Navratri Puja
नवरात्री में घट स्थापना की विधि और महत्व
नवरात्री में घट स्थापना का बहुत महत्त्व है। नवरात्री की शुरुआत घट स्थापना से की जाती है।कलश को सुख समृद्धि , ऐश्वर्य देने वाला तथा मंगलकारी माना जाता है। कलश के मुख में भगवान विष्णु गले में रूद्र , मूल में ब्रह्मा तथा मध्य में देवी शक्ति का निवास माना जाता है। नवरात्री के समय ब्रह्माण्ड में उपस्थित शक्तियों का घट में आह्वान करके उसे कार्यरत किया जाता है।
इससे घर की सभी विपदा दायक तरंगें नष्ट हो जाती है तथा घर में सुख शांति तथा समृद्धि बनी रहती है।
10 अक्तूबर- प्रात: 6.22 से 7.25 मिनट तक रहेगा ( यह समय कन्या और तुला का संधिकाल होगा जो देवी पूजन की घट स्थापना के लिए अतिश्रेष्ठ है।)
मुहूर्त की समयावधि- एक घंटा दो मिनट
ब्रह्म मुहूर्त- प्रात: 4.39 से 7.25 बजे तक का समय भी श्रेष्ठ है। 7.26 बजे से द्वितीया तिथि शुरू हो जाएगी|
घट स्थापना की सामग्री – Navratri Puja Samagri
Navratri Pooja Samagri In Hindi
जौ बोने के लिए मिट्टी का पात्र।- जौ बोने के लिए शुद्ध साफ़ की हुई मिटटी जिसमे कंकर आदि ना हो।
- पात्र में बोने के लिए जौ ( गेहूं भी ले सकते है )
- घट स्थापना के लिए मिट्टी का कलश या फिर तांबे का कलश भी लें सकते है
- कलश में भरने के लिए शुद्ध जल
- गंगाजल
- रोली , मौली
- पूजा में काम आने वाली साबुत सुपारी
- कलश में रखने के लिए सिक्का ( किसी भी प्रकार का कुछ लोग चांदी या सोने का सिक्का भी रखते है )
- आम के पत्ते
- कलश ढकने के लिए ढक्कन ( मिट्टी का या तांबे का )
- ढक्कन में रखने के लिए साबुत चावल
- नारियल
- लाल कपडा
- फूल माला
- फल तथा मिठाई
- दीपक , धूप , अगरबत्ती
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