नवरात्रि का प्रथम दिन : मां शैलपुत्री आरती
मां शैलपुत्री आरती
शैलपुत्री मां बैल असवार। करें देवता जय जयकार।
शिव शंकर की प्रिय भवानी। तेरी महिमा किसी ने ना जानी
पार्वती तू उमा कहलावे। जो तुझे सिमरे सो सुख पावे।
ऋद्धि-सिद्धि परवान करे तू। दया करे धनवान करे तू।
सोमवार को शिव संग प्यारी। आरती तेरी जिसने उतारी।
उसकी सगरी आस पुजा दो। सगरे दुख तकलीफ मिला दो।
घी का सुंदर दीप जला के। गोला गरी का भोग लगा के।
श्रद्धा भाव से मंत्र गाएं। प्रेम सहित फिर शीश झुकाएं।
जय गिरिराज किशोरी अंबे। शिव मुख चंद्र चकोरी अंबे।
मनोकामना पूर्ण कर दो। भक्त सदा सुख संपत्ति भर दो।
शैलपुत्री नाम कैसे पड़ा?
पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री के रूप में उत्पन्न होने के कारण मां दुर्गा जी का नाम शैलपुत्री पड़ा. मां शैलपुत्री नंदी नाम के वृषभ पर सवार पर सवार होती हैं और उनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का पुष्प होता है.
शैलपुत्री का महत्व क्या है?
नवदुर्गाओं में शैलपुत्री का सर्वाधिक महत्व है। पर्वतराज हिमालय के घर मां भगवती अवतरित हुईं, इसीलिए उनका नाम शैलपुत्री पड़ा। मान्यता है कि अगर जातक मां शैलपुत्री का ही पूजन करते हैं तो उन्हें नौ देवियों की कृपा प्राप्त होती है।
माता शैलपुत्री का मंत्र क्या है?
मां शैलपुत्री के प्रभावशाली मंत्र
-ऊँ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥ -वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
नवरात्रि का पहला दिन कौन सी देवी की पूजा की जाती है?
माता शैलपुत्री
नवरात्रि के पहले दिन देवी को क्या चढ़ाएं?
माता शैलपुत्री को सफेद रंग अतिप्रिय है। माता शैलपुत्री को सफेद रंग के बस्त्र चढ़ाएं और सफेद पुष्प अर्पित करें। दूध से बानी हुई खीर या सफेद मिठाई माता को चढ़ाएं। सफेद रंग शांति का प्रतीक है , माँ शैलपुत्री की पूजा करके अपने जीवन में शांति के लिए प्रार्थना करें।
शैलपुत्री माता का प्रिय भोग क्या है?
माता शैलपुत्री प्रिय भोग नारियल है। इसलिए माँ को प्रथम नवरात्रे नारियल जरूर चढ़ाना चाहिए। नारियल से बनी बर्फी , खीर या लड्डू भी चढ़ा सकते है।
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