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     नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंदमाता - Maa Skandmata

    नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंदमाता - Maa Skandmata

    मां स्कंदमाता की आरती Maa Skandmata Aarti

    जय तेरी हो स्कंदमाता,
    पांचवां नाम तुम्हारा आता।
    सब के मन की जानन हारी,
    जग जननी सब की महतारी। जय तेरी हो स्कंदमाता
    तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं,
    हर दम तुम्हें ध्याता रहूं मैं।
    कई नामों से तुझे पुकारा,
    मुझे एक है तेरा सहारा। जय तेरी हो स्कंदमाता
    कहीं पहाड़ों पर है डेरा,
    कई शहरो में तेरा बसेरा।
    हर मंदिर में तेरे नजारे,
    गुण गाए तेरे भक्त प्यारे। जय तेरी हो स्कंदमाता
    भक्ति अपनी मुझे दिला दो,
    शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो।
    इंद्र आदि देवता मिल सारे,
    करे पुकार तुम्हारे द्वारे। जय तेरी हो स्कंदमाता
    दुष्ट दैत्य जब चढ़ कर आए,
    तुम ही खंडा हाथ उठाएं।
    दास को सदा बचाने आईं,
    चमन की आस पुराने आई। जय तेरी हो स्कंदमाता


    स्कंदमाता देवी कौन है?

    नवदुर्गा का पांचवां स्वरुप स्कंदमाता का है. कार्तिकेय (स्कन्द) की माता होने के कारण इनको स्कन्दमाता कहा जाता है. यह माता चार भुजाधारी कमल के पुष्प पर बैठती हैं, अतः इनको पद्मासना देवी भी कहा जाता है. इनकी गोद में कार्तिकेय भी बैठे हुये हैं|


    स्कंदमाता की उत्पत्ति कैसे हुई?

    स्कंदमाता हिमायल की पुत्री पार्वती ही हैं। इन्हें गौरी भी कहा जाता है। भगवान स्कंद को कुमार कार्तिकेय के नाम से जाना जाता है और ये देवासुर संग्राम में देवताओं के सेनापति थे। इनकी मां देवी दुर्गा थीं और इसी वजह से मां दुर्गा के स्वरूप को स्कंदमाता भी कहा जाता है।

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