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    Raksha Bandhan -रक्षाबंधन Date, Timing and Katha

    Raksha Bandhan 2020 Date and timing | रक्षाबंधन पौराणिक कथा

    Date and Timing

    रक्षाबंधन शुभ मुहूर्त 3 August 2020
    रक्षाबंधन अनुष्ठान का समय- सुबह 09 बजकर 28 मिनट से रात 09 बजकर 14 मिनट तक
    अपराह्न मुहूर्त- दोपहर 01 बजकर 46 मिनट से शाम 04 बजकर 26 मिनट तक
    प्रदोष काल मुहूर्त- शाम 07 बजकर 06 मिनट से रात 09 बजकर 14 मिनट तक
    पूर्णिमा तिथि आरंभ – 02 अगस्त की रात 09 बजकर 28 मिनट से प्रारंभ होगा
    पूर्णिमा तिथि समाप्त- 03 अगस्त की रात 09 बजकर 27 मिनट पर


    रक्षाबंधन को भाई बहन के अटूट प्रेम का त्योहार है। रक्षाबंधन दो शब्दों से मिलकर बना है रक्षा + बंधन जिसका अर्थ है रक्षा के बंधन में बंधना । रक्षा बंधन के दिन एक भाई अपनी बहन को उसक हर प्रकार से रक्षा का वचन देता है। इस दिन एक बहन अपने भाई को राखी बांधकर उससे अपनी रक्षा का वचन लेती है और भाई भी अपनी बहन के सभी दायित्वों का भार अपने ऊपर लेकर उसकी हर प्रकार से रक्षा का वचन देता है। रक्षाबंधन के दिन कलाई पर बांधा गया राखी का धागा सिर्फ एक धागा नहीं होता बल्कि यह भाई - बहन के प्रेम का सूत्र होता है। बहन अपने भाई को राखी इसलिए भी बांधती है ताकि उसके जीवन पर किसी भी प्रकार कोई संकट न आ सके। बहन इस दिन अपने भाई के लिए व्रत रखती है और तब तक कुछ भी नही खाती जब तक वह अपने भाई को राखी न बांध दे। राखी का रक्षाबंधन का धागा एक ऐसा कवच होता है। जिसे यमराज भी नही भेद सकता।

    रक्षाबंधन पूजा विधि (Raksha Bandhan Puja Vidhi) 

    Raksha Bandhan 2020 Date and timing | रक्षाबंधन पौराणिक कथा


    • रक्षाबंधन के दिन सबसे पहले बहनों को सुबह जल्दी उठकर स्नान करके साफ वस्त्र धारण करने चाहिए। 
    • इसके बाद आटे से चौक पूजकर मिट्टी के छोटे से घड़े की स्थापना करें। 
    • एक थाली में रोली, अक्षत, कुमकुम, मिठाई, घी का दीया और राखी रखें। 
    • इसके बाद भाई को पूर्व दिशा की और बैठाकर रोली से तिलक करें और उसकी दहिने हाथ की कलाई पर राखी बांधे।
    • राखी बांधने के बाद अगर भाई छोटा है तो उसे आर्शीवाद दे और बड़ा है तो उससे आर्शीवाद ले।

