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    Hariyali Teej 2022- हरियाली तीज व्रत 2022, तिथि, कथा पूजा विधी मुहूर्त

    हरियाली तीज कब है 2022|  Hartalika Teej Vrat Katha In Hindi

    हरियाली तीज व्रत 2022- Hariyali Teej Vrat तिथि, कथा पूजा विधी मुहूर्त

    हरियाली तीज व्रत 2022  प्रत्येक महिला की नज़र से यदि हम देखें तो यह बहुत ही पावन त्यौहार है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, हर वर्ष हरियाली तीज व्रत 2022  सावन माह में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन मनाई जाती है। हरियाली तीज का त्यौहार मुख्य रूप से उत्तर भारत के राज्यों में बड़े ही धूम धाम के साथ मनाई जाती है। मुख्य रूप से यह पर्व सुहागिन महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु की कामना और परिवार की सुख-समृद्धि के लिए निर्जला व्रत रखती हैं।


    हरियाली तीज के मौके पर सुहागिन महिलाएं दिनभर व्रत रखते हुए भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-आराधना और जाप करती हैं। हरियाली तीज व्रत 2022 के मौके पर महिलाएं श्रंगार कर एक जगह एकत्र होकर झूला झूलती और सावन के मधुर गीत गाती हैं। हरियाली तीज का उपवास सुहागिन महिलाओं के साथ कुंवारी लड़कियां अच्छे वर की कामना के साथ करती हैं। ऐसी मान्यता है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी, इससे प्रसन्न होकर शिव जी ने हरियाली तीज के दिन ही माँ पार्वती को पत्नी रूप में स्वीकार किया था।


    हरियाली तीज व्रत 2022 की तिथि

    सावन मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि

    31 जुलाई , 2022 दिन रविवार  03:01:48 से तृतीया आरम्भ


    तृतीया तिथि समाप्त

    1 अगस्त 2022 दिन सोमवार को 04:20:06 पर तृतीया समाप्त


    हरियाली तीज व्रत रखने की तारीख

    11 अगस्त 2021 दिन बुधवार


    हरियाली तीज व्रत 2022 : शुभ मुहूर्त


    अमृत काल सुबह 01:52 से 03:26 तक

    ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04:29 से17 तक

    विजय मुहूर्त दोपहर 14 से 03.07 तक

    गोधूलि बेला शाम 23 से 06.47 तक

    निशिता काल रात 14 से 12 अगस्त सुबह 12:25 तक

    रवि योग 12 अगस्त सुबह 09:32 से 05:30 तक।


    हरियाली तीज व्रत 2022: राहुकाल


    राहुकाल बुधवार – दोपहर 12:00 से 1:30 बजे तक

    नोट- इस काल (राहु काल) में पूजा करना वर्जित माना गया है।


    हरियाली तीज का महत्व

    हरियाली तीज के दिन सुहागिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करके भगवान शिव और पार्वती की पूजा करती हैं। जिससे अखंड सौभाग्यवती का वर मिलता है। हरियाली तीज में हरी चूड़ियां, हरे वस्त्र पहनने, सोलह शृंगार करने और मेहंदी रचाने का विशेष महत्व है। पति की लंबी आयु के लिए भी महिलाएं ये व्रत रखती हैं।


    लोकमान्य परंपरा के अनुसार इस त्यौहार पर विवाह के पश्चात पहला सावन आने पर नवविवाहित युवतियां  ससुराल से मायके आती  हैं। नव विवाहिता युवती के ससुराल से इस त्यौहार पर सिंगारा भेजा जाता है जिसमें श्रृंगार का सामान, मेहंदी, वस्त्र,आभूषण, घेवर-फैनी और मिठाई इत्यादि सामान भेजा जाता है। इस व्रत को करने से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है। पति को निरोग रहने का वर भी मिलता है तथा इसके साथ ही उनके तरक्की के मार्ग प्रशस्त होते हैं।


    हरियाली तीज व्रत 2022: हरे रंग का महत्व

    हरियाली तीज में हरी चूड़ियां, हरे वस्त्र पहनने, सोलह शृंगार करने और मेहंदी रचाने का विशेष महत्व है । इस दिन महिलाएं मिट्टी या बालू से मां पार्वती और शिवलिंग बनाकर उनकी पूजा करती हैं। पूजन में सुहाग की सभी सामिग्री को एकत्रित कर थाली में सजाकर माता पार्वती को चढ़ाना चाहिए।


