21 सितंबर से पितृपक्ष श्राद्ध आरंभ- Pitru Paksha
क्या है श्राद्ध- Pitra paksh 2021 start date in hindi – पितृ पक्ष 2021 तिथियां – Pitru Paksha 2021
व्यक्ति का अपने पितरों को श्रद्धा के साथ अर्पित किया गया तर्पण ही श्राद्ध कहलाता है। इस दिन लोग अपने पूर्वजों का स्मरण करके उनकी सुख-शांति की कामना करते हैं। जिस तिथि को पितरों का गमन यानी देहांत होता है उसी दिन पितरों का श्राद्ध किया जाता है।
ऐसी मान्यता है कि मृत्यु के देवता यमराज श्राद्ध पक्ष में जीव को मुक्त कर देते हैं, जिससे वह अपने परिजनों के यहां जाकर तर्पण ग्रहण कर सकें।
जिस भी व्यक्ति की मृत्यु हो चुकी है उन्हें पितर कहा जाता है। पितर मृत्युलोक से आकर अपने परिवार के लोगों को आशीर्वाद देते हैं।
Pitra paksha 2021 start date in hindi – 21 September 2021 – सूर्य देव अपनी प्रथम राशि से कन्या राशि में एक माह के लिए भ्रमण करते हैं। तभी यह सोलह दिन का पितृपक्ष मनाया जाता है। इन सोलह दिनों के लिए पितृ आत्मा को सूर्य देव पृथ्वी पर अपने परिजनों के पास भेजते हैं। पक्ष पन्द्रह दिन का ही होता है लेकिन जिनका निधन पूर्णिमा को होता है, उनका भी तर्पण किया जाता है इसलिए पूर्णिमा को मिलाकर श्राद्ध 16 दिन के होते हैं।
श्राद्ध पक्ष में जल और तिल द्वारा तर्पण किया जाता है। ऐसा माना गया है कि जल जन्म से मोक्ष तक साथ देता है। तिल को देवान्न कहा गया है। ऐसा माना जाता है कि इससे ही पितरों को तृप्ति होती है।
कौआ, कुत्ता और गाय – shradh vidhi mantra
इनको यम का प्रतीक माना गया है। गाय को वैतरिणी पार करने वाली कहा गया है। कौआ भविष्यवक्ता और कुत्ते को अनिष्ट का संकेतक कहा गया है, इसलिए श्राद्ध में इनको भी भोजन दिया जाता है।
यह सोलह 16 दिन शोक के होते हैं इसलिए इन दिनों मांगलिक कार्य करना वर्जित हैं। शादी, पार्टी, गृह प्रवेश आदि कार्य नहीं किए जाते।
कैसे करें श्राद्ध – shradh puja vidhi in hindi – when is pitru paksha starting in 2021
श्राद्ध को हमेशा दोपहर के समय करना चाहिए, क्योंकि सुबह का समय देवी-देवताओं का होता है।
- श्राद्ध वाले दिन सुबह उठकर घर की साफ-सफाई करें।
- ब्राह्मण से पितरों की पूजा एवं तर्पण आदि कराएं।
- इस मंत्र का जाप करें- ‘ॐ पितृदेवताभ्यो नमः’
- इसके बाद गाय, कुत्ता, कौआ के लिए भोजन निकाले। खाने में लहसुन-प्याज का इस्तेमाल न करें।
- ब्राह्मण को भोजन कराएं और वस्त्र, दक्षिणा आदि से सम्मान करें।
- भोजन के बाद पितरों को धन्यवाद दें और जाने-अनजाने हुई गलती के लिए माफी मांगे।
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