Solar Eclipse In 21 June 2020 सूर्य ग्रहण , Surya Grahan
21 जून को सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है। भारत में दिखने वाला यह एक मात्र सूर्य ग्रहण होगा। 26 दिसंबर 2019 के बाद भारत में करीब 6 महीने के बाद ही लंबा सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है। इस सूर्य ग्रहण का भी व्यापक असर देश और दुनिया पर दिखेगा। कई ज्योतिषियों का मानना है कि 2019 के ग्रहण से कोरोना महामारी का विस्तार हुआ और 2020 के ग्रहण से इसका समापन हो जाएगा। इस ग्रहण के दौरान सूर्य एक चमकीले छल्ले के समान दिखेगा। यह कंकण सूर्य ग्रहण सुबह 9 बजकर 15 मिनट 58 सेकंड पर शुरू हो जाएगा और दोपहर 3 बजकर 4 मिनट 1 सेकंड पर समाप्त होगा। यानी यह सूर्यग्रहण कुल 5 घंटे 48 मिनट और 3 सेकंड के लिए होगा। लेकिन इस सूर्यग्रहण का आरंभ और समापन का समय भारत में अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग रहेगा।
साल 2020 में भारत में दिखने वाला एक मात्र सूर्यग्रहण कंकण सूर्यग्रहण होगा। लेकिन पूरे देश में यह ग्रहण खग्रास के रूप में नजर नहीं आएगा। कुछ स्थानों पर लोग इस ग्रहण को खंडग्रास के रूप में ही देख पाएंगे। भारत में मसूरी, टोहान, चमोली, कुरुक्षेत्र, देहरादून में यह ग्रहण कंकण रूप में नजर आएगा। जबकि कई नगरों में ग्रहण का प्रतिशत अलग-अलग होगा और खंडग्रास के रूप में दिखेगा। देश की राजधानी दिल्ली में ग्रहण के दौरान सूर्य का 95 प्रतिशत हिस्सा कटा हुआ दिखेगा।
ग्रहण की शुरुआत यूं तो 9 बजकर 16 मिनट से है लेकिन भारत में इसका आरंभ सुबह 9 बजकर 56 होगा और यह सबसे पहले गुजरात के द्वारका शहर में दिखेगा। यहां ग्रहण का मध्य दिन में 11 बजकर 30 मिनट पर होगा जबकि ग्रहण का मोक्ष 1 बजकर 20 मिनट पर होगा। जबकि 2 बजकर 28 मिनट पर पूरे देश में ग्रहण समाप्त हो चुका होगा। भारत में सबसे अंत में कोहिमा में ग्रहण का मोक्ष होगा यहां ग्रहण का आरंभ 11 बजकर 04 मिनट पर होगा।
ग्रहण का आरंभ भारत में 9 बजकर 56 मिनट से हो रहा है इसलिए नियमानुसार ग्रहण से 12 घंटे पहले ग्रहण का सूतक लग जाएगा। वैसे जिस नगर में ग्रहण का आरंभ जिस समय से हो रहा है उसी अनुसार ग्रहण का सूतक का समय भी लागू होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि शास्त्र कहता है कि सूर्यग्रहण में ग्रहण स्पर्श होने से ठीक 12 घंटे पहले सूतक आरंभ होता है। इसलिए भारत में 20 तारीख की रात 9 बजकर 56 मिनट से ग्रहण का सूतक मान्य होगा। दिन में 2 बजकर 28 मिनट पर पूरे देश से ग्रहण का सूतक समाप्त हो जाएगा। वैसे अलग-अलग नगरों में सूतक समाप्त होने का समय अलग-अलग हो सकता है, क्योंकि ग्रहण का समापन अलग-अलग नगरों में अलग समय पर होगा।
ज्योतिष के विशेषज्ञों की मानें तो इस सूर्यग्रहण से ग्रह नक्षत्रों में होने वाले बदलावों से कोरोना महामारी की अंत होना शुरू हो जाएगा। इस बार सूर्य ग्रहण रविवार को होने की वजह से वर्षा की कमी, गेहूं, धान और अन्य अनाज के उत्पादन में कमी आ सकती है। वहीं गाय के दूध का उत्पादन भी घट सकता है। इसके अलावा यह भी माना जा रहा है कि प्रमुख देशों के राष्ट्राध्यक्षों के बीच भी तनाव और बहस बढ़ सकती है। वहीं व्यापारियों के लिए यह ग्रहण अच्छा और लाभ देने वाला माना जा रहा है।
