🌾 गोवर्धन पूजा 2025: भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति और प्रकृति सम्मान का पर्व
🪔 गोवर्धन पूजा का महत्व
गोवर्धन पूजा भगवान श्री कृष्ण द्वारा इंद्रदेव के अहंकार को तोड़ने और ब्रजवासियों को उनके क्रोध से बचाने की स्मृति में मनाई जाती है। मान्यता है कि जब ब्रजवासी इंद्र की पूजा छोड़कर गोवर्धन पर्वत की पूजा करने लगे, तो इंद्र क्रोधित होकर तेज वर्षा करने लगे। तब भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठाकर सभी ब्रजवासियों और गायों को सुरक्षित रखा।
इस दिन हम भगवान श्रीकृष्ण की करुणा, शक्ति और प्रकृति के प्रति आदर का स्मरण करते हैं।
🌿 गोवर्धन पूजा के प्रमुख कारण
इंद्रदेव का अहंकार भंग करना:
भगवान श्रीकृष्ण ने यह दिखाया कि अहंकार चाहे देवताओं में भी क्यों न हो, विनम्रता और भक्ति ही सच्चा मार्ग है।
ब्रजवासियों की रक्षा:
उन्होंने अपने भक्तों को इंद्र के प्रकोप से बचाकर सच्चे रक्षक और मार्गदर्शक का उदाहरण प्रस्तुत किया।
प्रकृति का सम्मान:
यह पर्व हमें याद दिलाता है कि पहाड़, नदियाँ, गायें और हर प्राकृतिक तत्व हमारी जीवन रेखा हैं। गोवर्धन पूजा के माध्यम से हम प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करते हैं।
अन्नकूट पर्व:
इस दिन विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाकर भगवान श्रीकृष्ण को भोग लगाया जाता है। इसे “अन्नकूट” या “अन्नकूट महोत्सव” कहा जाता है, जो समृद्धि और कृतज्ञता का प्रतीक है।
🕉️ गोवर्धन पूजा कैसे मनाई जाती है
- घरों और मंदिरों में गोवर्धन पर्वत का प्रतीक रूप बनाकर पूजा की जाती है।
- गोबर से गोवर्धन का स्वरूप तैयार कर उस पर फूल, दीप और अन्न चढ़ाया जाता है।
- गायों की पूजा की जाती है और उन्हें विशेष भोजन खिलाया जाता है।
- भक्तजन “गोवर्धन परिक्रमा” करते हैं और “जय श्रीकृष्ण” के जयकारे लगाते हैं।
🌼 आध्यात्मिक संदेश
गोवर्धन पूजा हमें सिखाती है कि भक्ति और प्रकृति दोनों का संतुलन ही जीवन का आधार है। यह पर्व केवल धार्मिक नहीं बल्कि पर्यावरणीय दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।


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