Wednesday, June 11.

Header Ads

काली माता जी की आरती 

jaykali


मंगल की सेवा सुन मेरी देवी, हाथ जोड़ तेरे द्वार खड़े । 
पैन सुपारी ध्वजा नारियल, ले ज्वाला तेरी भेंट करें ।। 
सुन जगदम्बे कर न विलम्बे सन्तन के भंडार भरे । 
संतान प्रतिपाली सदा खुशहाली, जय काली कल्याण करे ॥ 
बुद्धि विधाता तू जगमाता, मेरा कारज सिद्ध करे । 
चरण कमल का लिया आसरा, शरण तुम्हारी आन परे ॥ 
जब जब पीर पड़े भक्तन पर तब तब आये सहाय  करे । 
सन्तन प्रतिपाली सदा खुशहाली, जय काली कल्याण करे ॥ 
बार बार ते सब जग मोहयो, तरुणी रूप अनूप धरे । 
माता  होकर पुत्र खिलावें, कही भार्या बन भोग करे ॥ 
सन्तन सुखदायी, सदा सहाई, सन्त खड़े जायका करें । 
संतान प्रतिपाली सदा खुशहाली, जय काली कल्याण करे ॥ 
ब्रह्मा, विष्णु, महेश फल लिए भेंट देन सब द्वार खड़े । 
अटल सिंहासन बैठी माता, सिर सोने का छत्र धरे । 
वार शनिचर कुंकुमवरणी, जब लुंकुड पर हुकुम कर । 
संतान प्रतिपाली सदा खुशहाली, जय काली कल्याण करे ॥ 
खड्ग खप्पर त्रिशूल हाथ लिए, रक्तबीज कुं भस्म कर । 
शुम्भ- निशुम्भ क्षनहिं में मारे, महिषासुर को पकड़ धरे ॥ 
आदित वारी आदि भवानी, जन अपने को कष्ट हरे । 
संतान प्रतिपाली सदा खुशहाली, जय काली कल्याण करे ॥ 
कुपित होय कर दानव मारे, चण्ड -मुण्ड सब चूर करे । 
जब तुम देखो दया रूप हो, पल में संकट दूर टरे ॥ 
सौम्य स्वभाव धरयो मेरी माता, जन की अर्ज कबूल करे । 
संतान प्रतिपाली सदा खुशहाली, जय काली कल्याण करे ॥ 
सात बार महिमा वरणी, सब गुण कौन बखान करे । 
सिंह पीठ पर चढ़ी भवानी, अटल भुवन में राज करे॥ 
दर्शन पांवे मंगल गावें, सिद्ध साधन तेरी भेंट धरें । 
संतान प्रतिपाली सदा खुशहाली, जय काली कल्याण करे ॥ 
ब्रह्मा वेद पड़े तेरे, द्वारे, शिवशंकर हरि धयान धरे । 
इन्द्र - कृष्ण तेरी करे आरती, चंवर कुबेर डुलाय रहे ॥ 
जय जननी जय मातुभवानी, अचल भुवन में राज करे । 
संतान प्रतिपाली सदा खुशहाली, जय काली कल्याण करे ॥ 

काली माता जी की आरती समाप्तम 

कोई टिप्पणी नहीं

'; (function() { var dsq = document.createElement('script'); dsq.type = 'text/javascript'; dsq.async = true; dsq.src = '//' + disqus_shortname + '.disqus.com/embed.js'; (document.getElementsByTagName('head')[0] || document.getElementsByTagName('body')[0]).appendChild(dsq); })();

Post Top Ad

Post Bottom Ad