सूर्य ग्रहण में क्या करें क्या न करें
हमारे ऋषि-मुनियों ने सूर्य ग्रहण लगने के समय भोजन के लिए मना किया है, क्योंकि उनकी मान्यता थी कि ग्रहण के समय में कीटाणु बहुलता से फैल जाते हैं। खाद्य वस्तु, जल आदि में सूक्ष्म जीवाणु एकत्रित होकर उसे दूषित कर देते हैं। इसलिए ऋषियों ने पात्रों के कुश डालने को कहा है, ताकि सब कीटाणु कुश में एकत्रित हो जाएं और उन्हें ग्रहण के बाद फेंका जा सके। पात्रों में अग्नि डालकर उन्हें पवित्र बनाया जाता है ताकि कीटाणु मर जाएं। ग्रहण के बाद स्नान करने का विधान इसलिए बनाया गया ताकि स्नान के दौरान शरीर के अंदर ऊष्मा का प्रवाह बढ़े, भीतर-बाहर के कीटाणु नष्ट हो जाएं और धुल कर बह जाएं।
पुराणों की मान्यता के अनुसार राहु चंद्रमा को तथा केतु सूर्य को ग्रसता है। ये दोनों ही छाया की संतान हैं। चंद्रमा और सूर्य की छाया के साथ-साथ चलते हैं। चंद्र ग्रहण के समय कफ की प्रधानता बढ़ती है और मन की शक्ति क्षीण होती है, जबकि सूर्य ग्रहण के समय जठराग्नि, नेत्र तथा पित्त की शक्ति कमज़ोर पड़ती है। गर्भवती स्त्री को सूर्य-चंद्र ग्रहण नहीं देखने चाहिए, क्योंकि उसके दुष्प्रभाव से शिशु अंगहीन होकर विकलांग बन सकता है, गर्भपात की संभावना बढ़ जाती है। इसके लिए गर्भवती के उदर भाग में गोबर और तुलसी का लेप लगा दिया जाता है, जिससे कि राहु-केतु उसका स्पर्श न करें। ग्रहण के दौरान गर्भवती महिला को कुछ भी कैंची या चाकू से काटने को मना किया जाता है और किसी वस्त्रादि को सिलने से रोका जाता है। क्योंकि ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से शिशु के अंग या तो कट जाते हैं या फिर सिल (जुड़) जाते हैं।
ग्रहण लगने के पूर्व नदी या घर में उपलब्ध जल से स्नान करके भगवान का पूजन, यज्ञ, जप करना चाहिए। भजन-कीर्तन करके ग्रहण के समय का सदुपयोग करें। ग्रहण के दौरान कोई कार्य न करें। ग्रहण के समय में मंत्रों का जाप करने से सिद्धि प्राप्त होती है। ग्रहण की अवधि में तेल लगाना, भोजन करना, जल पीना, मल-मूत्र त्याग करना, केश विन्यास बनाना, रति-क्रीड़ा करना, मंजन करना वर्जित किए गए हैं। कुछ लोग ग्रहण के दौरान भी स्नान करते हैं। ग्रहण समाप्त हो जाने पर स्नान करके ब्राह्मण को दान देने का विधान है। कहीं-कहीं वस्त्र, बर्तन धोने का भी नियम है। पुराना पानी, अन्न नष्ट कर नया भोजन पकाया जाता है और ताजा भरकर पिया जाता है। ग्रहण के बाद डोम को दान देने का अधिक माहात्म्य बताया गया है, क्योंकि डोम को राहु-केतु का स्वरूप माना गया है।