    Raksha Bandhan Katha- पौराणिक कथा

    Raksha Bandhan 2020 Date and timing | रक्षाबंधन पौराणिक कथा

    रक्षाबंधन का त्योहार हजारो साल पहले से ही मनाया जा रहा है। राखी या रक्षासूत्र सबसे पहले राजा बली को बांधा गया था। राजा बलि को मां लक्ष्मी ने राखी बांधकर अपना भाई बनाया था। राजा बलि ने अपने 100 यज्ञ पूरे करके स्वर्ग लोक पर कब्जा करने के लिए स्वर्गलोक पर आक्रमण कर दिया था। इसके बाद वराज इंद्र ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की। भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर राजा बलि से भिक्षा में तीन पग जमीन मांगी। भगवान ने दो पग में ही पूरी धरती नाप डाली और फिर तीसरा पग देने के लिए तब राजा बलि से कहा। इस पर राजा बलि समझ गया कि वामन रूप में दिख रहा यह भिखारी कोई साधारण भिखारी नहीं है। तीसरे पग के रूप में राजा बलि ने अपना सिर भगवान विष्णु के आगे झुका दिया। इससे भगवान विष्णु राजा बलि की भक्ती से प्रसन्न हो गए और वरदान मांगने को कहा। तो राजा बलि ने मांगा कि भगवान स्वयं उसके दरवाजे पर रात दिन खड़े रहें। ऐसे होने के बाद भगवान विष्णु राजा बलि के पहरेदार बन गए। कहा जाता है कि काफी दिन तक भगवान स्वर्गलोक वापस नहीं पहुंची तब माता लक्ष्मी ने राजा बलि के पास जाकर उन्हें रक्षासूत्र बांधा और अपना भाई बनाया। जिसके बाद मां लक्ष्मी ने उपहार के रूप में राजा बलि को भगवान विष्णु से मांग लिया। जिस समय यह पूरी घटना हुई थी। उस समय श्रावण मास की पूर्णिमा थी। उसी समय रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाने लगा। क्यों नही बांध जाती भद्रा काल में राखी पौराणिक कथा के अनुसार भद्रा काल में ही दशानन रावण की बहन सुपर्णखा ने उसे राखी बांधी थी। जिसके बाद रावण की मृत्यु हो गई थी। राखी का धागा मात्र धागा नही है यह एक रक्षा सूत्र है। इसलिए राखी बांधने के लिए शुभ मुहूर्त देखना अत्यंत आवश्यक है। यह पर्व भाई और बहन दोनों की सुरक्षा के लिए होता है। एक और कथा के अनुसार भद्रा काल में ही भगवान शिव ने तांडव किया था। जिसमें वह अपने रोद्र रुप में थे। तांडव करते समय भगवान शिव ने धरती पर संतुलन बनाया। इसी कारण भद्रा काल में राखी नहीं बांधी जाती है। मुहूर्त गुजर जानें पर भाई को कैसे बांधें राखी राखी बांधने के लिए शुभ मुहूर्त का होना अत्यंत आवश्यक है। क्योंकि राखी मात्र एक रेशम का धागा नहीं बल्कि बहनों की और से भाई को बांधा गया रक्षा सूत्र है। जो भाई की हर प्रकार से रक्षा करता है, इसलिए किसी भाई को ऐसे मुहूर्त में ही राखी बांधनी चाहिए जो सबसे ज्यादा शुभ हो, लेकिन कई बार परिस्थिति वश बहने अपने भाई को मुहूर्त के समय पर राखी नहीं बांध पाती। इसके लिए भी शास्त्रों में उपाय बताया गया है। इसके लिए सबसे पहले बहनों को राखी सबसे पहले भगवान शिव को अर्पित करनी चाहिए। इसके बाद महामृत्युंजय मंत्र का एक माला जाप करें। इसके बाद वह राखी अपने भाई की कलाई पर बांध दें। अंत में भगवान शिव से अपने भाई के कुशल मंगल की कामना करें।

    Raksha Bandhan Intersting Facts 

    Raksha Bandhan 2020 Date and timing | रक्षाबंधन पौराणिक कथा

    रक्षाबंधन मनाने की वजह : रक्षाबंधन, सावन के अंतिम दिन यानि पूर्णिमा पर मनाया जाता है। आमतौर पर लोगों को राखी के त्यौहार की प्राचीनता के बारे में पता होता है, लेकिन इसे मनाने का मूल कारण और इसे कौन-कौन मना सकता है आदि जानकारी नहीं होती है। आइये जानते हैं रक्षाबंधन से जुड़ी जानकारी और कुछ खास बातें

