गणेश-गणपति विसर्जन | Ganesh Visarjan Vidhi
गणपती महोत्सव की यह धूम चतुर्थी से आरंभ होकर अनंत चतुर्दशी तक चलती है| हिन्दू शास्त्रों के अनुसार इस व्रत के फल इस व्रत के अनुसार प्राप्त होते हैं| भगवान श्री गणेश को जीवन की विध्न-बाधाएं हटाने वाला कहा गया है और श्री गणपति जी सभी कि मनोकामनाएं पूरी करते है| गणेशजी को सभी देवों में सबसे अधिक महत्व दिया गया है| कोई भी नया कार्य प्रारम्भ करने से पूर्व भगवान श्री गणेश को याद किया जाता है| भाद्रपद मास की चतुर्थी से आरंभ भगवान गणेश उत्सव भाद्रपद मास की अनंत चतुर्दशी तक चलता है| दस दिन तक मनाए जाने वाले गणेश जन्मोत्सव का बहुत महत्व होता है| गणेश महोत्सव की धूम भारतवर्ष में देखी जा सकती है| इस महत्वपूर्ण पर्व के समय देश भर में गणेश जी के पंडालों को सजाया जाता है मूर्ति स्थापना के साथ गणेश जी का आहवान किया जाता है| सभी लोग भगवान गणेश जी की छोटी-बडी़ प्रतिमाओं की स्थापना अपने सामर्थ्य अनुसार घर या मंदिरों में करते हैं| भाद्रपद मास, शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन सिद्धि विनायक व्रत भक्ति और उल्ल्लास से पूर्ण होता है| इस पर्व की धूम चारों ओर दिखाई देती है| दस दिनों तक चलने वाला यह पर्व अपने साथ अनेक खुशियां और उम्मीद लेकर आता है|
गणेश -गणपति पूजन विधि
श्री गणेश का जन्म भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन हुआ था| इसलिये इनके जन्म दिवस को व्रत कर श्री गणेश जन्मोत्सव के रुप में मनाया जाता है| इस व्रत को करने की विधि भी श्री गणेश के अन्य व्रतों के समान ही सरल है| गणेश चतुर्थी व्रत प्रत्येक मास में कृष्णपक्ष की चतुर्थी में किया जाता है| गणेशोत्सव प्रतिष्ठा से विसर्जन तक विधि-विधान से की जाने वाली पूजा एक विशेष अनुष्ठान की तरह होती है जिसमें वैदिक एवं पौराणिक मंत्रों से की जाने वाली पूजा शुभ फलदायी होती है| सभी चतुर्थियों में भाद्रपद माह में पडने वाली चतुर्थी का व्रत करना विशेष कल्याणकारी माना गया है|
व्रत के दिन उपवासक को प्रात:काल में जल्द उठना चाहिए| सूर्योदय से पूर्व उठकर, स्नान और अन्य नित्यकर्म कर, सारे घर को गंगाजल से शुद्ध कर लेना चाहिए| स्नान करने के लिये सफेद तिलों के घोल को जल में मिलाकर स्नान करना चाहिए| प्रात: श्री गणेश की पूजा करने के बाद, भगवान गणेश जी के बीजमंत्र : ऊँ गं गणपतये नम: का जाप करते हैं| भगवान श्री गणेश का धूप, दूर्वा, दीप, पुष्प, नैवेद्ध व जल आदि से पूजन करना चाहिए| पूजा में घी से बने 21 लड्डूओं से पूजा करनी चाहिए. श्री गणेश को लाल वस्त्र धारण कराने चाहिए तथा लाल वस्त्र का दान करना चाहिए| विनायक चतुर्थी व्रत भगवान श्री गणेश का जन्म उत्सव का दिन है| यह दिन गणेशोत्सव के रुप में सारे विश्व में श्रद्वा के साथ मनाया जाता है| इस उत्सव का अंत अनंत चतुर्दशी के दिन श्री गणेश की मूर्ति समुद्र में विसर्जित करने के बाद होता है| गणपति विसर्जन की सवारी में गणपति को एक बडी रेलीनुमा सवारी में ले जाया जाता है|
“गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ” हर तरफ यही नारा गूंज रहा होता है| दस दिन के गणपति को अंतिम विदाई इस उम्मीद के साथ देते हैं कि अगले साल गणपति फिर आएंगे और सभी उनके आशिर्वाद को पुन: प्राप्त कर सकेंगे| हर तरफ त्यौहार का माहौल है ढोल-नगाड़े और अबीर-गुलाल के बीच गणपति को समंदर में विसर्जित करने का उत्सव अपने चरम पर देखा जा सकता है| सुबह से ही विसर्जन के लिए नदी या जलाश्यों में भक्तों का तांता लगने लगता है लोग अपने घर के छोटे गणपति से लेकर बड़े-बड़े मंडलों के गणपति के साथ आते हैं और उन्हें विदाई देते हैं|
“गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ” हर तरफ यही नारा गूंज रहा होता है| दस दिन के गणपति को अंतिम विदाई इस उम्मीद के साथ देते हैं कि अगले साल गणपति फिर आएंगे और सभी उनके आशिर्वाद को पुन: प्राप्त कर सकेंगे| हर तरफ त्यौहार का माहौल है ढोल-नगाड़े और अबीर-गुलाल के बीच गणपति को समंदर में विसर्जित करने का उत्सव अपने चरम पर देखा जा सकता है| सुबह से ही विसर्जन के लिए नदी या जलाश्यों में भक्तों का तांता लगने लगता है लोग अपने घर के छोटे गणपति से लेकर बड़े-बड़े मंडलों के गणपति के साथ आते हैं और उन्हें विदाई देते हैं|
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