सूर्यग्रहण में ग्रहण से चार प्रहर पूर्व और चंद्र ग्रहण में तीन प्रहर पूर्व भोजन नहीं करना चाहिये। बूढे बालक और रोगी एक प्रहर पूर्व तक खा सकते हैं ग्रहण पूरा होने पर सूर्य या चंद्र, जिसका ग्रहण हो, ग्रहण के दिन पत्ते, तिनके, लकड़ी और फूल नहीं तोडना चाहिए। बाल तथा वस्त्र नहीं निचोड़ने चाहिये व दंत धावन नहीं करना चाहिये ग्रहण के समय ताला खोलना, सोना, मल मूत्र का त्याग करना, मैथुन करना और भोजन करना - ये सब कार्य वर्जित हैं। ग्रहण के समय मन से सत्पात्र को उद्देश्य करके जल में जल डाल देना चाहिए। ऐसा करने से देनेवाले को उसका फल प्राप्त होता है और लेने वाले को उसका दोष भी नहीं लगता। ग्रहण के समय गायों को घास, पक्षियों को अन्न, जरुरतमंदों को वस्त्र दान से अनेक गुना पुण्य प्राप्त होता है। 'देवी भागवत' में आता है कि भूकंप एवं ग्रहण के अवसर पृथ्वी को खोदना नहीं चाहिये। बच्चों, गर्भवती स्त्रियों या वृद्ध, रोगी को खाने पीने में कोई दोष नहीं है।
★★ गर्भवती स्त्रियां क्या करें क्या ना करें ।।
गर्भवती महिलाओं को ग्रहण काल शुरू होने से पहले नाभि पर गौमूत्र व गोबर का हल्का सा लेप लगा ले या पवित्री पहन लें या कुछ भी न मिलने की अवस्था में 1 नारियल ग्रहण काल में अपने पास रख लें व ग्रहण समाप्त होने पर उसको अपने ऊपर से 7 बार वार के चलते हुए पानी में बहा दें। ठाकुर जी का नाम जप करते रहें ग्रहण काल में काटना, एक ही अवस्था में ज्यादा देर शयन करना ,सेकना, सिलना अत्याधिक तीखा कसैला भोजन खाना, फ़टकना आदि कार्य नहीं करने चाहिए ।
साल का पहला सूर्य ग्रहण 21 जून को लगने वाला है जो सुबह 9 बजकर 15 मिनट से दोपहर 3 बजकर 4 मिनट तक रहेगा. यह ग्रहण मंगल के नक्षत्र में पड़ने वाला है. ये सूर्य ग्रहण बहुत खास है क्योंकि इस ग्रहण पर मिथुन राशि में सूर्य, बुध, राहु और चंद्रमा की युति बनी रहेगी. इसके अलावा इस समय राहु, केतु प्लूटो, शनि, बृहस्पति बुध, शुक्र वक्री रहेंगे और मंगल अपना राशि परिवर्तन कर चुका होगा |
ये वक्री ग्रह आपके जीवन में और देश-दुनिया में कई तरह के बदलाव लेकर आने वाले हैं. इस समय पूरी दुनिया में महामारी फैली हुई है. इसके अलावा इन ग्रहों की वजह से देश के कई हिस्सो में भूकंप आने की भी संभावना बनी रहेगी. जानते हैं कि आपकी राशि पर इस ग्रहण का क्या असर पड़ेगा |
- मेष- इस राशि के लोगों को अपने गुस्से में आकर कोई ऐसी बात ना कहें जो भविष्य में आपके लिए खतरा बन जाए. खुद के साथ घर वालों के सेहत पर भी विशेष ध्यान दें. आपको पैरों से जुड़ी कोई बीमारी हो सकती है. कोई संबंध हमेशा के लिए खराब ना हो इस चीज का ध्यान रखना है. भाग्य आपके साथ है और आपको सही कर्मों का फल मिलेगा. ग्रहण के बाद एक लोटा जल सूर्यदेव को चढाएं और गुड़ का दान करें|
- वृषभ- इस ग्रहण के दौरान आपके आर्थिक भाव में परेशानियां हो सकती हैं. खराब खाना खाने से बचें वरना फूड प्वाइजनिंग की समस्या हो सकती है. खान-पान के अलावा वाणी पर भी ध्यान दें वरना आपके रिश्ते खराब हो सकते हैं. संतान पक्ष और संबंधों का ध्यान रखें. प्रॉपर्टी में फायदा हो सकता है. ये ग्रहण आपके लिए मध्यम फल देने वाला होगा. ग्रहण काल में अपनी राशि के स्वामी शुक्र को मजबूत करने की कोशिश करें. ग्रहण के बाद सफेद चीजों का दान करें.
