Mohini Ekadashi-मोहिनी एकादशी वैशाख शुक्ल
Mohini Ekadashi-वैशाख शुक्ल एकादशी
मोहिनी एकादशी व्रत कथा
जो धृष्टबुद्धि पिता व भाइयों की मेहनत पर ऐश करता था अब वह दर-दर की ठोकरें खाने लगा। ऐशो आराम तो दूर खाने के लाले पड़ गये। किसी पूर्वजन्म के पुण्यकर्म ही होंगे कि वह भटकते-भटकते कौण्डिल्य ऋषि के आश्रम में पंहुच गया। जाकर महर्षि के चरणों में गिर पड़ा। पश्चाताप की अग्नि में जलते हुए वह कुछ-कुछ पवित्र भी होने लगा था। महर्षि को अपनी पूरी व्यथा बताई और पश्चाताप का उपाय जानना चाहा। उस समय ऋषि मुनि शरणागत का मार्गदर्शन अवश्य किया करते और पातक को भी मोक्ष प्राप्ति के उपाय बता दिया करते। ऋषि ने कहा कि वैशाख शुक्ल की एकादशी बहुत ही पुण्य फलदायी होती है। इसका उपवास करो तुम्हें मुक्ति मिल जायेगी। धृष्टबुद्धि ने महर्षि की बताई विधिनुसार वैशाख शुक्ल एकादशी यानि मोहिनी एकादशी का उपवास किया। इसके बाद उसे पापकर्मों से छुटकारा मिला और मोक्ष की प्राप्ति हुई।
मोहिनी एकादशी का माहात्म्य बहुत अधिक माना जाता है। मान्यता है कि माता सीता के विरह से पीड़ित भगवान श्री राम ने, और महाभारत काल में युद्धिष्ठिर ने भी अपने दु:खों से छुटकारा पाने के लिये इस एकादशी का व्रत विधि विधान से किया था। एकादशी व्रत के लिये व्रती को दशमी तिथि से ही नियमों का पालन करना चाहिये। दशमी तिथि को एक समय ही सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिये।
मोहिनी एकादशी व्रत महत्व व पूजा विधि
ब्रह्मचर्य का पूर्णत: पालन करना चाहिये। एकादशी से दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि कर स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिये। इसके पश्चात लाल वस्त्र से सजाकर कलश स्थापना कर भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिये। दिन में व्रती को मोहिनी एकादशी की व्रत कथा का सुननी या पढ़नी चाहिये। रात्रि के समय श्री हरि का स्मरण करते हुए, भजन कीर्तन करते हुए जागरण करना चाहिये। द्वादशी के दिन एकादशी व्रत का पारण किया जाता है। सर्व प्रथम भगवान की पूजा कर किसी योग्य ब्राह्मण अथवा जरूरतमंद को भोजनादि करवाकर दान दक्षिणा देकर संतुष्ट करना चाहिये। इसके पश्चात ही स्वयं भोजन ग्रहण करना चाहिये।
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जवाब देंहटाएंMohini Ekadashi 2019
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