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    श्री साईं व्रत के नियम, उद्यापन विधि व कथा – Shri Sai Baba Ji Ke Vrat Ke Niyam, Udyapan Vidhi aur Katha

    Shri Shridi Sai baba ka Vrat katha, Niyam, Udyapan Vidhi- साईं व्रत के नियम, उद्यापन विधि व कथा

    श्री साईं बाबा व्रत के फलस्वरूप निम्नलिखित लाभ व फल प्राप्त हो सकते है: पुत्र की प्राप्ति, कार्य सिद्धि, वर प्राप्ति, वधु प्राप्ति, खोया धन मिले, जमीन जायदात मिले, धन मिले, साईं दर्शन, मन की शान्ति, शत्रु शांत होना, व्यापार में वृद्धि, बांझ को भी बच्चे की प्राप्ति हो, इच्छित वास्तु की प्राप्ति, पति का खोया प्रेम मिले, परीक्षा में सफलता, यात्रा का योग, रोग निवारण, कार्य सिद्धि, सर्व मनोकामना पूर्ती, इत्यादि|

    श्री साईं बाबा जी के व्रत नियम

    • साईं व्रत कोई भी कर सकतें हैं चाहे – स्त्री, पुरुष और बच्चे|
    • यह व्रत किसी भी जाति – पाति के भेद भाव बिना कोई भी व्यक्ति कर सकता है|
    • यह व्रत बहुत ही चमत्कारी है| 1, 9, 11, अथवा 21 करने से निश्चित ही इच्छुक फल प्राप्त होता है|
    • इस व्रत को श्री साईं बाबा जी का नाम लेकर किसी भी गुरुवार से आरम्भ कर सकतें हैं| जिस कार्य के लिए व्रत किया गया हो उसके लिए श्री साईं बाबा जी से सच्चे हरदे से प्राथना करनी चाहिए|
    • किसी आसन पर पीला कपड़ा बिछाकर उस पर श्री साईं बाबा जी की तस्वीर रखकर स्वच्छ जल से पोंछकर चन्दन या कुंकुम का तिलक लगाना चाहिए और उन पर पीला फूल या हार चढ़ाकर प्रसाद में कोई भी फल या मिठाई बंटी जा सकती है|
    • यह व्रत फलाहार लेकर किया जा सकता है जैसे दूध, चाय, फल, मिठाई आदि लेकर अथवा एक समय भोजक करके किया जा सकता है| बिल्कुल भूखे रहकर उपवास नहीं करना चाहिए|
    • प्रत्यके गुरुवार हो सके तो साईं बाबा के मन्दिर जाकर दर्शन करने चाहिए| साईं बाबा के मन्दिर ना जा सके तो श्रद्धापूर्वक घर में ही साईं बाबा की पूजा की जा सकती है|
    • यदि किसी करणवश गुरुवार को कहीं जाना हो तो व्रत को नियमनुसार सुचारू रखना चाहिए|
    • यदि किसी कारणवश किसी गुरुवार व्रत ना कर पायें तो उस गुरुवार को गिनती में ना लेते हए मन में किसी प्रकार की शंका ना रखते हुए, अगले गुरुवार से व्रत जारी रखें| मन्नत माने हए गुरुवार पूरे कर व्रत का उध्यापर करें|
    • एक बार मन्नत अनुसार व्रत पूर्ण करने के बाद फिर मन्नत कर सकते हैं, और फिर व्रत कर सकते हैं|

    श्री साईं बाबा जी के व्रत की उद्यापन विधि

    • 9वे गुरूवार को उद्यापन करना चाहिए इसमें पांच गरीब को भोजन किया जाए (भोजन अपनी यथाशक्ति देना या करवाना)
    • साईं बाबा की महिमा एवं व्रत का फैलाव करने के लिए अपने सगे-सम्बन्धी या पडोसियों को यह किताबे 5, 11, 21 अपनी यथाशक्ति भेट दी जाए इस तरह व्रत का उद्यापन किया जाय
    • 9वे गुरूवार को जो किताबे भेट देनी है उसका यथाशक्ति पूजा में रखिए और बाद में ही भेट दी जाए जिससे आपकी एवं अन्य व्यक्तियों की भी मनोकामना पूर्ण हो उपरोक्त विधि से व्रत करने से एवं विधिपूर्वक उद्यापन करने से निश्चित हो आपकी मनोकामना पूर्ण होगी ऐसा साईं भक्तो का विश्वास है