- मिथुन- आपकी राशि में पड़ने वाला ये ग्रहण आपको थोड़ा बेचैन कर सकता है. कार्यक्षेत्र में हड़बड़ी में आकर किसी निर्णय पर ना पहुंचें. घर से जुड़ी आपकी समस्याएं बढ़ सकती हैं. निर्णायक के तौर पर आगे बढ़ेंगे लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि आपकी बातों को गलन ना समझा जाए. आप तनाव में आ सकते हैं और एक भ्रम की स्थिति बन सकती है. इससे आपको बचकर चलना जरूरी है. मेहनत का फल आसानी से नहीं मिलेगा और आपको अपनी कोशिश बढ़ानी पड़ेगी. बुध के मंत्रों का जाप करें. ग्रहणकाल के बाद गणपति को पांच लड्डू चढ़ा दे |
- कर्क- ग्रहणकाल के दौरान आप अपने आपको पीड़ित महसूस करेंगे. खुद को किसी परिस्थिती में फंसा हुआ महसूस करेंगे और आपको ऐसा लगेगा कि आप इससे बाहर नहीं निकल पा रहे हैं. तनाव बढ़ेगा और आपको लगेगा कि अब आपकी सहनशीलता खत्म हो रही है. आर्थिक नुकसान भी हो सकता है लेकिन आपको बहुत ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है. अपने खर्चों पर नियंत्रण रखें. सेहत पर विशेष ध्यान दें. ग्रहणकाल में ऊं नम: शिवाय का जाप करें. ग्रहणकाल के बाद किसी निर्धन को दूध का दान करें |
- सिंह- ये ग्रहण आपके एकादश भाव में पड़ रहा है और आपकी राशि का स्वामी भी इससे प्रभावित है. आपको धन लाभ होगा लेकिन इसके लिए आपको कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी. आप अपनी वाक कला और लेखन के माध्यम से अच्छा धन कमा सकते हैं. संतान पक्ष का ध्यान रखें और अपनी सेहत पर भी ध्यान दें. छोटे भाई-बहनों का ख्याल रखें. ग्रहणकाल के दौरान सूर्य के मंत्रों का जाप करें. ग्रहणकाल के बाद एक लोटा जल सूर्य भगवान को चढ़ाएं और सिंदूर का दान करें |
- कन्या- कार्यक्षेत्र में सावधान रहने की जरूरत है और कोई निर्णय ना लें. ऑफिस के काम में कोई परेशानी आ सकती है. अचानक नौकरी छोड़ने का भी ख्याल आएगा और एक असमंजस की स्थिति बनेगी. पिता की सेहत पर ध्यान दें. क्रोध पर नियंत्रण रखने की जरूरत है. वाणी द्वारा धनलाभ के योग बन रहे हैं. आपकी समय सही चलेगा. ग्रहणकाल के दौरान बुध के मंत्रों का जाप करें और ग्रहण के बाद गौशाला में चारे का दान करें|
- तुला- ये ग्रहण आपके भाग्य स्थान पर पड़ रहा है. इस दौरान आपको किसी सड़क दुर्घटना से बच कर रहना होगा. इस बात का ध्यान रखें कि आपकी बात को किसी भी तरह गलत ना समझा जाए. अपने खर्चों पर नियंत्रण रखें. कार्यक्षेत्र में किसी तरह की परेशानी आ सकती है. फिलहाल कोई भी निर्णय लेने से बचें. ग्रहणकाल के दौरान शुक्र के मंत्रों का जाप करें और ग्रहण के बाद सफेद चीजों का दान करें.
