Header Ads

  • Breaking News

    Putrda Ekadashi Vrat Katha- पुत्रदा एकादशी श्रावण मास

    पुत्रदा एकादशी श्रावण मास, Putrda Ekadashi Vrat Katha, ekadashi vrat katha in hindi

    श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को श्रावण पुत्रदा एकादशी कहते हैं।  इस व्रत के प्रभाव से मनुष्य इस लोक के सभी सुख भोगकर परलोक में स्वर्ग प्राप्त करता है। यह एकदशी पवित्रा एकादशी भी कहलाती है। यह श्रावण पुत्रदा एकादशी मनुष्य के सभी पापों को नष्ट करता है। इस एकादशी व्रत के पुण्य से मनुष्य को संतान की प्राप्ति होती है। अत: इस व्रत को संतान के इच्छुक मनुष्य को अवश्य करना चाहिये। 

    श्रावण पुत्रदा एकादशी व्रत पूजन सामग्री:-

    श्री विष्णु जी की मूर्ति, वस्त्र,पुष्प,पुष्पमाला,नारियल,सुपारी,अन्य ऋतुफल,धूप,दीप,घी,पंचामृत (दूध(कच्चा ,दूध),दही,घी,शहद और शक्कर का मिश्रण),अक्षत, तुलसी दल,चंदन, मिष्ठान
    श्रावण पुत्रदा एकादशी व्रत की विधि
    दशमी तिथि को सात्विक भोजन ग्रहण करें। ब्रह्मचर्य का पालन करें। एकादशी के दिन प्रात:काल उठकर नित्य क्रम कर स्नान कर लें। स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा गृह को शुद्ध कर लें। आसन पर बैठ जाये। अब हाथ में जल लेकर श्रावण पुत्रदा व्रत का संकल्प करें। देवदेवेश्वर भगवान विष्णु का पूजन करें। श्रावण पुत्रदा एकादशी व्रत की कथा सुने अथवा सुनाये। आरती करें। उपस्थित लोगों में प्रसाद वितरित करें। रात्रि जागरण करें। द्वादशी के दिन प्रात:काल उठकर स्नान करें। श्रीविष्णु भगवान की पूजा करें। ब्राह्मणों को भोजन करायें। उसके उपरांत स्वयं भोजन ग्रहण करें। 

    Putrda Ekadashi Vrat Katha- पुत्रदा एकादशी की कथा 

    एक समय की बात है भद्रावतीपुरी राज्य में राजा सुकेतुमान और रानी चंपा राज्य किया करते थे। राजा की कोई संतान न थी जिस कारण राजा-रानी सदा शोक और चिंता में डूबे रहते थे। राजा हमेशा यह सोचता रहता था कि मेरे बाद इस राज-पाट का कौन वारिश बनेगा और पितरों को तर्पण कौन करेगा |
    यह सब सोच-सोच कर राजा सुकेतुमान हमेशा चिंतित रहते थे। एक दिन राजा सुकेतुमान घोड़े पर सवार हो वन में भर्मण करने निकले और वन में दूर निकल गए और इस बात की खबर किसी को न थी। राजा सुकेतुमान घने जंगल में भर्मण करने लगे। राह में जंगली जीव उनके इर्द -गिर्द घूम रहे थे, राजा सुकेतुमान वन की शोभा देखने में मग्न हो गए इतने में दोपहर का वक्त हो गया अब राजा सुकेतुमान को भूख और प्यास सताने लगी। राजा सुकेतुमान जल और भोजन की खोज में इधर-उधर भटकने लगे तभी उन्हें एक उत्तम जलाशय दिखाई दी जिसके समीप मुनियो के ढेर सारा आश्रम था। राजा सुकेतुमान ने उस आश्रम के समीप पंहुचा तो देखा वहां पर कई ऋषि मुनि गण थे तभी राजा सुकेतुमान का दाहिना नेत्र और दाहिना हाथ फड़कने लगा जो शुभ समय की सुचना दे रहा था।  उस जलाशय के समीप ढेर सरे ऋषि गण वेद का पाठ कर रहे थे यह देखकर राजा सुकेतुमान को बड़ा हर्ष हुआ। यह सब देख राजा सुकेतुमान घोड़े से उतर कर बारी-बारी से ऋषि गण को नमस्कार किया तब मुनि बोले, तथास्तु राजन। राजा सुकेतुमान बोले, आप लोग कौन है और किस उद्देश्य से आपलोग इस जलाशय के समीप एकत्र हुए है ? मुनि बोले, हमलोग विश्वदेव है तथा आज श्रावण पुत्रदा एकादशी है। इसलिए हम सभी इस जलाशय के समीप स्नान एवम पूजा हेतु इकठ्ठा हुए है। इस व्रत के करने से पिता को पुत्र की प्राप्ति होती है। राजा सुकेतुमान ने मुनियो से इस व्रत के करने की विधि के बारे में पूछा। मुनि बोले, इस व्रत को करने से भगवान केशव प्रसन्न होते है और केशव भक्ति से प्रसन्न हो आपको अवश्य पुत्र प्राप्ति का वर देंगे। 

    1 comment:

    1. Putrada Ekadashi during Paush month (December/January) is Popularly celebrated in North India states.

      ReplyDelete

    Note: Only a member of this blog may post a comment.

    '; (function() { var dsq = document.createElement('script'); dsq.type = 'text/javascript'; dsq.async = true; dsq.src = '//' + disqus_shortname + '.disqus.com/embed.js'; (document.getElementsByTagName('head')[0] || document.getElementsByTagName('body')[0]).appendChild(dsq); })();

    Post Top Ad

    Post Bottom Ad