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    पौष माह की पुत्रदा एकादशी 24 जनवरी2021 को है - यह व्रत संतान प्राप्ति के लिए किया जाता है

    पौष माह की पुत्रदा एकादशी 24 जनवरी2021- Putrda Ekadashi Vrat Katha in hindi

    पौष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी व्रत किया जाता है।  कहते हैं। इस एकादशी का महत्व पुराणों में भी लिखा है। इस बार यह एकादशी व्रत 24 जनवरी, 2021। पुत्रदा एकादशी का महत्व स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को बताया था। धर्म ग्रंथों के अनुसार, इस व्रत से योग्य संतान की प्राप्ति होती है। 

    पुत्रदा एकादशी व्रत और पूजा विधि

    • पुत्रदा एकादशी की सुबह स्नान आदि करने के बाद किसी साफ स्थान पर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद शंख में जल लेकर प्रतिमा का अभिषेक करें।
    • भगवान विष्णु को चंदन का तिलक लगाएं। चावल, फूल, अबीर, गुलाल, इत्र आदि से पूजा करें। इसके बाद दीपक जलाएं।
    • पीले वस्त्र अर्पित करें। मौसमी फलों के साथ आंवला, लौंग, नींबू, सुपारी भी चढ़ाएं। इसके बाद गाय के दूध से बनी खीर का भोग लगाएं।
    • दिन भर कुछ खाएं नहीं। संभव न हो तो एक समय भोजन कर सकते हैं। रात को मूर्ति के पास ही जागरण करें। भगवान के भजन गाएं।
    • अगले दिन ब्राह्मणों को भोजन कराएं। इसके बाद ही उपवास खोलें। इस तरह व्रत और पूजा करने से योग्य संतान की प्राप्ति होती है।

    पुत्रदा एकादशी की कथा

    पहले किसी समय में भद्रावतीपुरी में राजा सुकेतुमान राज्य करते थे। उनकी रानी का नाम चम्पा था। उनके यहां कोई संतान नहीं थी, इसलिए दोनों पति-पत्नी सदा चिन्ता और शोक में रहते थे। इसी शोक में एक दिन राजा सुकेतुमान वन में चले गये। जब राजा को प्यास लगी तो वे एक सरोवर के निकट पहुंचे। वहां बहुत से मुनि वेदपाठ कर रहे थे। राजा ने उन सभी मुनियों को वंदना की। प्रसन्न होकर मुनियों ने राजा से वरदान मांगने को कहा।

    मुनि बोले कि पौष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकदाशी कहते हैं। उस दिन व्रत रखने से योग्य संतान की प्राप्ति होती है। तुम भी वही व्रत करो। ऋषियों के कहने पर राजा ने पुत्रदा एकादशी का व्रत किया। कुछ ही दिनों बाद रानी चम्पा ने गर्भधारण किया। उचित समय आने पर रानी ने एक तेजस्वी पुत्र को जन्म दिया, जिसने अपने गुणों से पिता को संतुष्ट किया तथा न्यायपूर्वक शासन किया।

    श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को बताया था ये व्रत

    पौष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी कहते हैं। पुत्रदा एकादशी का महत्व स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को बताया था। पुत्रदा एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा और व्रत कर के रात्रि जागरण करने का बहुत महत्व है। इस व्रत को करने से जिस फल की प्राप्ति होती  है, वह हजारों सालों तक तपस्या करने से भी नहीं मिलता। जो पुत्रदा एकादशी का व्रत करते हैं, वे इस लोक में पुत्र पाकर मृत्यु के बाद स्वर्ग प्राप्त करते हैं। इस माहात्म्य को पढ़ने और सुनने से विशेष फल मिलता है।

    You May Watch Putrda Ekadashi Vrat Katha Here:-



    1 टिप्पणी:

    1. Varuthini Ekadashi 26th april 2022:
      वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को वरुथिनी एकादशी कहा जाता है। इस साल वरुथिनी एकादशी पर त्रिपुष्कर योग बन रहा है। ज्योतिष के अनुसार, इस शुभ योग में किए गए कार्यों का फल तीन गुना मिला है। मान्यता है कि वरुथिनी एकादशी का व्रत रखने से कष्टों से मुक्ति मिलती है और व्यक्ति को अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है।
      वरुथिनी एकादशी तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा का महत्व और पारण का समय ?

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