लोहड़ी 2021: लोहड़ी की कथा, महत्व और इतिहास, History of Lohri, Why Celebrate Lohri, Lohri Festival 2021
लोहड़ी 2020: खुशियां बांटने और जश्न मनाने का है त्यौहार
लोहड़ी कोई व्रत नहीं बल्कि एक त्यौहार है, जो आनंद और खुशियों का प्रतीक है। इस दिन कोई उपवास नहीं, बल्कि केवल और केवल मस्ती होती है। लोहड़ी का त्यौहार मकर संक्रांति से एक दिन पूर्व मनाया जाता है और वर्ष 2021में यह त्यौहार 13 जनवरी को मनाया जाएगा। यह त्यौहार शरद ऋतु के अंत में मनाया जाता है। इसके बाद से ही दिन बड़े होने लगते हैं यानी माघ मास की शुरूअात हो जाती है। यह त्यौहार खास तौर पर सिखों का है, जिसे पूरे विश्व में मनाया जाता है। हालांकि पंजाब और हरियाणा में इसकी काफी धूम होती है। सिंधी समाज भी मकर संक्रांति के एक दिन पूर्व इसे ‘लाल लोही’ के रूप में मनाता है।
Lohri Festival 2021-फसलों की कटाई और बुआई से जुड़ा है त्यौहार
सिखों के लिए लोहड़ी खास मायने रखती है। त्यौहार के कुछ दिन पहले से ही इसकी तैयारी शुरू हो जाती है। विशेष रूप से शरद ऋतु के समापन पर इस त्यौहार को मनाने का प्रचलन है।
लोहड़ी फसल की बुआई और कटाई से जुड़ा है। पंजाब में यह त्योहार नए साल की शुरुआत में फसलों की कटाई के उपलक्ष्य के तौर पर मनाई जाती है। लोहड़ी के त्योहार के अवसर पर जगह-जगह अलाव जलाकर उसके आसपास भांगड़ा-गिद्धा किया जाता है।
लोहड़ी की परंपरा
- उत्सव के दौरान वैसे तो घर-घर जाकर लोक गीत गाने की परंपरा है। हालांकि यह परंपरा अब खत्म होती जा रही है।
- बच्चों को खाली हाथ लौटाना सही नहीं माना जाता है, इसलिए उन्हें इस दिन गजक, गुड़, मूंगफली एवं मक्का आदि दिया जाता है, जिसे लोहड़ी भी कहा जाता है।
- आग जलाकर लोहड़ी को सभी में वितरित किया जाता है और नृत्य-संगीत का दौर भी चलता है।
- पुरुष भांगड़ा तो महिलाएं गिद्दा नृत्य करती हैं।
- रात में सरसों का साग और मक्के की रोटी के साथ खीर का आनंद लिया जाता है।
- पंजाब के कुछ भाग में इस दिन पतंग उड़ाने का भी प्रचलन है।
- इस मौके पर शाम के समय होलिका जलाई जाती है और तिल, गुड़ और मक्का अग्नि को भोग के रूप में चढ़ाई जाती है।
लोहड़ी से जुड़ी मान्यताएं
दुल्ला भट्टी की कहानी
लोहड़ी के त्यौहार को दूल्ला भट्टी से जोड़ा जाता है। लोहड़ी के कई गीतों में भी इनके नाम का ज़िक्र होता है। कहा जाता है कि मुगल राजा अकबर के काल में दुल्ला भट्टी नामक एक लुटेरा पंजाब में रहता था जो न केवल धनी लोगों को लूटता था, बल्कि बाजार में बेची जाने वाली ग़रीब लड़कियों को बचाने के साथ ही उनकी शादी भी करवाता था। आज के दौर में लोग उसे पंजाब का रॉबिन हुड कहते हैं।
कृष्ण ने किया था लोहिता का वध
एक अन्य कथा के मुताबिक मकर संक्रांति के दिन कंस ने श्री कृष्ण को मारने के लिए लोहिता नामक राक्षसी को गोकुल भेजा था, जिसे श्री कृष्ण ने खेल-खेल में ही मार डाला था। उसी घटना के फलस्वरूप लोहड़ी पर्व मनाया जाता है।
