Thursday, June 12.

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vindhyeswari+mata

निशुम्भ शुम्भ गर्जनी, प्रचण्ड मुण्ड खण्डिनी।

बनेरणे प्रकाशिनी, भजामि विन्ध्यवासिनी॥

त्रिशूल मुण्ड धारिणी, धरा विघात हारिणी।

गृहे-गृहे निवासिनी, भजामि विन्ध्यवासिनी॥


दरिद्र दुःख हारिणी, सदा विभूति कारिणी।

वियोग शोक हारिणी, भजामि विन्ध्यवासिनी॥

लसत्सुलोल लोचनं, लतासनं वरप्रदं।

कपाल-शूल धारिणी, भजामि विन्ध्यवासिनी॥


कराब्जदानदाधरां, शिवाशिवां प्रदायिनी।

वरा-वराननां शुभां भजामि विन्ध्यवासिनी॥

कपीन्द्न जामिनीप्रदां, त्रिधा स्वरूप धारिणी।

जले-थले निवासिनी, भजामि विन्ध्यवासिनी॥


विशिष्ट शिष्ट कारिणी, विशाल रूप धारिणी।

महोदरे विलासिनी, भजामि विन्ध्यवासिनी॥

पुंरदरादि सेवितां, पुरादिवंशखण्डितम्‌।

विशुद्ध बुद्धिकारिणीं, भजामि विन्ध्यवासिनीं॥



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