ऑटिज़्म क्या है? ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम विकार – लक्षण, कारण और उपचार
ऑटिज़्म क्या है?
ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम विकार (ASD) एक न्यूरोलॉजिकल और विकास संबंधी स्थिति है जो व्यक्ति के संवाद करने, सामाजिक व्यवहार समझने और कुछ व्यवहारों को नियंत्रित करने की क्षमता को प्रभावित करती है। यह जन्म से ही होता है और जीवनभर बना रह सकता है।
ASD को "स्पेक्ट्रम" कहा जाता है क्योंकि इसके लक्षण और प्रभाव हर व्यक्ति में अलग-अलग होते हैं — कुछ में हल्के लक्षण होते हैं, जबकि कुछ में गंभीर।
ऑटिज़्म के सामान्य लक्षण
1. सामाजिक व्यवहार और संचार में कठिनाई:
- आंखों में आंखें डालकर बात करने से बचना
- नाम पुकारे जाने पर प्रतिक्रिया न देना
- भावनाओं को समझने और व्यक्त करने में कठिनाई
- अन्य बच्चों के साथ खेलना या बातचीत करना मुश्किल
2. दोहराव वाले व्यवहार:
- एक ही काम बार-बार करना (जैसे हाथ हिलाना, घुमना)
- दिनचर्या में थोड़ा भी बदलाव असहज बना देता है
- किसी एक वस्तु या विषय में असामान्य रूप से रुचि रखना
3. बोलने और भाषा में विलंब:
- कुछ बच्चे देर से बोलना शुरू करते हैं
- कभी-कभी बोले हुए शब्दों को दोहराना (Echolalia)
- बातचीत की बजाय संकेत या इशारे का ज्यादा उपयोग
ऑटिज़्म के कारण क्या हैं?
ऑटिज़्म के सही कारण पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हैं, लेकिन कुछ कारक इसे प्रभावित कर सकते हैं:
1. आनुवंशिक कारण (Genetic Factors):
परिवार में किसी को ASD होना
कुछ जेनेटिक म्यूटेशन या विकृति
2. पर्यावरणीय कारण:
- गर्भावस्था के दौरान संक्रमण या विषाक्त पदार्थों के संपर्क में आना
- अत्यधिक उम्र में माता-पिता का पहला बच्चा होना
नोट: टीकों और ऑटिज़्म के बीच कोई वैज्ञानिक संबंध नहीं पाया गया है।
ऑटिज़्म का उपचार
ऑटिज़्म का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन समय पर निदान और सही थेरेपी से जीवन की गुणवत्ता में बड़ा सुधार किया जा सकता है।
1. व्यवहारिक चिकित्सा (Behavioral Therapy):
- ABA (Applied Behavior Analysis) — सबसे प्रभावशाली थेरेपी
- सामाजिक कौशल को सुधारने की ट्रेनिंग
2. स्पीच और भाषा थेरेपी:
- बोलने और संवाद करने की क्षमता को बेहतर बनाने के लिए
3. ऑक्यूपेशनल थेरेपी:
- दैनिक जीवन की गतिविधियाँ जैसे खाना खाना, कपड़े पहनना, आदि सिखाना
4. दवाइयाँ:
- कुछ मामलों में चिड़चिड़ापन, चिंता या नींद की समस्याओं के लिए
निष्कर्ष:
ऑटिज़्म कोई बीमारी नहीं बल्कि एक न्यूरो-विकासात्मक स्थिति है, जिसे सही देखभाल, समर्थन और समझ के साथ बेहतर तरीके से संभाला जा सकता है। समाज में जागरूकता और सहानुभूति बढ़ाकर हम ऐसे बच्चों और परिवारों को एक बेहतर जीवन दे सकते हैं।
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