Tuesday, May 20.

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साई अमृतवाणी | Shri Sai Amritvani
sai+amritvani

दिव्य तेज का मालिक साईं
सकल विश्व का पालक साईं
सूर्योदय सी छवि निराली
सांचा आनंद देने वाली

धर्मदीप धर्मात्मा साईं
परमपुरुष परमात्मा साईं
सत्य साईं से सद्गुण लीजो
विनय भाव से वंदन कीजो

दास भक्ति जिन्होंने है मांगी
भव से तर गए वो अपराधी
सर्वशक्तिमान है साईं
योगी दयानिधान है साईं

साईं है सबके संकट हरता
साईं ही घर घर मंगल करता
साईं का सुमिरन है वो धारा
भय से देता जो छुटकारा

साईं के द्वारे जो भी आते
सकल मनोरथ सिद्धि हो जाते
मंगलमूर्ति विघ्नविनाशक
शरणागत बलहीन के रक्षक

सी सुधा है मंगलदाई
साईं से प्रीति महा सुखदाई
साईं आश्रय देते सबको
सी रूप में देखो रब को

साईं के द्वारे मांगो मनौती
आये निकट ना कभी पनौती
वैद्यों की जब हारे दवाई
जादू करती साईं की दुआएं

साईं तेरे भंडार भरेंगे
करुणा कर कृतार्थ करेंगे
जो भी अलक जगा जायेगा
सुख समृद्धि पा जायेगा

नम्रता बिन त्याग भावना
से हो पूरी मनोकामना
करुण प्रार्थना कीजो मन से
कोष भरेंगे सुख के धन से

शांति प्रेम सौहार्द मिलेगा
साईं सच्चा हमदर्द मिलेगा
कांटेदार चाहे हो पगडंडी
साईं सर्वदा तुमरे संगी

साईं के अद्भुत धाम पे
धुनी रमा दिन रात
किसी भी पथ पर तू कभी
खा नहीं सकता मात

पंचभूत की काया साईं
ब्रह्मज्ञान जगमाया साईं
महामानियों सी आभा वाला
दिव्य अलौकिक शोभा वाला

कमल के जैसा खिला मुखमंडल
साईं पुरषोत्तम सुख की मंजिल
आठों सिद्धियां शरण में जिसके
पदम निराला चरण में जिसके

साईं हरी है साईं नारायण
साईं की भक्ति एक रसायन
साईं है योगेश्वर बाबा
सिद्धिनाथ सिद्धेश्वर बाबा

साईं प्रेम का पावन चंदन
जहाँ भी महके टूटे बंधन
साईं गंगाजल सा निर्मल
जहाँ से लेते बल है दुर्बल

साईं भजन से आत्मा जागे
कष्ट मिटे हर संकट भागे
साईं चरण में झुकेगा मस्तक
खुशियाँ देती उस घर दस्तक

शुद्ध आत्मा शुद्ध विचार
साईं की महिमा अपरम्पार
जगत पिता जगदीश्वर साईं
ज्ञानकुंज ज्ञानेश्वर साईं

श्वास श्वास में साईं हैं जिनके
सिद्ध मनोरथ होते उनके
सी पे निर्भर होक देखो
साईं की धुन में खोकर देखो

भयनाशक आनंद मिलेगा
जीवन का रथ सहज चलेगा
हर एक बाधा टल जायेगी
रैन गमों की ढल जायेगी  

मोक्षदायिनी साईं की पूजा
ऐसा दयालु और ना दूजा
जिस नैया का साईं खेवैया
उस पर आंच ना आये भैया

जिसका सारथी साईं जैसा
उस रथ को फिर खटका कैसा
संकट में न विचलित होना
दुःख संताप उसी में धोना

साईं के चरण सरोज की
मस्तक धर लो धुल
उनके अनुग्रह से बनता
हर एक काँटा फूल
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