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     श्रावण मास की अमावस्या - Hariyali Amavasya

    अमावस्या की तिथि बहुत मायने रखती है हिन्दू में । हिंदू पंचांग के अनुसार कृष्ण पक्ष का यह अंतिम दिन माना जाता है। अमावस्या की रात्रि को चंद्रमा घटते-घटते (कम-कम )होते होते बिल्कुल लुप्त हो जाता है। धार्मिक रूप से तो अमावस्या और भी खास होती है। स्नान दान के लिये तो यह बहुत ही सौभाग्यशाली तिथि मानी जाती है विशेषकर पितरों की आत्मा की शांति के लिये हवन-पूजा, श्राद्ध, तर्पण आदि करने के लिये तो अमावस्या श्रेष्ठ तिथि माना जाता है। तो अब आइये जानते हैं सावन अमावस्या व इसके महत्व के बारे में।

    सावन मास की अमावस्या - हरियाली अमावस्या- Hariyali Amavasya - Sawan Amavasya

    Hariyali Amavasya - Sawan Amavasya  Date and Timing 

    • श्रावणी अमावस्या 2021 तिथि एवं शुभ मुहूर्त  (Hariyali Amavasya Puja Time)
    • श्रावणी अमावस्या तिथि:- 08 अगस्त 2021, रविवार
    • सावन अमावस्या तिथि प्रारंभ:- 07 अगस्त 2021, शनिवार शाम 07:13
    • सावन अमावस्या तिथि समापन:- 08 अगस्त 2021, रविवार शाम 07:21

    सावन (हरियाली) अमावस्या का महत्व

    श्रावण मास वर्षा ऋतु का माह होता है। इस माह में मौसम का नज़ारा इतना मनोरम होता है कि बादलों की घटा में प्रकृति की छटा भी बिखरी हुई नज़र आती है। हर ओर हरियाली छाने लगती है। पेड़ पौधे बारिश की बूंदों में धुलकर एकदम तरोताज़ा हो जाते हैं। पक्षी चहकने लगते हैं तो मन भी बहकने लगते हैं। इसीलिये सावन मास की अमावस्या बहुत खास मानी जाती है। श्रावणी अमावस्या से पहले दिन शिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। सावन शिवरात्रि से अगला दिन श्रावणी अमावस्या का होता है। गर्मी से झुलसते पेड़ों को सावन की रूत नया जीवनदान देती है और हर ओर हरियाली छा जाती है। इस अमावस्या के तीन दिन बाद ही त्यौहारों का बीजारोपण करने वाला पर्व हरियाली तीज आता है इसलिये यह अमावस्या हरियाली अमावस्या भी कही जाती है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 2021 में हरियाली अमावस्या 08 अगस्त को रविवार के दिन है।

    Importance of Hariyali Amavasya and its Worship- हरियाली अमावस्या व्रत व पूजा विधि

    इस अमावस्या पर पेड़-पौधों को नया जीवन प्रदान होता है और पेड़-पौधों से मनुष्य का जीवन सुरक्षित होता है इस कारण वृक्षों की पूजा का हरियाणा अमावस्या पर खास महत्व होता है।

    • इस दिन पीपल की पूजा की जाती है। इसके फेरे लिये जाते हैं। मालपूओं का भोग लगाया जाता है।
    • पीपल, बरगद, केला, निंबू, तुलसी आदि का वृक्षारोपण करना भी शुभ माना जाता है।
    • दरअसल वृक्षों की प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट करने के पर्व के रूप में हरियाली अमावस्या को जाना जाता है।
    • इन वृक्षों में देवताओं का वास माना जाता है। पीपल में जहां ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास बताया जाता है वहीं आवंला में भगवान लक्ष्मीनारायण को विराजमान माना जाता है।
    • इस दिन गेंहू, ज्वार, मक्का आदि की सांकेतिक बुआई भी की जाती है। गुड़ व गेंहू की धानि प्रसाद के रूप में वितरित की जाती है। उत्तर भारत में तो इसे पर्व के रूप में मनाया जाता है।

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