नवरात्रि का दूसरे दिन : माँ ब्रह्मचारिणी- Brahmacharini Mata
माँ ब्रह्मचारिणी आरती
जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता। जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।
ब्रह्मा जी के मन भाती हो। ज्ञान सभी को सिखलाती हो।
ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा। जिसको जपे सकल संसारा।
जय गायत्री वेद की माता। जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।
कमी कोई रहने न पाए। कोई भी दुख सहने न पाए।
उसकी विरति रहे ठिकाने। जो तेरी महिमा को जाने।
रुद्राक्ष की माला ले कर। जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।
आलस छोड़ करे गुणगाना। मां तुम उसको सुख पहुंचाना।
ब्रह्माचारिणी तेरो नाम। पूर्ण करो सब मेरे काम।
भक्त तेरे चरणों का पुजारी। रखना लाज मेरी महतारी।
ब्रह्मचारिणी माता कौन है?
ब्रह्मचारिणी (संस्कृत: ब्रह्मचारिणी) का अर्थ है एक समर्पित महिला छात्रा जो अपने गुरु के साथ अन्य छात्रों के साथ आश्रम में रहती है। वह महादेवी के नवदुर्गा रूपों का दूसरा स्वरूप हैं और उनकी पूजा नवरात्रि के दूसरे दिन (नवदुर्गा की नौ दिव्य रातें) की जाती है।
मां ब्रह्मचारिणी को पसंद है ये भोग-
चूंकि मां को चीनी और मिश्री काफी पसंद है इसलिए मां को भोग में चीनी, मिश्री और पंचामृत का भोग लगाएं। मां ब्रह्मचारिणी को दूध और दूध से बने व्यंजन अति प्रिय होते हैं। इसलिए आप उन्हें दूध से बने व्यंजनों का भोग लगा सकते हैं। इस भोग से देवी ब्रह्मचारिणी प्रसन्न हो जाएंगी।
मां ब्रह्मचारिणी का बीज मंत्र क्या है?
या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।। देवी ब्रह्मचारिणी को शक्कर और पंचामृत का भोग अति प्रिय है. देवी को इसका भोग लगाने से दीर्धायु का आशीष मिलता है
दिन 2 नवरात्रि क्या चढ़ाएं?
चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन भक्त मां ब्रह्मचारिणी और भगवान शिव की पूजा करते हैं और उपवास रखते हैं। देवी को कलश में चमेली के फूल, चावल और चंदन चढ़ाया जाता है। भगवान को दूध, दही और शहद से भी अभिषेक किया जाता है। आरती और मंत्र जाप किया जाता है और उन्हें प्रसाद चढ़ाया जाता है।
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