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    मौनी अमावस्या 2021 मुहूर्त

    Mauni Amavasya 2021 Date and Mahurat- मौनी अमावस्या 2021 मुहूर्त
    Mauni Amavasya 2021 हिन्दी पंचांग के अनुसार माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को माघी अमावस्या या मौनी अमावस्या कहलाती है। आज के दिन लोग गंगा या अन्य पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। पीपल के वृक्ष तथा भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा करते हैं।

    Mauni Amavasya 2021: हिन्दी पंचांग के अनुसार, माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को माघी अमावस्या या मौनी अमावस्या कहलाती है। इस वर्ष मौनी अमावस्या या माघी अमावस्या 11 फरवरी दिन गुरुवार को है। आज के दिन लोग गंगा या अन्य पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। पीपल के वृक्ष तथा भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा करते हैं। मौनी अमावस्या के दिन मौन व्रत रखने की भी परंपरा है। कहा जाता है कि मौनी शब्द की उत्पत्ति मुनि शब्द से हुई है। मौनी अमावस्या को मौन व्रत रखने से व्यक्ति का आत्मबल दृढ़ होता है। मान्यताओं के अनुसार, माघी अमावस्या के दिन ही मनु का जन्म हुआ था, जिनको प्रथम पुरुष भी कहा जाता है। जागरण अध्यात्म में आज जानते हैं मौनी अमावस्या के मुहूर्त, व्रत, दान और महत्व के बारे में।

    मौनी अमावस्या 2021 मुहूर्त

    माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि का प्रारंभ 10 फरवरी को देर रात 01 बजकर 08 मिनट पर हो रहा है, जो 11 फरवरी को देर रात 12 बजकर 35 मिनट तक है। ऐसे में उदया तिथि 11 फरवरी को प्राप्त हो रही है, ऐसे में मौनी अमावस्या 11 फरवरी को होगी। 11 फरवरी को ही मौनी अमावस्या का स्नान, दान, व्रत, पूजा-पाठ आदि किया जाएगा।

    मौनी अमावस्या को गंगा स्नान एवं दान

    मौनी अमावस्या का अपना ​एक विशेष महत्व है। इस दिन संभव हो सके तो गंगा नदी में स्नान करें। फिर व्रत रखकर पूरे दिन मौन रहें। इससे आपका आत्मबल मजबूत होगा। गंगा स्नान के बाद पात्र लोगों को तिल के लड्डू, तिल, तिल का तेल, वस्त्र, आंवला आदि दान करें। जरूरतमंद लोगों को सर्दी के वस्त्र, कंबल आदि भी दान करना उत्तम होता है।

    पीपल के वृक्ष की पूजा

    धार्मि​क मान्यताओं के अनुसार, मौनी अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करने से सौभाग्य में वृद्धि होती है। कहा जाता है कि पीपल के तने में भगवान शिव, जड़ में भगवान विष्णु तथा अग्रभाग में ब्रह्मा जी का वास होता है। ऐसे में पीपल के पेड़ की पूजा करने से व्यक्ति को ब्रह्मा, विष्णु और भगवान शिव तीनों की ही कृपा|

    अमावस्या को पिंडदान

    किसी भी अमावस्या के दिन पितरों की तृप्ति के लिए तर्पण, पिंडदान आदि करने का विधान है। ऐसा करने से पितर प्रसन्न होते हैं और वे सुख, समृद्धि और वंश वृद्धि का आशीष देते हैं।

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