मां कूष्मांडा की आरती - Kushmanda aarti
कुष्मांडा जय जग सुखदानी।
मुझ पर दया करो महारानी॥
पिगंला ज्वालामुखी निराली।
शाकंबरी मां भोली भाली॥ कुष्मांडा जय जग सुखदानी।
लाखों नाम निराले तेरे।
भक्त कई मतवाले तेरे॥
भीमा पर्वत पर है डेरा।
स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥ कुष्मांडा जय जग सुखदानी।
सबकी सुनती हो जगदम्बे।
सुख पहुंचती हो मां अम्बे॥
तेरे दर्शन का मैं प्यासा।
पूर्ण कर दो मेरी आशा॥ कुष्मांडा जय जग सुखदानी।
मां के मन में ममता भारी।
क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥
तेरे दर पर किया है डेरा।
दूर करो मां संकट मेरा॥ कुष्मांडा जय जग सुखदानी।
मेरे कारज पूरे कर दो।
मेरे तुम भंडारे भर दो॥
तेरा दास तुझे ही ध्याए।
भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥ कुष्मांडा जय जग सुखदानी।
माँ कुष्मांडा मंत्र- Kushmanda Mata Mantra
मां कूष्मांडा बीज मंत्र
ऐं ह्री देव्यै नम:
मां कूष्मांडा स्तुति मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
मां कूष्मांडा की प्रार्थना
सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥
कुष्मांडा देवी कौन है?
अपनी मंद, हल्की हँसी द्वारा अंड अर्थात ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण इन्हें कूष्माण्डा देवी के रूप में पूजा जाता है।
कूष्मांडा की पूजा करने से:
- भक्तों के रोग-शोक मिट जाते हैं
- आयु, यश, बल और आरोग्य की वृद्धि होती है
- सच्चे हृदय से शरणागत बनने पर परम पद की प्राप्ति हो सकती है
कूष्मांडा की पूजा के लिए
- अचंचल और पवित्र मन से पूजा करनी चाहिए
- पूजा के समय गुड़हल का फूल चढ़ाना चाहिए
- दुर्गा चालीसा, दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए
- स्तुति मंत्र और आरती पढ़नी चाहिए
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