    Raksha Bandhan / Raksha Sutra


    पुरातन काल से ही रक्षाबंधन का त्यौहार देश में मनाया जा रहा है। इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर मौली या राखी के रुप में रक्षा सूत्र बांधती हैं और उनकी आयु वृद्धि की कामना करती हैं। इसके साथ ही भाई अपनी बहनों को शगुन में गिफ्ट या कैश देने के साथ ही सुरक्षा का वचन देते हैं। 

    Happy Raksha Bandhan / Puja


    हमारे देश में त्यौहारों को पूरे रीति-रिवाज से मनाने की परंपरा रही है। ऐसे में रक्षाबंधन के दिन बहने भाई की कलाई पर राखी बांधने से पहले रोली का तिलक लगाकर आरती करते हुए आयु वृद्धि की प्रार्थना और रिश्तों में खुशी, मिठास को बरकरार रखने की कामना करती है। 

    Happy Raksha Bandhan / Strong Brother Sister Relationship
    Raksha Bandhan 2020 Date and timing | रक्षाबंधन पौराणिक कथा

    रक्षाबंधन को मनाने की एक मु्ख्य कारण भाई बहन के रिश्ते को मजबूत करना होता है। क्योंकि कई बार अनजाने में हुई गलती या पारिवारिक समस्याओं की वजह से भाई-बहन के रिश्तों में खटास आ जाती है। ऐसे में हर साल राखी के त्यौहार पर रिश्तों खुशियों और अपनेपन की मिठास घोलने के लिए मनाया जाता है। 

    Rakhi 2019 / Gift
    Raksha Bandhan 2020 Date and timing | रक्षाबंधन पौराणिक कथा


    गिफ्ट् देना, अपने प्यार और केयर को दिखाने का सबसे सरल तरीका माना जाता है। अक्सर लोग बर्थ डे या मैरिज एनिवर्सरी पर ही एक-दूसरे गिफ्ट्स देना पसंद करते हैं। लेकिन गिफ्ट देने का ये चलन, पाश्चात्य देशों से भारत में आया है। जबकि रक्षाबंधन पर बहन के भाई की कलाई पर राखी बांधने के बाद, भाई शगुन में कैश या कोई गिफ्ट बहन को देता है, जो उसके प्यार और अपनेपन को दर्शाता है। इसके अलावा कई बार बहन भी भाई को राखी बांधने के बाद गिफ्ट देती हैं। इसमें आप अपनी बहन की पसंद की कोई गिफ्ट भी दे सकते हैं। 

    Happy Rakhi 2019 / Family Gathering
    आज के दौर में जब अधिकांश लोग पढ़ाई या करियर की वजह से घर से दूर रहते हैं। तो ऐसे में ऐसे में समय-समय पर आने वाले त्यौहार, उन लोगों को अपने घरवालों से मिलने का मौका देते हैं। यहीं नहीं, रक्षाबंधन जैसे त्यौहारों पर पूरी फैमिली एक साथ क्वॉलिटी टाइम बिताना पसंद करती है। Happy Raksha Bandhan 2019 / कौन-कौन मना सकता है रक्षाबंधन 1. रक्षाबंधन एक ऐसा त्यौहार है जिसे बच्चे और बड़े सभी समान रुप से मना सकते हैं। 2. इसे मनाने के लिए रक्त संबंध होना जरुरी नहीं हैं यानि राखी किसी को भी बांधी जा सकती है। 3. राखी आप अपने माता-पिता,पति-पत्नी, भाई, दोस्त, बड़ी बहन या अन्य किसी भरोसेमंद और करीबी को बांध सकते हैं। जिसे आप अपनी सुरक्षा करने के लिए उपयुक्त मानते हों। 4.प्राचीन काल के गुरुकुल में गुरु अपने शिष्यों को रक्षा सूत्र के रुप में राखी बांधते थे।

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