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    होलिका दहन का शुभ मुहूर्त - Holika Dahan 2022 Date and Shubh Muhurat

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    Holika Dahan 2022 | होलिका दहन का शुभ मुहूर्त , राशिनुसार होली की पूजा विधि

    होली का त्यौहार फाल्गुन मॉस की पूर्णिमा को मनाया जाता है, साल 2022 में छोटी होली की तारीख 17 मार्च 2022 की है, जिस दिन गुरुवार है| होलिका दहन 2022 का शुभ मुहूर्त रात 9 बजकर 20 मिनट 55 सेकंड से शुरू होकर 10 बजकर 31 मिनट 09 सेकंड तक है|

    होलिका दहन 17 मार्च यानी गुरुवार के दिन मनाया जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, होलिका दहन के लिए शुभ मुहूर्त रात 9 बजकर 20 मिनट से लेकर रात 10 बजकर 31 मिनट तक रहेगा|

    पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ- 17 मार्च 13 बजकर 25 मिनट से

    पूर्णिमा तिथि समाप्त- 18 मार्च 12 बजकर 45 मिनट पर

    होलिका दहन का समय – 17 मार्च को रात 9 बजकर 20 मिनट 55 सेकंड से शुरू होकर 10 बजकर 31 मिनट 09 सेकंड तक है|

    अवधि- 01 घंटे 11 मिनट

    भद्रा पुँछा – 21:20 से 22:31 तक

    भद्रा मुखा – 22:31 से 00:28 तक

    अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12 बजकर 07 मिनट से दोपहर 12 बजकर 56 मिनट तक|

    अमृत काल – सुबह 11 बजकर 04 मिनट से दोपहर 12 बजकर 31 मिनट तक|

    ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04 बजकर 50 मिनट से सुबह 05 बजकर 38 मिनट तक|

    सर्वार्थसिद्धि योग -सुबह 06 बजकर 26 मिनट से शाम 05 बजकर 36 मिनट तक| इसके बाद शाम 05 बजकर 36 मिनट से 29 मार्च की सुबह 06 बजकर 25 मिनट तक|

    अमृतसिद्धि योग – सुबह 05 बजकर 36 मिनट से 29 मार्च की सुबह 06 बजकर 25 मिनट तक|

    रंगवाली होली तिथि- 18 मार्च

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    रंग, गुलाल से भरा मनमोहक पर्व है होली| होली रंगो का त्योहार इस वर्ष यह 18 मार्च 2022 को मनाया जाएगा, इससे पहले 17 मार्च को होलाष्टक समाप्ति के साथ होलिका दहन होगा| होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत के पर्व के रूप में मनाया जाता है| होलिका दहन में होलिका पूजा की जाती है| होलिका दहन के समय बेहद ही सावधानी के साथ पूजा करनी चाहिए| इस दिन का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है तो आइए जानते हैं इस साल होलिका दहन कब किया जाएगा, होलिका दहन के लिए शुभ मुहूर्त, राशिनुसार होलिका दहन कैसे करें, पूजा विधि, महत्व आदि के बारे में विस्तार से-

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    होलिका दहन से पहले होली का पूजन किया जाता है| पूजा सामग्री में एक लोटा गंगाजल यदि उपलब्ध न हो तो ताजा जल भी लिया जा सकता है, रोली, माला, रंगीन अक्षत, गंध के लिये धूप या अगरबत्ती, पुष्प, गुड़, कच्चे सूत का धागा, साबूत हल्दी, मूंग, बताशे, नारियल एवं नई फसल के अनाज गेंहू की बालियां, पके चने आदि| पूजा सामग्री के साथ होलिका के पास गोबर से बनी ढाल भी रखी जाती है| होलिका दहन के शुभ मुहूर्त के समय चार मालाएं अलग से रख ली जाती हैं| जो मौली, फूल, गुलाल, ढाल और खिलौनों से बनाई जाती हैं| इसमें एक माला पितरों के नाम की, दूसरी श्री हनुमान जी के लिये, तीसरी शीतला माता, और चौथी घर परिवार के नाम की रखी जाती है| इसके पश्चात पूरी श्रद्धा से होली के चारों और परिक्रमा करते हुए कच्चे सूत के धागे को लपेटा जाता है| होलिका की परिक्रमा तीन या सात बार की जाती है| इसके बाद शुद्ध जल सहित अन्य पूजा सामग्रियों को एक एक कर होलिका को अर्पित किया जाता है| पंचोपचार विधि से होली का पूजन कर जल से अर्घ्य दिया जाता है| होलिका दहन के बाद होलिका में कच्चे आम, नारियल, सतनाज, चीनी के खिलौने, नई फसल इत्यादि की आहुति दी जाती है| सतनाज में गेहूं, उड़द, मूंग, चना, चावल जौ और मसूर मिश्रित करके इसकी आहुति दी जाती है|