    श्री साईं बाबा जी की व्रत कथा

    कोकिला बहन और उनके पति महेशभाई शहर में रहते थे दोनों को एक-दुसरे के प्रति प्रेम-भाव था परन्तु महेशभाई का स्वाभाव झगडालू था बोलने की तमीज ही न थी आदोसी-पडोसी उनके स्वाभाव से परेशान थे, लेकिन कोकिला बहन बहुत ही धार्मिक स्त्री थी, भगवान पर विश्वास रखती एवं बिना कुछ कहे सब कुछ सह लेती धीरे-धीरे उनके पति का धंधा-रोजगार ठप हो गया कुछ भी कमाई नहीं होती थी महेशभाई अब दिन-भर घर पर ही रहते और अब उन्होंने गलत राह पकड़ ली अब उनका स्वभाव पहले से भी अधिक चिडचिडा हो गया|

    दोपहर का समय था एक वृद्ध महाराज दरवाजे पर आकार खड़े हो गए चेहरे पर गजब का तेज था और आकर उन्होंने दल-चावल की मांग की कोकिला बहन ने दल-चावल दिये और दोनों हाथों से उस वृद्ध बाबा को नमस्कार किया, वृद्ध ने कहा साईं सुखी रखे कोकिला बहन ने कहा महाराज सुख कीमत में नहीं है और अपने दुखी जीवन का वर्णन किया|

    महाराज ने श्री साईं के व्रत के बारे में बताया 9 गुरूवार (फलाहार) या एक समय भोजन करना, हो सके तो बेटा साईं मंदिर जाना, घर पर साईं बाबा की 9 गुरूवार पूजा करना, साईं व्रत करना और विधि से उद्यापन करना भूखे को भोजन देना, साईं व्रत की किताबे 5, 11, 21 यथाशक्ति लोगों को भेट देना और इस तरह साईं व्रतका फैलाव करना साईबाबा तेरी सभी मनोकामना पूर्ण करता है, लेकिन साईबाबा पर अटूट श्रद्धा रखना जरुरी है धीरज रखनी चाहिए जो उपरोक्त विधि से व्रत और उद्यापन करेगा साईबाबा उनकी मनोकामना जरुर पूर्ण करेंगे|

    कोकिला बहन ने भी गुरुर्वार का व्रत लिया 9 वे गुरूवार को गरीबो को भोजन दिया सैव्रत की पुस्तके भेट दी उनके घर से झगडे दूर हुए घर में बहुत ही सुख शांति हो गई, जैसे महेशभाई का स्वाभाव ही बदल गया हो उनका धंधा-रोजगार फिर से चालू हो गया थोड़े समय में ही सुख समृधि बढ़ गई दोनों पति पत्नी सुखी जीवन बिताने लगे एक दिन कोकिला बहन के जेठ जेठानी सूरत से आए बातो बातो में उन्होंने बताया के उनके बच्चे पढाई नहीं करते परीक्षा में फ़ेल हो गए है कोकिला बहन ने 9 गुरूवार की महिमा बताई साईं बाबा के भक्ति से बच्चे अच्छी तरह अभ्यास कर पाएँगे लेकिन इसके लिए साईं बाबा पर विश्वास रखना ज़रूरी है साईं सबको सहायता करते है उनकी जेठानी ने व्रते की विधि बताने के लिए कहा कोकिला बहन ने कहा की 9 गुरूवार फलाहार करके अथवा एक समय भोजन करके यह व्रत किया जा सकता है और 9 गुरूवार तक हो सके तो साईं मंदिर के दर्शन के लिए जाने को कहा और यह कहा की:

    • यह व्रत स्त्री, पुरुष या बच्चे कोई भी कर सकते है 9 गुरूवार साईं फोटो की पूजा करना
    • फूल चढाना, दीपक, अगरबत्ती अदि करना प्रसाद चढाना एवं साईं बाबा का स्मरण करना आरती करना अदि विधि बताई
    • साईं व्रत कथा, साईं स्मरण, साईं चालीसा अदि का पाठ करना
    • 9वे गुरुवार को गरीबो को भोजन देना
    • 9वे गुरुवार यह साईं व्रत की किताबे अपने सगे-सम्बन्धी, अडोसी-पडोसी को भेट देना

    सूरत से उनकी जेठानी का थोड़े दिनों में पत्र आया की उनके बच्चे साईं व्रत करने लगे है और बहुत अच्छे तरह से पढ़ते है उन्होंने भी व्रत किया था और व्रत की किताबे जेठ के ऑफिस में दे थी इस बारे में उन्होंने लिखा के उनके सहेली की बेटी शादी साईं व्रत करने से बहुत ही अच्छी जगह तै हो गई उनके पडोसी का गहेनो का डब्बा दम हो गया वह महीने के बाद गहनों का डिब्बा न जाने कोन वापस रख गया एसा अद्भुत चमत्कार हुआ था|

    कोकिला बहन ने साईं बाबा की महिमा महान है वह जान लिया था|

    हे साईं बाबा जैसे सभी लोगों पर प्रसन्न होते है, वैसे हम पर भी होना |






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