हरियाली तीज व्रत कथा
हरियाली तीज का त्योहार भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है| हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए माता पार्वती ने कठोर तपस्या की थी| इस तपस्या के बाद ही उन्होंने भोलेनाथ को पति के रूप में हासिल किया था|
हिमालय के घर पुनर्जन्म लेने वाली माता पार्वती बचपन से ही शिव को पति के रूप में पाना चाहती थीं| एक दिन नारद मुनी हिमालय से मिले और बोले कि विष्णु जी पार्वती से विवाह करना चाहते हैं| हिमालय उनके प्रस्ताव से बहुत प्रसन्न हुए| इसके बाद नारद मुनि विष्णुजी के पास पहुंचे और कहा कि हिमालय ने अपनी पुत्री पार्वती का विवाह आपसे कराने का वचन दिया है|
इसके बाद नारद माता पार्वती से मिले और उन्हें बताया कि पिता हिमालय ने उनका विवाह विष्णु से तय कर दिया है| यह सुनकर पार्वती बहुत निराश हुईं और किसी एकांत स्थान पर चली गईं| यहां घने और सुनसान जंगल में पहुंचकर माता पार्वती ने तपस्या शुरू की| उन्होंने रेत से शिवलिंग बनाया और व्रत किया|
माता पार्वती की इस तपस्या से शिव शंकर काफी प्रसन्न हुए और उनकी इच्छा पूरी करने का वरदान दिया| जब पर्वतराज को इस बारे में पता चला तो वे खुशी-खुशी माता पार्वती का विवाह भगवान शिव से कराने को तैयार हो गए| आखिरकार दोनों का विवाह संपन्न हुआ और तभी से हरियाली तीज के त्योहार का प्रचलन चला आ रहा है|
Hariyali Teej Geet
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