चैत्र नवरात्रि 2023 तिथि (Chaitra Navratri 2023 Tithi)
चैत्र नवरात्रि के दौरान, भक्त उपवास करते हैं, पूजा करते हैं और देवी दुर्गा और उनके नौ रूपों - शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री को पूजते हैं। उत्सव नवमी के दिन समाप्त होता है, जो राम नवमी के रूप में मनाया जाता है।
चैत्र नवरात्रि देवी का आशीर्वाद मांगने और नए उद्यम या परियोजनाओं की शुरुआत करने के लिए शुभ माना जाता है। यह उत्सव भारत के विभिन्न हिस्सों में उत्साह से मनाया जाता है, प्रत्येक क्षेत्र के अपने विशिष्ट परंपराएं और रीति-
चैत्र नवरात्रि 2023 तिथि घटस्थापना
- चैत्र नवरात्रि प्रथम दिन (22 मार्च 2023) - प्रतिपदा तिथि, मां शैलपुत्री पूजा, घटस्थापना
- चैत्र नवरात्रि दूसरा दिन (23 मार्च 2023) - द्वितीया तिथि, मां ब्रह्मचारिणी पूजा
- चैत्र नवरात्रि तीसरा दिन (24 मार्च 2023) - तृतीया तिथि, मां चंद्रघण्टा पूजा
- चैत्र नवरात्रि चौथा दिन (25 मार्च 2023) - चतुर्थी तिथि, मां कुष्माण्डा पूजा
- चैत्र नवरात्रि पांचवां दिन (26 मार्च 2023) - पंचमी तिथि, मां स्कंदमाता पूजा
- चैत्र नवरात्रि छठा दिन (27 मार्च 2023) - षष्ठी तिथि, मां कात्यायनी पूजा
- चैत्र नवरात्रि सातवां दिन (28 मार्च 2023) - सप्तमी तिथि, मां कालरात्री पूजा
- चैत्र नवरात्रि आठवां दिन (29 मार्च 2023) - अष्टमी तिथि, मां महागौरी पूजा, महाष्टमी
- चैत्र नवरात्रि नवां दिन (30 मार्च 2023) - नवमी तिथि, मां सिद्धीदात्री पूजा, दुर्गा महानवमी, राम नवमी(Ram Navami 2023) (दसवें दिन नवरात्रि व्रत का पारण किया जाएगा)
Chaitra navratri 2023- PUJA VIDHI OR SHUBH MUHURT, चैत्र नवरात्रि पूजा का शुभ मुहूर्त एवं विधि
Chaitra navratri- चैत्र नवरात्रि में पूरे नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की उपासना का विधान है। चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को चैत्र नवरात्रि कहते हैं। इस साल चैत्र नवरात्रि 22 मार्च, 2023 बुधवार के दिन से शुरु हो रही है जो 30 मार्च तक चलेगी। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस बार नवरात्रि बेहद शुभ संयोगों में पड़ रही है। जो कि बहुत अच्छे फल प्रदान करने वाली मानी जा रही है।
कलश स्थापना तिथि और शुभ मुहूर्त -
22 मार्च 2023, सुबह 06 बजकर 23 मिनट से 7 बजकर 32 मिनट तक, शुभ मुहूर्त की अवधि कुल 01 घंटा 09 मिनट तक रहेगी।
नवरात्रि की शुरुआत पहले दिन ही घट स्थापना से की जाती है। तो आइए जानते हैं नवरात्रि के पहले दिन किस शुभ मुहूर्त में घटस्थापना करना उत्तम रहेगा। श्रीमद् देवी भागवत पुराण में बताया गया है कि प्रात: काल उठकर स्नान आदि के बाद मां दुर्गा का आह्वान करें और एक कलश पर नारियल रखकर उसपर लाल चुनरी बांध दें। साथ ही आम के पत्ते की टहनी भी रखें।
घट स्थापना के लिए चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिन मिट्टी का कलश लें और उसे शुभ मुहूर्त में ईशान कोण में स्थापित कर दें। घट स्थापना से पहले थोड़े से चावल डालें इसके बाद कलश इसके ऊपर रखें और कलश के ऊपर एक लाल चुनरी से नारियल बांधकर रख दें। याद रखें की एक रुपए का सिक्का जल में जरूर डाले। साथ ही कलश पर कलावा जरुर बांधे। कलश पर स्वास्तिक जरुर बनाएं। इस बात का ख्याल रखें की आप जहां कलश की स्थापना कर रहें हैं वह जगह साफ हो। साथ ही ध्यान रखें की पूजा स्थल के ऊपर कोई भी अलमारी या सामान न हो।
नवरात्रि में अष्टमी और नवमी तिथि का खास महत्व होता है। इन दोनों ही तिथियों पर कन्या पूजन करने की भी परंपरा है। कन्याओं को साक्षात मां दुर्गा का स्वरूप माना जाता है। दुर्गाष्टमी या फिर नवमी के दिन कन्या पूजन किया जाता है। मान्यता है कि नवरात्रि में कन्या पूजन से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और भक्तों को सुख समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं।
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