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     नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी- Maa Katyayani मां कात्यायनी आरती 

    नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी- Maa Katyayani मां कात्यायनी आरती

    जय कात्यायनि माँ, मैया जय कात्यायनि माँ।

    उपमा रहित भवानी, दूँ किसकी उपमा ॥ मैया जय कात्यायनि ॥


    गिरजापति शिव का तप, असुर रम्भ कीन्हाँ ।

    वर-फल जन्म रम्भ गृह, महिषासुर लीन्हाँ ॥ मैया जय कात्यायनि ॥


    कर शशांक-शेखर तप, महिषासुर भारी ।

    शासन कियो सुरन पर, बन अत्याचारी ॥ मैया जय कात्यायनि ॥


    त्रिनयन ब्रह्म शचीपति, पहुँचे, अच्युत गृह ।

    महिषासुर बध हेतू, सुर कीन्हौं आग्रह ॥ मैया जय कात्यायनि ॥


    सुन पुकार देवन मुख, तेज हुआ मुखरित ।

    जन्म लियो कात्यायनि, सुर-नर-मुनि के हित ॥ मैया जय कात्यायनि ॥


    अश्विन कृष्ण-चौथ पर, प्रकटी भवभामिनि ।

    पूजे ऋषि कात्यायन, नाम काऽऽत्यायिनि ॥ मैया जय कात्यायनि ॥


    अश्विन शुक्ल-दशी को, महिषासुर मारा॥ मैया जय कात्यायनि ॥


    माँ कात्यायनी कौन हैं?

    माँ कात्यायनी अमोघ फलदायिनी हैं। भगवान कृष्ण को पतिरूप में पाने के लिए ब्रज की गोपियों ने इन्हीं की पूजा कालिन्दी-यमुना के तट पर की थी। ये ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी के रूप में प्रतिष्ठित हैं। माँ कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत चमकीला और भास्वर है।

    कात्यायनी माता की पूजा करने से क्या होता है?

    इतना ही नहीं जो भक्त मां कात्यायनी की पूजा करता है उन्हें मनचाहा जीवनसाथी मिलता है। बता दें की कन्याओं के शीघ्र विवाह के लिए इनकी पूजा अद्भुत मानी जाती है। आइए जानते हैं मां कात्यानी देवी की पूजा विधि और विशेष मंत्र। मां कात्यायनी की पूजा पीले और लाल रंग के वस्त्र धारण करके ही करनी चाहिए।

    माता कात्यायनी का बीज मंत्र क्या है?

    या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ 'ॐ ह्रीं नम:।।

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