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     हर घर तिरंगा: काफी रोचक है हमारे तिरंगे का इतिहास, 6 बार बदल चुका है भारत का झंडा, जानें नेशनल फ्लैग की पूरी कहानी

    आजादी का अमृत महोत्सव - Azadi ka Amrit Mahotsav - Har Ghar Tiranga-  हर घर तिरंगा

    Har Ghar Tiranga: देश इस समय भारत की आजादी के 75 साल पूरे होने का जश्न मना रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर 'आजादी का अमृत महोत्सव' (Azadi ka Amrit Mahotsav) के तहत देशवासियों को 'हर घर तिरंगा' (Har Ghar Tiranga) अभियान से जुड़ने को कहा है. इसके लिए 13 से 15 अगस्त के बीच अपने घरों में तिरंगा फहराकर इस आंदोलन का हिस्सा बना जा सकता है. इसी के साथ PM Modi ने लोगों ने 2 अगस्त से लेकर 15 अगस्त तक अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के प्रोफाइल फोटो में तिरंगा लगाने का आग्रह किया है. लेकिन क्या आपको पता जिस तिरंगे को देखते ही आपमें राष्ट्रप्रेम की भावना उमड़ पड़ती है, वो हमेशा से ऐसा नहीं था. समय के साथ इसमें काफी सारे बदलाव हुए हैं. ऐसा माना जाता है कि भारत का झंडा कुल 6 बार बदला जा चुका है. आइए जानते हैं भारत के झंडे का पूरा इतिहास.


    भारत का पहला झंडा 1906 में अस्तित्व में आया था. 7 अगस्त 1906 को इसे पारसी बागान चौक (ग्रीन पार्क), कलकत्ता में पहराया गया था. इस झंडे में तीन रंग हरा, पीला और लाल रंग की पट्टियां देखने को मिलती है. इसमें बीच में वन्देमातरम लिखा हुआ था. इसके साथ ही इसमें 8 कमल के फूल, चांद और सूरज भी बने हैं.  


    भारत का पहला झंडा बहुत लंबे समय तक अस्तित्व में नहीं रहा क्योंकि अगले साल ही इसमें कुछ संशोधन हो गया. 1907 में मैडम कामा और उनके कुछ क्रांतिकारी साथियों, जिन्हें भारत से निर्वासित कर दिया गया था, ने पेरिस में भारत का नया झंडा फहराया था.  यह झंडा भी देखने में काफी हद तक पहले जैसा ही था. इसमें केसरिया, पीला और हरे रंग की पट्टियां थी. बीच में वन्दे मातरम् लिखा था. वहीं इसमें चांद और सूरज के सात आठ सितारे बने थे.  


    भारत में स्वतंत्रता संग्राम में तेजी के साथ ही भारत को अपना नया झंडा भी मिलता रहा. 1917 में डॉ. एनी बेसेंट और लोकमान्य तिलक ने एक नया झंडा फहराया. इस झंडे में पांच लाल और 4 हरे रंग की पट्टियां थी. इसके साथ ही इसमें सप्तऋशि को दर्शाते सात तारे अर्द्ध चंद्र और सितारे थे. बाएं साइड कोने में यूनियन जैक भी था इस झंडे में.  


    1921 में ही भारत को अपना चौथा झंडा भी मिल गया. अखिल भारत कांग्रेस कमेटी के सेशन के दौरान आंध्र प्रदेश के एक व्यक्ति ने महात्मा गांधी को यह झंडा दिया था. गांधी ने इसमें कुछ संशोधन भी करवाया. जिसके बाद इसमें सफेद, हरे और लाल रंग की पट्टियां थीं. वहीं देश के विकास को दर्शाने के लिए बीच में चरखा भी था.  


    भारत का झंडा 1931 में एक बार फिर से बदला. इस झंडे को इंडियन नेशनल कांग्रेस ने आधिकारिक तौर पर अपनाया था. इस झंडे में केसरिया, सफेद और हरे रंग की पट्टियां थीं. हालांकि चरखा इस बार भी केंद्र में था.   


    1931 में बना झंडा ही आज के वर्तमान भारतीय तिरंगे से काफी मिलता जुलता है. हालांकि 1947 में इसमें थोड़ा संशोधन करते हुए चरखे के स्थान पर अशोक चक्र को रखा गया.   


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