है।
23 – दाएं पैर या दाएं एड़ी पर छिपकली गिरना यानी यात्रा से लाभ मिलता है। बाएं पैर या बाईं एड़ी पर छिपकली गिरने से बीमारी या घर में कलह होगी। दु:ख मिलेगा। दाएं पैर के तलवे पर छिपकली गिरने का मतलब ऐश्वर्य की प्राप्ति है। वहीं बाएं पैर के तलवे पर छिपकली गिरने का मतलब व्यापार में हानि होगी।
सांपों से जुड़े कई शकुन और अपशकुन
Shakun Shastra – Shakun Apshakun for Snake (Naga) in Hindi :
सांप एक ऐसा जीव है जिसे अपने सामने देखते ही लोगों के पसीने छूट जाते हैं। सांप का भय इतना अधिक रहता है कि काफी लोग सांप के नाम से ही घबराते हैं। शास्त्रों के अनुसार सांप को पूजनीय भी बताया गया है। महादेव नाग को आभूषण की तरह अपने गले में धारण करते हैं। सांपों से जुड़े कई शकुन और अपशकुन हमारे समाज में प्रचलित हैं।
सांपो से जुड़े कुछ शकुन और अपशकुन (ज्योतिष शास्त्र के अनुसार)
Shakun Shastra - Shakun Apshakun for Snake (Naga) in Hindi
ज्योतिष के अनुसार सांपों के दिखाई देने से जुड़े कुछ शकुन और अपशकुन बताए गए हैं, इन संकेतों का ध्यान रखने पर भविष्य में होने वाली घटनाओं की जानकारी प्राप्त की जा सकती है। जो लोग ज्योतिष में विश्वास रखते हैं, उनके लिए शकुन और अपशकुन की मान्यताएं काफी महत्व रखती हैं। काफी लोग इन बातों को अंधविश्वास मानते हैं।
1- यदि किसी व्यक्ति को सांप पेड़ पर चढ़ता दिखाई देता है तो उसे समझ लेना चाहिए कि आने वाले समय में कुछ अच्छा होने वाला है। सामान्यत: ये एक शुभ शकुन है और धन मिलने की संभावनाओं को दर्शाता है।
Shakun Shastra - Shakun Apshakun for (Naga) in Hindi
2 – यदि किसी अमीर व्यक्ति को सांप पेड़ से उतरते हुए दिखाई देता है तो यह अपशकुन माना जाता है। ऐसा होने पर धन हानि की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। अत: पैसों के मामलों में सावधानी रखना चाहिए।
3 – यदि कोई गरीब व्यक्ति सांप को पेड़ से उतरते देखता है तो उसके लिए यह शुभ शकुन है। धनहीन व्यक्ति के लिए यह शकुन पैसा प्राप्त होने की ओर इशारा करता है।
4 -किसी आवश्यक कार्य पर जाते समय कोई सांप आपके सीधे हाथ की ओर से रास्ता काट दे तो यह शुभ शकुन माना जाता है। ऐसा होने पर कार्य में सफलता मिलने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
5 – यदि बाएं हाथ की ओर से कोई सांप आपका रास्ता काट दे तो आपको सावधान होकर कार्य करना चाहिए। ऐसा होने पर कार्यों में असफलता के योग बनते हैं।
6 – यदि कोई व्यक्ति सफेद सांप देखता है तो यह एक शुभ शकुन माना जाता है। ऐसा होने पर व्यक्ति को कार्यों में सफलता मिलती है।
7 – किसी मंदिर में सांप दिखना भी शुभ माना जाता है। ऐसा होने पर व्यक्ति की मनोकामनाएं शीघ्र पूर्ण होती हैं।
8 – यदि शिवलिंग पर सांप लिपटा हुआ दिखाई दे तो यह भी बहुत शुभ शकुन होता है। ऐसा होने पर व्यक्ति को भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।
9 – मरा हुआ सांप देखना अशुभ माना जाता है। अत: यदि कहीं मरा हुआ सांप दिखाई दे तो भगवान शिव से क्षमा याचना करनी चाहिए और शिवलिंग पर जल, कच्चा दूध चढ़ाएं।
10 – यदि किसी व्यक्ति को नाग-नागिन प्रणय करते दिखे तो इसे अशुभ माना जाता है। ऐसे में व्यक्ति को नाग-नागिन के सामने रुकना नहीं चाहिए। यदि उनके प्रेम में विघ्न पड़ता है तो यह व्यक्ति के लिए खतरनाक हो सकता है। अत: ऐसे स्थान से तुरंत चले जाना चाहिए। नाग-नागिन से किसी प्रकार की छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए|
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