- वृश्चिक- पैतृक संपत्ति और निवेश का लाभ होगा. जरूरत से ज्यादा तनाव लेने से बचें. आपका झुकाव आध्यात्म की तरफ झुकेगा. ग्रहणकाल के दौरान कृष्ण के मंत्रों का जाप करें और ग्रहण के बाद दूध का दान करें.
- धनु- पार्टनर के साथ किसी बात को लेकर झड़प हो सकती है और आप दोनों के बीच कोई गलतफहमी आ सकती है. धन संबंधी कोई निर्णय ना लें. नौकरी को लेकर बहुत उतावलापन ना दिखाएं. जीवनसाथी के साथ मनमुटाव हो सकता है. अपने काम पर अच्छे से ध्यान दें. आपकी राशि में बैठा केतु आपको नए सिरे से सोचने पर मजबूर करेगा. ग्रहणकाल के दौरान विष्णु का पाठ करें या मंत्रों का जाप करें. ग्रहणकाल के बाद हल्दी का पैकेट किसी गरीब व्यक्ति को दान करें.
- मकर- ये ग्रहण आपके छठे भाव यानी रोग भाव में पड़ेगा. इस समय आपको त्वचा की किसी बीमारी या वायरल इंफेक्शन से बचकर रहना है. कम्युनिकेशन में दिक्कत आ सकती है. ये भी हो सकता है कि कई मामलों में आपको गलत समझा जाए. बेवजह के लड़ाई-झगड़े से बचकर रहें. ग्रहणकाल के दौरान हनुमान, कृष्ण या शनि के मंत्रों का जाप करें. ग्रहणकाल के बाद किसी पीपल के पेड़ के नीचे सरसों का तेल चढाएं.
- कुंभ- संतान से जुड़ी कोई चिंता परेशान कर सकती है. संबंधों से जुड़ी कोई चिंता हो सकती है. परिवार के सदस्यों के सेहत पर विशेष ध्यान दें. बच्चों की शिक्षा से जुड़ी चिंता भी आपको परेशान कर सकती है. घर में रहने का मन नहीं करेगा. वाणी पर नियंत्रण रखें वरना आपके संबंधों में दरार आ सकती है. ड्राइविंग करते समय सावधान रहने की जरूरत है. पैरों से जुड़ी समस्या हो सकती है. शत्रु पक्ष प्रभावशाली हो सकता है. हनुमान और शनि के मंत्रों का जाप करें. ग्रहणकाल के बाद पीपल के पेड़ के नीचे जल चढ़ाएं.
- मीन- मां और जीवनसाथी के साथ किसी बात पर झड़प हो सकती है. अपने गुस्से पर काबू करने की कोशिश करें. आप में नेतृत्व शक्ति है जिसकी वजह से आप मुद्दों को आसानी से सुलझा लेंगे. ऑफिस में कोई नया पद मिल सकता है. संतान पक्ष को हानि हो सकती है. ग्रहणकाल के दौरान विष्णु के मंत्रों का जाप करें. ग्रहणकाल के बाद किसी मंदिर में चने की दाल का दान करें |
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