भगवान शंकर और सती
एक अन्य पौराणिक कथा के मुताबिक राजा दक्ष की पुत्री सती ने अपने पति भगवान शंकर के तिरस्कार से क्षुब्ध होकर खुद को अग्नि के हवाले कर दिया था। इसकी याद में ही यह अग्नि जलाई जाती है।
भारत के अन्य भाग में लोहड़ी
लोहड़ी का त्यौहार विभिन्न नाम से देश के अलग-अलग हिस्सों में मनाया जाता है। इस क्रम में आंध्र प्रदेश में मकर संक्रांति से एक दिन पूर्व भोगी मनाया जाता है। इस दिन लोग पुरानी वस्तुओं को बदलते हैं। आग जलाने के लिए लकड़ी, पुराना फर्नीचर आदि का भी इस्तेमाल किया जाता है।इसे रुद्र गीता ज्ञान यज्ञ भी कहते हैं। यह आत्मा के बदलाव एवं उसके शुद्धिकरण का प्रतीक माना जाता है।
सिंधी समुदाय मनाता है लाल लोही
मकर संक्रांति से एक दिन पूर्व सिंधी समुदाय के लोग भी लाल लोही का त्यौहार मनाते हैं। यह भी लोहड़ी की तरह ही होती है। इस दिन सिंधी लकड़ियां जलाते हैं और तिल से अग्नि की पूजा भी की जाती है।
भारत की लोहड़ी और ईरान का चहार-शंबे
ईरान में भी नववर्ष का त्यौहार इसी तरह मनाते हैं। आग जलाकर मेवे अर्पित किए जाते हैं। मसलन, पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में मनाई जाने वाली लोहड़ी और ईरान का चहार-शंबे सूरी त्यौहार बिल्कुल एक समान है। लोहड़ी का अर्थ
लोहड़ी को पहले तिलोड़ी कहा जाता था। यह शब्द तिल तथा रोड़ी (गुड़ की रोड़ी) के मेल से बना है, जो समय के साथ बदल कर लोहड़ी के रूप में प्रसिद्ध हो गया। मकर संक्रांति के दिन भी तिल-गुड़ खाने और बांटने का महत्व है। पंजाब के कई इलाकों मे इसे लोही या लोई भी कहा जाता है।
कब मनाते हैं लोहड़ी
वर्ष की सभी ऋतुओं पतझड, सावन और बसंत में कई तरह के छोटे-बड़े त्योहार मनाए जाते हैं, जिन में से एक प्रमुख त्योहार लोहड़ी है जो बसंत के आगमन के साथ 13 जनवरी, पौष महीने की आखरी रात को मनाया जाता है। इसके अगले दिन माघ महीने की सक्रांति को माघी के रूप में मनाया जाता है।
नववधू, बहन, बेटी और बच्चों का उत्सव
पंजाबियों के लिए लोहड़ी उत्सव खास महत्व रखता है। जिस घर में नई शादी हुई हो या बच्चे का जन्म हुआ हो, उन्हें विशेष तौर पर लोहड़ी की बधाई दी जाती है। घर में नव वधू या बच्चे की पहली लोहड़ी का काफी महत्व होता है। इस दिन विवाहित बहन और बेटियों को घर बुलाया जाता है।
Hi! I read your blog it was really wonderful. Celebrate the festival of hope and joy with your team virtually this Work for home season. Online parties are the safest way today to celebrate any festival in this covid time. To know more visit our website. sosparty.io!
जवाब देंहटाएंThank you for sharing such great information. It has help me in finding out more detail about lohri gifts.
जवाब देंहटाएं