ओणम त्यौहार 2019 | कहानी और पूजा विधि
हमारा भारत जो की अपनी विभिन्न समाज , संप्रदाय और पंथ के पर्व से प्रसिद्द है| भारत में तरह तरह के धर्म के लोगो और उनसे जोड़ी होई त्यौहार भी है| ये अपने तौर-तरीके व रीति रिवाज़ के मुताबिक़ पर्वों को मनाते हैं| इन्हीं में से कुछ पर्व देशभर में किसी न किसी धार्मिक आस्था, पौराणिक, ऐतिहासिक या सामाजिक उन्नति के प्रतीक के रूप में मनाये जाते हैं| इन्हीं में एक पर्व है ओणम, जो दक्षिण भारत में मुख्यतः केरल का सबसे प्राचीन और पारंपरिक उत्सव है| जिस तरह देशभर में दशहरा, दुर्गापूजा और गणेशोत्सव दस दिनों तक बड़ी धूम धाम से मनाए जाते हैं उसी तरह केरल में दस दिवसीय ओणम पर्व बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है|
ओणम का त्यौहार- किसानो के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है
भारत एक कृषि प्रधान देश है| देश की कुल जनसंख्या का 60 प्रतिशत आबादी इसी क्षेत्र में कार्यरत है और अपना जीवन यापन कर रहा है| ओणम पर्व का कृषि और किसानों से गहरा संबंध है| यह पर्व ऐसे समय पर मनाया जाता है, जब दक्षिण भारत में फसलें पककर तैयार होती हैं| इन फसलों में चाय, इलायची, अदरक और धान जैसी अन्य फसलें शामिल हैं| जो जनमानस में एक नई उम्मीद और बेहतर कल का निर्माण करने में अहम भूमिका निभाती हैं| फसलों की सुरक्षा और अपनी इच्छाओं की पूर्ति की कामना के लिये लोग ओणम के दिन श्रावण देवता और पुष्पदेवी की आराधना करते हैं| हालांकि इस पर्व की तैयारियां दस दिन पहले से ही शुरु हो जाती हैं|
ओणम का त्यौहार अब मनाया जाता है ( Onam Festival 2019 Date )
ओणम का त्यौहार मलयालम सोलर केलिन्डर के अनुसार चिंगम महीने में मनाया जाता है| यह मलयालम महीने का पहला महीना होता है जो अक्सर सितम्बर और अक्टूबर के समय में ही आता है| उत्तर भारत में हिंदू पंचांग के अनुसार कहें तो सूर्य जब सिंह राशि व श्रवण नक्षत्र में होता है तब ओणम का त्यौहार मनाया जाता है। सूर्य के इस संयोग से दस दिन पहले ही ओणम पर्व की तैयारियां शुरु हो जाती हैं| प्राचीन परंपरा के अनुसार यह हस्त नक्षत्र से शुरू होकर श्रवण नक्षत्र तक मनाया जाता है| ओणम के प्रथम दिवस को अथम और उत्सव के समापन यानि अंतिम दिवस को थिरुओनम या तिरुओणम कहा जाता है|
ओणम भारत के केरल राज्य में मनाया जाने वाला मुख्य त्यौहार है। यह पर्व दस दिन तक मनाया जाता है और केरल में इस पर्व पर अवकाश रहता है। इस पर्व को फसलों से भी जोड़ा गया है क्योंकि इस समय किसान बहुत खुश होते हैं क्योंकि उनकी फसल पक कर तैयार हो चुकी होती है।
कहा जाता है कि ओणम के पर्व पर उनके प्रिय राजा महाबली पाताल लोक से धरती पर आते हैं। दस दिन तक लोग घरों को सजाते हैं और अलग अलग व्यंजन बनाते हैं। घरों में रंगोली बनाई जाती है जिसमें विष्णु भगवान और राजा महाबली की मुर्ति रख पूजा की जाती है। नौका दौड़ और हाथियों का जुलुस निकाला जाता है। मंदिरों में पूजा का विशेण आयोजन किया जाता है। इस दिन केरल के लोग बहुत ही खुश होते हैं।
इस बार ओणम २०१९ में 1 सितम्बर से शुरू होकर 13 सितम्बर तब चलेगा | ओणम के त्यौहार में थिरुओनम के दिन सबसे महत्वपूर्ण होता है जो की इस बार १३ सितम्बर को है |
ओणम की पौराणिक मान्यता ( Onam Story )
ऐसी पौराणिक मान्यता है कि एक समय में महाबली नाम का असुर राजा हुआ करता था| वह अपनी प्रजा के लिये किसी देवता से कम नहीं था| अन्य असुरों की तरह वह तपोबल से कई दिव्य शक्तियाँ हासिल कर देवताओं के लिये मुसीबत बन गया| शक्ति अपने साथ अंहकार भी लेकर आती है| देवताओं में किसी के भी पास महाबली को परास्त करने का सामर्थ्य नहीं था| राजा महाबली ने देवराज इंद्र को हराकर स्वर्गलोक पर अपना अधिकार कर लिया| पराजित इंद्र की स्थिति देखकर देव माता अदिति ने अपने पुत्र के उद्धार के लिए विष्णु की आराधना की| आराधना से प्रसन्न होकर श्री हरि प्रकट हुए और बोले- देवी! आप चिंता न करें| मैं आपके पुत्र के रूप में जन्म लेकर इंद्र को उसका खोया राजपाट पुनः दिलाऊंगा| कुछ समय बाद माता अदिति के गर्भ से वामन के रूप में भगवान विष्णु ने अवतार लिया| उनके ब्रह्मचारी रूप को देखकर सभी देव और ऋषि-मुनि आनंदित हो उठे|
वहीं राजा महाबली स्वर्ग पर स्थायी अधिकार प्राप्त करने के लिए अश्वमेध यज्ञ करा रहे थे। यह जानकर वामन रूप धरे श्रीहरि वहां पहुंचे| उनके तेज से यज्ञशाला प्रकाशमय हो गई| महाबली ने उन्हें एक उत्तम आसन पर बिठाकर उनका सत्कार किया और अंत में उनसे भेंट मांगने के लिए कहा| तब वामन रूप में अवतरित भगवान विष्णु ने महाबली से तीन कदम रखने के लिये जगह मांगी| जिसे महाबली ने स्वीकार कर लिया| वामन ने अपने एक कदम में भू लोक तो दूसरे कदम में आकाश को नाप लिया अब महाबली का वचन पूरा कैसे हो? तब उन्होंने वचन को पूरा करने के लिये वामन के समक्ष अपना सिर झुका दिया| वामन के कदम रखते ही महाबली पाताल लोक चले गये| जब प्रजा तक यह सूचना पंहुची तो हाहाकार मच गया| प्रजा का उनके प्रति अगाध स्नेह देखकर भगवान विष्णु ने महाबली को वरदान दिया कि वे वर्ष में एक बार तीन दिनों तक अपनी प्रजा से मिलने आ सकेंगें| माना जाता है कि तब से लेकर अब तक ओणम के अवसर पर महाबली केरल के हर घर में प्रजाजनों का हाल-चाल लेने आते हैं और उनके कष्टों को दूर करते हैं|
कोई टिप्पणी नहीं