Pitar dosh Nivaran Upay-पितृ दोष निवारण के उपाय
Pitra Dosh Upay: पितृ दोष की समस्या से हैं परेशान, अपनाएं ये चमत्कारी उपाय, मिलेगी मुक्ति
Pitra Dosh Upay :
ऐसे करें तर्पण
ऐसे लगता है पितृ दोष
- पेड़ को काटना
- सांप को मारना
- पितरों का श्राद्ध न करना
- विधिपूर्वक अंतिम संस्कार न करना
करें ये उपाय
- पितृ तर्पण और श्राद्ध
- दान-पुण्य
- गायत्री मंत्र का जाप
- पितृ दोष निवारण पूजा
- पवित्र स्थानों की यात्रा
2. पीपल के वृक्ष पर दोपहर में जल, पुष्प, अक्षत, दूध, गंगाजल, काले तिल चढ़ाएं और स्वर्गीय परिजनों का स्मरण कर उनसे आशीर्वाद मांगें।
3. यदि आपके पूर्वजों ने आपके पितरो के लिए कोई स्थान बनाया है तो होली एवं दीपावली पर उस स्थान पर जाकर पूजा करनी चाहिए।
श्राद्ध पक्ष में गृह शांति और उन्नति का सरल उपाय, पितृदोष निवारण -- ज्योतिष शास्त्र में पितृदोष का बहुत महत्व माना जाता है। प्राचीन ज्योतिष ग्रंथों के अनुसार पितृदोष कुंडली का सबसे बड़ा दोष माना गया है। पितृदोष से पीड़ित व्यक्ति का जीवन बहुत कष्टमय होता है। जिस व्यक्ति की कुंडली में पितृदोष होता है उसे आर्थिक, मानसिक और कई बार तो शारिरीक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ज्योतिष का मानना है कि जिस व्यक्ति की कुंडली में पितृदोष होता है उस व्यक्ति की उन्नति होने में बहुत बाधा आती रहती है।
पितृ गण हमारे पूर्वज हैं। जिनका ऋण हमारे ऊपर है, यह ऋण इसलिए होता है क्योंकि व्यक्ति अपने घरों के बुजुर्गों को दु:ख पहुंचाता है, उनका सम्मान नहीं करता है, किसी पूर्वज की मृत्यु के पश्चात उसका भली प्रकार से अंतिम संस्कार संपन्न नही करवाता है, किसी पूर्वज की जीवित अवस्था में कोई इच्छा अधूरी रह गई हो तो उनकी आत्मा अपने घर और आने वाली पीढ़ी के लोगों के बीच ही भटकती रहती है। मृत पूर्वजों का श्राद्ध पक्ष में श्राद्ध नहीं करना आदि। मृत पूर्वज की असंतुष्ट आत्मा परिवार के लोगों को अनेक प्रकार के कष्ट देकर अपनी इच्छा पूरी करने के लिए कहती है। यही पितृदोष है जो जातक की कुंडली में नजर आता है।
पितृदोष का निवारण कैसे करे ?
प्राचीन ज्योतिष ग्रंथों के अनुसार यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य पर राहु की दृष्टि पड़ रही है या सूर्य और राहु की युति है तो पितृदोष बनता है। इस दोष से सूर्य के सकारात्मक फल कम हो जाते हैं। कुंडली में जब राहू-सूर्य साथ हो या राहु पंचम भाव में हो या सूर्य राहु के नक्षत्र में हो या पंचम भाव का उप नक्षत्र स्वामी राहु के नक्षत्र में हो तो पितृ दोष बनता है। तो चलिए करते है पितृ दोष का निवारण।
1 बृहस्पतिवार के दिन शाम के समय पीपल के पेड़ की जड़ में जल चढ़ाने और फिर सात बार उसकी परिक्रमा करने से जातक को पितृदोष से राहत मिलती है।
2 शुक्लपक्ष के प्रथम रविवार को पूरे विधि-विधान के साथ अपने घर में ‘सूर्ययंत्र’ करे स्थापित करना चाहिए।
3 सूर्य भगवान को प्रात: काल तांबे के पात्र में जल लेकर, उस जल में कोई लाल फूल, रोली और चावल मिलाकर, अर्घ देना चाहिए।
4 शुक्लपक्ष के प्रथम शनिवार को सांध्या के समय पानी वाला नारियल अपने ऊपर से सात बार वार कर बहते जल में प्रवाहित करने से पूर्वजों का आशीर्वाद मिलता है।
5 प्रतिदिन गाय और कुत्ते को एक रोटी जरूर देना चाहिए।
6 अपनी कुलदेवी या कुलदेवता की पूजा जरूर करनी चाहिए।
7 रविवार के दिन गाय को रोटी-गुड़ खिलाएं।
8 किसी भी कार्य के लिए घर से निकलते समय गुड़ खाकर ही निकलें।
9 श्रीमद्भागवत पूराण का पाठ करवाएं और अगर पाठ न करवा सके तो श्रीमद्भागवत गीता के 11 वे अध्याय का 36वा, 37वा श्लोक का पाठ प्रत्येक दिन करना चाहिए।
10 श्राद्ध पक्ष में पितरों का श्राद्ध जरूर करे और श्राद्ध में ब्राह्मण को भोजन जरूर करवाए। भोजन न करवा पाने की स्थिती में ब्राह्मण भोजन सामग्री का दान करे जिसमें आटा, फल, गुड़, शक्कर, सब्जी और दक्षिणा हो।
11 किसी पवित्र नदी के जल में काले तिल डालकर तर्पण करना चाहिए।
12 विद्वान ब्राह्मण को एक मुट्ठी काले तिल दान करने मात्र से भी पितृ प्रसन्न हो जाते हैं।
13 कुंडली में पितृ दोष बना हो तो व्यक्ति को घर की दक्षिण दिशा की दीवार पर अपने स्वर्गीय परिजनों का फोटो लगाना चाहिए और उनकी पूजा स्तुति करनी चाहिए।
14 सांध्या के समय में दीप जलाएं और नाग स्तोत्र, महामृत्युंजय मंत्र, रुद्र-सूक्त, पितृ-स्तोत्र, नवग्रह स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। इससे पितृ दोष की शांति होती है।
15 कुंडली में पितृदोष होने पर किसी गरीब कन्या का विवाह या उसकी बीमारी में सहायता करने पर भी पितृदोष से राहत मिलती है।
इन सभी उपायों से पितृदोष की शांति होती है। वेदों के अनुसार चार लोक माने गए है जिनमें पहला मनुष्य लोक, उससे ऊपर पितृ लोक, पितृ लोक से ऊपर सूर्य लोक और अन्त में स्वर्ग लोक है। व्यक्ति की मृत्यू होने के बाद उसकी आत्मा जब अपने शरीर को छोड़ कर सबसे पहले ऊपर उठती है तो वह पितृ लोक में जाती है।
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