    हरतालिका तीज व्रत के नियम


    ●  हरतालिका तीज व्रत में जल ग्रहण नहीं किया जाता है। व्रत के बाद अगले दिन जल ग्रहण करने का विधान है।

    ●  हरतालिका तीज व्रत करने पर इसे छोड़ा नहीं जाता है। प्रत्येक वर्ष इस व्रत को विधि-विधान से करना चाहिए।

    ●  हरतालिका तीज व्रत के दिन रात्रि जागरण किया जाता है। रात में भजन-कीर्तन करना चाहिए।

    ●  हर तालिका तीज व्रत कुंवारी कन्या, सौभाग्यवती स्त्रियां करती हैं। शास्त्रों में विधवा महिलाओं को भी यह व्रत रखने की आज्ञा है।

    हरियाली तीज व्रत 2022 पूजा विधि -Hariyali Teej vrat kaise karte hain

    हरियाली तीज का व्रत करवा चौथ के व्रत से भी कठिन होता है। इस पर्व में महिलाएं दिनभर निर्जजा व्रत रख पूजा करती है फिर अगले दिन उपवास तोड़ती हैं। हरियाली तीज का त्योहार भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।


    हरियाली तीज के दिन विवाहित महिलाओं को सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए। फिर इसके बाद नए कपड़े पहनकर पूजा का संकल्प लेना चाहिए। । व्रती महिला को पूजा स्थल की साफ-सफाई करने के बाद मिट्टी से भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति बनाएं (यदि मूर्ति नहीं बना सकतीं हैं तो आप पूजा स्थल पर माता पार्वती और भगवान शिव की प्रतिमा या चित्र लगा सकती हैं ) । इसके बाद उन्हें लाल कपड़े के आसन में स्थापित कर पूजा अनुष्ठान आरंभ करें।


    पूजा की थाली में सुहाग की सभी चीजों को लेकर भगवान शिव और माता पार्वती को अर्पित करें। शाम में विधिपूर्वक माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा फिर से करें और अपने पति की लंबी आयु और निरोग रहने का वर मांगे । अंत में  हरियाली तीज की व्रत कथा ध्यानपूर्वक सुनें अथवा पढ़ें और प्रसाद वितरण करें।


    Hariyali Teej Vrat Katha in Hindi - हरियाली तीज व्रत कथा 2022

    हरियाली तीज उत्सव को भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था। इस कड़ी तपस्या से माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त किया।


    कथा के अनुसार माता गौरी ने पार्वती के रूप में पर्वतराज  हिमालय के घर पुनर्जन्म लिया था। माता पार्वती बचपन से ही शिव को वर के रूप में पाना चाहती थीं। इसके लिए उन्होंने कठोर तप किया। एक दिन नारद जी पर्वतराज  हिमालय  के  महल  में  पहुंचे और हिमालय से कहा कि पार्वती के तप से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु उनसे विवाह करना चाहते हैं। यह सुन हिमालय बहुत प्रसन्न हुए। दूसरी ओर नारद मुनि विष्णुजी के पास पहुंच गए और कहा कि हिमालय ने अपनी पुत्री पार्वती का विवाह आपसे कराने का निश्चय किया है। इस पर विष्णुजी ने भी सहमति दे दी।


    नारद इसके बाद माता पार्वती के पास पहुंच गए और बताया कि पिता हिमालय ने उनका विवाह विष्णु से तय कर दिया है। यह सुन पार्वती बहुत निराश हुईं और पिता से नजरें बचाकर सखियों के साथ एक एकांत स्थान पर चली गईं  और सुनसान जंगल में पहुंचकर माता पार्वती ने एक बार फिर तप शुरू किया। उन्होंने रेत से शिवलिंग का निर्माण किया और उपवास करते हुए पूजन शुरू किया। भगवान शिव इस तप से प्रसन्न हुए और मनोकामना पूरी करने का वचन दिया। इस बीच माता पार्वती के पिता पर्वतराज हिमालय भी वहां पहुंच गए। जब  उन्हें इस  सत्य के  बारे में  पता चला तो  वह माता पार्वती की शादी भगवान शिव से कराने के लिए राजी हो गए।


    शिव जी ने माता पार्वती को विस्तार से इस व्रत का महत्व समझाया, शिव कहते हैं, ‘हे पार्वती! तुमने जो कठोर व्रत किया था उसी के फलस्वरूप हमारा विवाह हो सका। इस व्रत को निष्ठा से करने वाली स्त्री को मैं मनोवांछित फल देता हूं।’


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