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    Chaitra Navratri- चैत्र नवरात्रि की अष्टमी aur navmi muhurat 2020 - Date, Timing
    Chaitra Navratri- चैत्र नवरात्रि की अष्टमी aur navmi muhurat 2020 - Date, Timing

    हम सब के मन में एक बात इस कर्फ्यू/ लॉक डाउन का माहौल है तो ऐसे में मंदिर में पूजा करना संभव नहीं है| तो हम आपके लिए ज्योतिष आचर्य द्वारा दिए गए मुहूर्त के विषय  में आप को बताना चाहते है| अष्टमी 1 अप्रैल को पूरा दिन रहेगी |  कन्या पूजन का शुभ  मुहूर्त सुबह 9 बजे से 10 :50 बजे  तक रहेगा | अशुभ  राहु काल का समय दोपहर 12 :27 से 2 बजे तक रहेगा | राम नवमी का शुभ मुहूर्त सुबह 9 बजे से 11 बजे तक है| 

    चैत्र नवरात्रि की अष्टमी और बुधवार का योग 1 अप्रैल को, दुर्गाजी के साथ करें गणेश पूजा भी
    गणेशजी को दूर्वा चढ़ाएं और दुर्गाजी को चढ़ाएं लाल चुनरी 
     1 अप्रैल को चैत्र मास की नवरात्रि और बुधवार का योग है। इस दिन देवी दुर्गा के साथ ही गणेशजी की भी विशेष पूजा जरूर करें। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार गणेशजी की पूजा में सभी जरूरी चीजें रखी जाए और सही तरीके से पूजा की जाए तो सकारात्मक फल जल्दी मिल सकते हैं।

     पूजा के लिए सामग्री

    चावल, कुमकुम, दीपक, धूपबत्ती, दूध, दही, घी, शहद, शकर, साफ जल, श्रीगणेश और देवी दुर्गा के लिए वस्त्र-आभूषण, फूल, प्रसाद के लिए मिठाई और फल, जनेऊ, सुपारी, पान, मोदक के लड्डू, सिंदूर, इत्र, दूर्वा, केले, कर्पूर आदि। अगर ये चीजें घर में न हों तो जो चीजें हैं, उनसे ही पूजा कर सकते हैं।

    सरल पूजा विधि

    घर के मंदिर में पूजा की व्यवस्था करें। सबसे पहले मूर्तियों में श्रीगणेश और देवी दुर्गा का आवाहन करें। आवाहन यानी देवी-देवता को अपने घर आमंत्रित करें। आसन दें। मूर्तियों को स्नान कराएं। दूध, दही, घी, शहद और शकर मिलाकर पंचामृत बनाएं और इससे स्नान कराएं। इसके बाद जल से स्नान कराएं।
    मूर्तियों को वस्त्र और आभूषण अर्पित करें। गणेशजी को जनेऊ पहनाएं। माताजी और गणेशजी को हार पहनाएं। इत्र अर्पित करें। तिलक लगाएं। धूप, कर्पूर और दीप जलाएं। आरती करें। परिक्रमा करें। भोग लगाएं, पान चढ़ाएं। गणेशजी को दूर्वा और माताजी को लाल चुनरी अर्पित करें। दक्षिणा अर्पित करें। गणेश के मंत्र श्री गणेशाय नम: और दुर्गा मंत्र दुं दुर्गायै नम: मंत्र का जाप करें। पूजा के अंत में अनजानी भूल के लिए क्षमा याचना करें। अन्य भक्तों को प्रसाद दें और स्वयं भी लें। 

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