    होलिका दहन की पौराणिक कथा , Holika Dahan Ki Kahani, Holika Dahan Katha

    हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था|पिता के लाख कहने के बावजूद प्रह्लाद विष्णु की भक्ति करता रहा| असुराधिपति हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र को मारने की भी कई बार कोशिश की परंतु भगवान स्वयं उसकी रक्षा करते रहे और उसका बाल भी बांका नहीं हुआ|असुर राजा की बहन होलिका को भगवान शंकर से ऐसी चादर मिली थी जिसे ओढ़ने पर अग्नि उसे जला नहीं सकती थी|होलिका उस चादर को ओढ़कर प्रह्लाद को गोद में लेकर चिता पर बैठ गई| दैवयोग से वह चादर उड़कर प्रह्लाद के ऊपर आ गई, जिससे प्रह्लाद की जान बच गई और होलिका जल गई|होलिका दहन के दिन होली जलाकर होलिका नामक दुर्भावना का अंत और भगवान द्वारा भक्त की रक्षा का जश्न मनाया जाता है|

    राशिनुसार होली की पूजा

    मेष राशि –मेष राशि वाले होलिका दहन खैर या खादिर की लकड़ी से करें, साथ में गुड़ की आहुति भी दें| ऐसा करने से आपको मानसिक परेशानियों से निजात मिलेगा|

    वृष राशि – इस राशि के जातक होलिका दहन गूलर की लकड़ी से करें और चीनी से आहति दें| ऐसा करने से आपके सभी कार्यों में आने वाली बाधाएं दूर होंगी|

    मिथुन राशि – मिथुन राशि वाले अपामार्ग और गेंहू की बाली से होलिका दहन करें, साथ ही कपूर से आहुति दें| ऐसा करने से आपकी धन से जुड़ी परेशानियों का समाधान होगा|

    कर्क राशि – कर्क राशि वाले पलाश की लकड़ी से होलिका दहन करें और लोहबान से आहुति दें| ऐसा करने से इस राशि के जातकों को नौकरी और करियर से जुड़ा शुभ सामाचार मिलेगा|

    सिंह राशि – सिंह राशि वाले मदार की लकड़ी से होलिका दहन करें और गुड की आहुति देकर पितरों को याद करना न भूलें| ऐसा करने से व्यापार से जुड़ी आपकी समस्त परेशानियां दूर हो जाएंगी|

    कन्या राशि – कन्या राशि के जातक अपामार्ग की लकड़ी से होलिका दहन करें, कपूर की आहुति दें और साथ ही सभी देवी देवताओं का स्मरण करें| ऐसा करने से कार्यक्षेत्र में आने वाली सभी बाधाएं दूर होंगी|

    तुला राशि – तुला राशि वाले जातक होलिका दहन में गूलर की लकड़ी जलाएं और कपूर की आहुति दें| ऐसा करने से जीवन की परेशानियों से निजात मिलेगी|

    वृश्चिक राशि – इस राशि वाले खैर की लकड़ी से हालिका दहन करें और गुड़ की आहुति दें| ऐसा करने से आपको लाभ मिलेगा|

    धनु राशि – धनु राशि वाले पीपल की लकड़ी से होलिका दहन करें और जौ व चना की आहुति दें| साथ में भगवान विष्णु की पूजा भी करें| ऐसा करने से उच्च पद की प्राप्ति में आने वाली बाधाएं दूर होंगी|

    मकर राशि- शनि और गुरु ग्रह आपकी राशि में गोचर कर रहे हैं| आप पर शनि की साढ़ेसाती भी है इसलिए आज के दिन आप शमी की लकड़ी से होलिका दहन करें और तिल की आहुति दें| ऐसा करने से आपके जीवन में आने वाली परेशानियां दूर होंगी|

    कुंभ राशि – आज के दिन आप शमी की लकड़ी से होलिका दहन करें और तिल की आहुति दें| ऐसा करने से कर्ज आदि की समस्या से यदि परेशान हैं तो उससे निजान पा सकेंगे|

    मीन राशि- मीन राशि वाले जातक पीपल की लकड़ी से होलिका दहन करें और जौ व चना की आहुति दें| इसके बाद पितरों का आभार व्यक्त करें| ऐसा करने से आपकी सभी स्वास्थ्य से संबंधित परेशानियां दूर हो जाएंगी|

    होलिका दहन का महत्व

    होलिका दहन का महत्व अत्याधिक है| मान्यता है कि इस दिन समाज की समस्त बुराईयों का अंत होता है| यह बुराइयों पर अच्छाइयों की विजय का सूचक है| इस दिन गांव में लोग देर रात तक जागते हैं और होली के गीत गाते हैं तथा नाचते हैं|



    7 टिप्‍पणियां:

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