केदारनाथ शिवलिंग की कथा | Kedarnath Shivling History
देवों के देव महादेव अगर किसी से बचकर भागते फिरे तो सुनकर आप हैरान होंगे। लेकिन यह सच है कि महादेव को भी पांच भाईयों ने भागने पर विवश कर दिया था, इतना ही नहीं इन भाईयों से अपनी पहचान छुपाने के लिए महादेव को बैल बनने तक के लिए भी मजबूर कर दिया था। अगर आपको यकीन नहीं होता तो हम आपको महाभारत काल की एक कथा और ऐसा प्रमाण बता रहे हैं जिसके बाद आप भी मान जाएंगे कि पांचों पाण्डवों ने भगवान शिव को बैल बनने पर विवश कर दिया था।
Kedarnath Shivling| After Mahabharat
बात उस समय समय कि है जब महाभारत युद्ध समाप्त हो चुका था और पांचों पाण्डव भगवान श्री कृष्ण के साथ युद्ध की समीक्षा कर रहे थे। कृष्ण ने पाण्डवों से कहा कि युद्ध में भले ही जीत तुम्हारी हुई है, लेकिन तुम लोग गुरू और अपने बंधु-बांधवों को मारने के कारण पाप के भागी बन गये हो। इन पापों के कारण मुक्ति मिलना असंभव है। इस पर पाण्डवों ने पाप से मुक्ति पाने का उपाय पूछा।
कृष्ण ने कहा कि इन पापों से सिर्फ महादेव ही मुक्ति दिला सकते हैं, अतः महादेव की शरण में जाओ। महादेव को जब इस बात की जानकारी मिली की पाण्डव उनके पास आ रहे हैं तो वह सतर्क हो गये। पाण्डवों के सामने आने से बचने के लिए बार-बार स्थान परिवर्तन करने लगे क्योंकि महादेव पाण्डवों द्वारा राज्य पाने हेतु बंधु-बांधवों का वध करने के कारण उनसे नाराज थे।
पाण्डव भी मन में ठान चुके थे कि हर हाल में उन्हें महादेव को पाना है और उनसे अपनी मुक्ति का मार्ग जानना है। महादेव का पीछा करते हुए पाण्डव केदरानाथ पहुंचे। महादेव ने देखा कि पाण्डव केदरानाथ आ गये हैं तो उनसे बचने के लिए उपाय ढूंढने लगे, तभी उनकी दृष्टि पशुओं के झुण्ड पर गयी और वह अपनी पहचान छुपाने के लिए बैल बनकर झुण्ड में शामिल हो गये।
पाण्डवों के लिए पशुओं के झुण्ड में से महादेव को पहचानना कठिन हो गया। महाबली भीम तब दो पहाड़ों के बीच पांव रखकर खड़े हो गये। बाकि सभी भाईयों ने पशुओं को भीम के पैरों के बीच से भगाना शुरू कर दिया। सभी पशु भीम के पैरों के नीचे से गुजरकर भाग गये लेकिन महादेव को पैरों के बीच से निकलकर जाना अनुचित लगा और वह वहीं पर खड़े रह गये और पाण्डवों ने शिव को पहचान लिया।
Kedarnath Shivling Katha- Shivling
बस फिर क्या था महादेव बैल रूप में ही धरती में समाने लगे। भीम ने आव देखा न ताव झट से बैल बने महादेव का कुल्हा पकड़ लिया। महादेव को विवश होकर प्रकट होना पड़ा और पाण्डवों की दृढ़ भक्ति और इच्छाशक्ति को देखते हुए उन्हें पाप से मुक्त करना पड़ा। आज भी इस घटना के प्रमाण शुरू केदारनाथ का शिवलिंग बैल के कुल्हे के रूप में मौजूद है।
शिव जब बैल रूप में धरती में समा रहे थे उस समय उनके सिर का भाग नेपाल में निकाला जिसकी पूजा पशुपतिनाथ के रूप में होती है। शिव की भुजाएं तुंगनाथ में, मुख रुद्रनाथ में, नाभि मदमदेश्वर में और जटा कल्पेश्वर में प्रकट हुए। इन सभी को सम्मिलित रूप से पंचकेदार के नाम से जाना जाता है।
Kedarnath Shivling Location
मंदाकिनी नदी के पास गढ़वाल हिमालय श्रृंखला पर स्थित, केदारनाथ भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित है। अत्यधिक मौसम की स्थिति के कारण, मंदिर केवल अप्रैल (अक्षय तृतीया) और नवंबर (कार्तिक पूर्णिमा, शरद पूर्णिमा) के महीनों के बीच आम जनता के लिए खुला है। सर्दियों के दौरान, केदारनाथ मंदिर से विग्रह (देवता) को उखीमठ तक ले जाया जाता है और जहां अगले छह महीनों के लिए देवता की पूजा की जाती है। केदारनाथ को भगवान शिव के एक सजातीय रूप के रूप में देखा जाता है, जो 'केदार खंड के भगवान' है, इस क्षेत्र का ऐतिहासिक नाम है|
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